भजन संहिता 98 : 1 (ERVHI)
यहोवा के लिये एक नया गीत गाओं, [QBR2] क्योंकि उसने नयी [QBR] और अद्भुत बातों को किया है। [QBR]
भजन संहिता 98 : 2 (ERVHI)
उसकी पवित्र दाहिनी भुजा [QBR2] उसके लिये फिर विजय लाई। [QBR]
भजन संहिता 98 : 3 (ERVHI)
यहोवा ने राष्ट्रों के सामने अपनी वह शक्ति प्रकटायी है जो रक्षा करती है। [QBR2] यहोवा ने उनको अपनी धार्मिकता दिखाई है। [QBR]
भजन संहिता 98 : 4 (ERVHI)
परमेश्वर के भक्तों ने परमेश्वर का अनुराग याद किया, जो उसने इस्राएल के लोगों से दिखाये थे। [QBR2] सुदूर देशो के लोगों ने हमारे परमेश्वर की महाशक्ति देखी। [QBR]
भजन संहिता 98 : 5 (ERVHI)
हे धरती के हर व्यक्ति, प्रसन्नता से यहोवा की जय जयकार कर। [QBR2] स्तुति गीत गाना शिघ्र आरम्भ करो। [QBR]
भजन संहिता 98 : 6 (ERVHI)
हे वीणाओं, यहोवा की स्तुति करो! [QBR2] हे वीणा, के मधुर संगीत उसके गुण गाओ! [QBR]
भजन संहिता 98 : 7 (ERVHI)
बाँसुरी बजाओ और नरसिंगों को फूँको। [QBR2] आनन्द से यहोवा, हमारे राजा की जय जयकार करो। [QBR]
भजन संहिता 98 : 8 (ERVHI)
हे सागर और धरती, [QBR2] और उनमें की सब वस्तुओं ऊँचे स्वर में गाओ। [QBR]
भजन संहिता 98 : 9 (ERVHI)
हे नदियों, ताली बजाओ! [QBR2] हे पर्वतो, अब सब साथ मिलकर गाओ! [QBR] तुम यहोवा के सामने गाओ, क्योंकि वह जगत का शासन (न्याय) करने जा रहा है, [QBR2] वह जगत का न्याय नेकी और सच्चाई से करेगा। [PE]
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