भजन संहिता 43 : 1 (HOV)
हे परमेश्वर, मेरा न्याय चुका और विधर्मी जाति से मेरा मुक मा लड़; मुझ को छली और कुटिल पुरूष से बचा।
भजन संहिता 43 : 2 (HOV)
क्योंकि हे परमेश्वर, तू ही मेरी शरण है, तू ने क्यों मुझे त्याग दिया है? मैं शत्रु के अन्धेर के मारे शोक का पहिरावा पहिने हुए क्यों फिरता रहूं?
भजन संहिता 43 : 3 (HOV)
अपने प्रकाश और अपनी सच्चाई को भेज; वे मेरी अगुवाई करें, वे ही मुझ को तेरे पवित्रा पर्वत पर और तेरे निवास स्थान में पहुंचाए!
भजन संहिता 43 : 4 (HOV)
तब मैं परमेश्वर की वेदी के पास जाऊंगा, उस ईश्वर के पास जो मेरे अति आनन्द का कुण्ड है; और हे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर मैं वीणा बजा बजाकर तेरा धन्यवाद करूंगा।।
भजन संहिता 43 : 5 (HOV)
हे मेरे प्राण तू क्यों गिरा जाता है? तू अन्दर ही अन्दर क्यों व्याकुल है? परमेश्वर पर भरोसा रख, क्योंकि वह मेरे मुख की चमक और मेरा परमेश्वर है; मैं फिर उसका धन्यवाद करूंगा।।

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