भजन संहिता 95 : 1 (ERVHI)
आओ हम यहोवा के गुण गाएं! [QBR2] आओ हम उस चट्टान का जय जयकार करें जो हमारी रक्षा करता है। [QBR]
भजन संहिता 95 : 2 (ERVHI)
आओ हम यहोवा के लिये धन्यवाद के गीत गाएं। [QBR2] आओ हम उसके प्रशंसा के गीत आनन्दपूर्वक गायें। [QBR]
भजन संहिता 95 : 3 (ERVHI)
क्यों क्योंकि यहोवा महान परमेश्वर है। [QBR2] वह महान राजा सभी अन्य “देवताओं”पर शासन करता है। [QBR]
भजन संहिता 95 : 4 (ERVHI)
गहरी गुफाएँ और ऊँचे पर्वत यहोवा के हैं। [QBR]
भजन संहिता 95 : 5 (ERVHI)
सागर उसका है, उसने उसे बनाया है। [QBR2] परमेश्वर ने स्वयं अपने हाथों से धरती को बनाया है। [QBR]
भजन संहिता 95 : 6 (ERVHI)
आओ, हम उसको प्रणाम करें और उसकी उपासना करें। [QBR2] आओ हम परमेश्वर के गुण गाये जिसने हमें बनाया है। [QBR]
भजन संहिता 95 : 7 (ERVHI)
वह हमारा परमेश्वर [QBR2] और हम उसके भक्त हैं। [QBR2] यदि हम उसकी सुने तो हम आज उसकी भेड़ हैं। [QBR]
भजन संहिता 95 : 8 (ERVHI)
परमेश्वर कहता है, “तुम जैसे मरिबा और मरूस्थल के मस्सा में कठोर थे [QBR2] वैसे कठोर मत बनो। [QBR]
भजन संहिता 95 : 9 (ERVHI)
तेरे पूर्वजों ने मुझको परखा था। [QBR2] उन्होंने मुझे परखा, पर तब उन्होंने देखा कि मैं क्या कर सकता हूँ। [QBR]
भजन संहिता 95 : 10 (ERVHI)
मैं उन लोगों के साथ चालीस वर्ष तक धीरज बनाये रखा। [QBR2] मैं यह भी जानता था कि वे सच्चे नहीं हैं। [QBR2] उन लोगों ने मेरी सीख पर चलने से नकारा। [QBR]
भजन संहिता 95 : 11 (ERVHI)
सो मैं क्रोधित हुआ और मैंने प्रतिज्ञा की [QBR2] वे मेरे विशाल कि धरती पर कभी प्रवेश नहीं कर पायेंगे।” [PE]

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