नीतिवचन 2 : 1 (HOV)
हे मेरे पुत्र, यदि तू मेरे वचन ग्रहण करे, और मेरी आज्ञाओं को अपने हृदय में रख छोड़े,
नीतिवचन 2 : 2 (HOV)
और बुद्धि की बात ध्यान से सुने, और समझ की बात मन लगा कर सोचे;
नीतिवचन 2 : 3 (HOV)
और प्रवीणता और समझ के लिये अति यत्न से पुकारे,
नीतिवचन 2 : 4 (HOV)
ओर उस को चान्दी की नाईं ढूंढ़े, और गुप्त धन के समान उसी खोज में लगा रहे;
नीतिवचन 2 : 5 (HOV)
तो तू यहोवा के भय को समझेगा, और परमेश्वर का ज्ञान तुझे प्राप्त होगा।
नीतिवचन 2 : 6 (HOV)
क्योंकि बुद्धि यहोवा ही देता है; ज्ञान और समझ की बातें उसी के मुंह से निकलती हैं।
नीतिवचन 2 : 7 (HOV)
वह सीधे लोगों के लिये खरी बुद्धि रख छोड़ता है; जो खराई से चलते हैं, उनके लिये वह ढाल ठहरता है।
नीतिवचन 2 : 8 (HOV)
वह न्याय के पथों की देख भाल करता, और अपने भक्तों के मार्ग की रक्षा करता है।
नीतिवचन 2 : 9 (HOV)
तब तू धर्म और न्याय, और सीधाई को, निदान सब भली-भली चाल समझ सकेगा;
नीतिवचन 2 : 10 (HOV)
क्योंकि बुद्धि तो तेरे हृदय में प्रवेश करेगी, और ज्ञान तुझे मनभाऊ लगेगा;
नीतिवचन 2 : 11 (HOV)
विवेक तुझे सुरक्षित रखेगा; और समझ तेरी रक्षक होगी;
नीतिवचन 2 : 12 (HOV)
ताकि तुझे बुराई के मार्ग से, और उलट फेर की बातों के कहने वालों से बचाए,
नीतिवचन 2 : 13 (HOV)
जो सीधाई के मार्ग को छोड़ देते हैं, ताकि अन्धेरे मार्ग में चलें;
नीतिवचन 2 : 14 (HOV)
जो बुराई करने से आनन्दित होते हैं, और दुष्ट जन की उलट फेर की बातों में मगन रहते हैं;
नीतिवचन 2 : 15 (HOV)
जिनकी चालचलन टेढ़ी मेढ़ी और जिनके मार्ग बिगड़े हुए हैं॥
नीतिवचन 2 : 16 (HOV)
तब तू पराई स्त्री से भी बचेगा, जो चिकनी चुपड़ी बातें बोलती है,
नीतिवचन 2 : 17 (HOV)
और अपनी जवानी के साथी को छोड़ देती, और जो अपने परमेश्वर की वाचा को भूल जाती है।
नीतिवचन 2 : 18 (HOV)
उसका घर मृत्यु की ढलान पर है, और उसी डगरें मरे हुओं के बीच पहुंचाती हैं;
नीतिवचन 2 : 19 (HOV)
जो उसके पास जाते हैं, उन में से कोई भी लौट कर नहीं आता; और न वे जीवन का मार्ग पाते हैं॥
नीतिवचन 2 : 20 (HOV)
तू भले मनुष्यों के मार्ग में चल, और धर्मियों की बाट को पकड़े रह।
नीतिवचन 2 : 21 (HOV)
क्योंकि धर्मी लोग देश में बसे रहेंगे, और खरे लोग ही उस में बने रहेंगे।
नीतिवचन 2 : 22 (HOV)
दुष्ट लोग देश में से नाश होंगे, और विश्वासघाती उस में से उखाड़े जाएंगे॥
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