भजन संहिता 61 : 1 (HOV)
हे परमेश्वर, मेरा चिल्लाना सुन, मेरी प्रार्थना की ओर घ्यान दे।
भजन संहिता 61 : 2 (HOV)
मूर्छा खाते समय मैं पृथ्वी की छोर से भी तुझे पुकारूंगा, जो चट्टान मेरे लिये ऊंची है, उस पर मुझ को ले चला;
भजन संहिता 61 : 3 (HOV)
क्योंकि तू मेरा शरणस्थान है, और शत्रु से बचने के लिये ऊंचा गढ़ है॥
भजन संहिता 61 : 4 (HOV)
मै तेरे तम्बू में युगानुयुग बना रहूंगा। मैं तेरे पंखों की ओट में शरण लिये रहुंगा
भजन संहिता 61 : 5 (HOV)
क्योंकि हे परमेश्वर, तू ने मेरी मन्नतें सुनीं, जो तेरे नाम के डरवैये हैं, उनका सा भाग तू ने मुझे दिया है॥
भजन संहिता 61 : 6 (HOV)
तू राजा की आयु को बहुत बढ़ाएगा; उसके वर्ष पीढ़ी पीढ़ी के बराबर होंगे।
भजन संहिता 61 : 7 (HOV)
वह परमेश्वर के सम्मुख सदा बना रहेगा; तू अपनी करूणा और सच्चाई को उसकी रक्षा के लिये ठहरा रख।
भजन संहिता 61 : 8 (HOV)
और मैं सर्वदा तेरे नाम का भजन गा गाकर अपनी मन्नतें हर दिन पूरी किया करूंगा॥

1 2 3 4 5 6 7 8

BG:

Opacity:

Color:


Size:


Font: