प्रकाशित वाक्य 7 : 1 (ERVHI)
इस्राएल के 1,44,000 लोग इसके बाद धरती के चारों कोनों पर चार स्वर्गदूतों को मैंने खड़े देखा। धरती की चारों हवाओं को रोक के रखा था ताकि धरती पर, सागर पर अथवा वृक्षों पर उनमें से किसी पर भी हवा चल ना पाये।
प्रकाशित वाक्य 7 : 2 (ERVHI)
फिर मैंने देखा कि एक और स्वर्गदूत है जो पूर्व दिशा से आ रहा है। उसने सजीव परमेश्वर की मुहर ली हुई थी। तथा वह उन चारों स्वर्गदूतों से जिन्हें धरती और आकाश को नष्ट कर देने का अधिकार दिया गया था, ऊँचे स्वर में पुकार कर कह रहा था,
प्रकाशित वाक्य 7 : 3 (ERVHI)
“जब तक हम अपने परमेश्वर के सेवकों के माथे पर मुहर नहीं लगा देते, तब तक तुम धरती, सागर और वृक्षों को हानि मत पहुँचाओ।”
प्रकाशित वाक्य 7 : 4 (ERVHI)
फिर जिन लोगों पर मुहर लगाई गई थी, मैंने उनकी संख्या सुनी। वे एक लाख चवालीस हज़ार थे। जिन पर मुहर लगाई गई थी, इस्राएल के सभी परिवार समूहों से थे:
प्रकाशित वाक्य 7 : 5 (ERVHI)
यहूदा के परिवार समूह के 12,000 रूबेन के परिवार समूह के 12,000 गाद परिवार समूह के 12,000
प्रकाशित वाक्य 7 : 6 (ERVHI)
आशेर परिवार समूह के 12,000 नप्ताली परिवार समूह के 12,000 मनश्शे परिवार समूह के 12,000
प्रकाशित वाक्य 7 : 7 (ERVHI)
शमौन परिवार समूह के 12,000 लेवी परिवार समूह के 12,000 इस्साकार परिवार समूह के 12,000
प्रकाशित वाक्य 7 : 8 (ERVHI)
जबूलून परिवार समूह के 12,000 यूसुफ़ परिवार समूह के 12,000 बिन्यामीन परिवार समूह के 12,000
प्रकाशित वाक्य 7 : 9 (ERVHI)
विशाल भीड़ इसके बाद मैंने देखा कि मेरे सामने एक विशाल भीड़ खड़ी थी जिसकी गिनती कोई नहीं कर सकता था। इस भीड़ में हर जाति के हर वंश के, हर कुल के तथा हर भाषा के लोग थे। वे उस सिंहासन और उस मेमने के आगे खड़े थे। वे श्वेत वस्त्र पहने थे और उन्होंने अपने हाथों में खजूर की टहनियाँ ली हुई थीं।
प्रकाशित वाक्य 7 : 10 (ERVHI)
वे पुकार रहे थे, “सिंहासन पर विराजमान हमारे परमेश्वर की जय हो और मेमने की जय हो।”
प्रकाशित वाक्य 7 : 11 (ERVHI)
सभी स्वर्गदूत सिंहासन प्राचीनों और उन चारों प्राणियों को घेरे खड़े थे। सिंहासन के सामने दण्डवत प्रणाम करके इन स्वर्गदूतों ने परमेश्वर की उपासना की।
प्रकाशित वाक्य 7 : 12 (ERVHI)
उन्होंने कहा, “आमीन! हमारे परमेश्वर की स्तुति, महिमा, विवेक, धन्यवाद, समादर, शक्ति और बल सदा-सर्वदा होते रहें। आमीन!”* आमीन जब कोई व्यक्ति आमीन कहता है तो इसका अर्थ होता है कि वह पूरी तरह उसके साथ सहमत है।
प्रकाशित वाक्य 7 : 13 (ERVHI)
प्रकाशित वाक्य 7 : 14 (ERVHI)
तभी उन प्राचीनों में से किसी ने मुझसे प्रश्न किया, “ये श्वेत वस्त्रधारी लोग कौन हैं तथा ये कहाँ से आए हैं?” मैंने उसे उत्तर दिया, “मेरे प्रभु तू तो जानता ही है।” इस पर उसने मुझसे कहा, “ये वे लोग हैं जो कठोर यातनाओं के बीच से होकर आ रहे हैं उन्होंने अपने वस्त्रों को मेमने के लहू से धोकर स्वच्छ एवं उजला किया है।
प्रकाशित वाक्य 7 : 15 (ERVHI)
इसलिए अब ये परमेश्वर के सिंहासन के सामने खड़े तथा उसके मन्दिर में दिन रात उसकी उपासना करते हैं। वह जो सिंहासन पर विराजमान है उनमें निवास करते हुए उनकी रक्षा करेगा।
प्रकाशित वाक्य 7 : 16 (ERVHI)
न कभी उन्हें भूख सताएगी और न ही वे फिर कभी प्यासे रहेंगे। सूरज उनका कुछ नहीं बिगाड़ेगा और न ही चिलचिलाती धूप कभी उन्हें तपाएगी।
प्रकाशित वाक्य 7 : 17 (ERVHI)
क्योंकि वह मेमना जो सिंहासन के बीच में है उनकी देखभाल करेगा। वह उन्हें जीवन देने वाले जल स्रोतों के पास ले जाएगा और परमेश्वर उनकी आँखों के हर आँसू को पोंछ देगा।”

1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17