भजन संहिता 88 : 1 (HOV)
हे मेरे उठ्ठारकर्त्ता परमेश्वर यहोवा, मैं दिन को और रात को तेरे आगे चिल्लाता आया हूं।
भजन संहिता 88 : 2 (HOV)
मेरी प्रार्थना तुझ तक पहुंचे, मेरे चिल्लाने की ओर कान लगा!
भजन संहिता 88 : 3 (HOV)
क्योंकि मेरा प्राण क्लेश में भरा हुआ है, और मेरा प्राण अधोलोक के निकट पहुंचा है।
भजन संहिता 88 : 4 (HOV)
मैं कबर में पड़नेवालों में गिना गया हूं; मैं बलहीन पुरूष के समान हो गया हूं।
भजन संहिता 88 : 5 (HOV)
मैं मुर्दों के बीच छोड़ा गया हूं, और जो घात होकर कबर में पड़े हैं, जिनको तू फिर स्मरण नहीं करता और वे तेरी सहायता रहित हैं, उनके समान मैं हो गया हूं।
भजन संहिता 88 : 6 (HOV)
तू ने मुझे गड़हे के तल ही में, अन्धेरे और गहिरे स्थान में रखा है।
भजन संहिता 88 : 7 (HOV)
तेरी जलजलाहट मुझी पर बनी हुई है, और तू ने अपने सब तरंगों से मुझे दु:ख दिया है;
भजन संहिता 88 : 8 (HOV)
तू ने मेरे पहिचानवालों को मुझ से दूर किया है; और मुझ को उनकी दृष्टि में घिनौना किया है। मैं बन्दी हूं और निकल नही सकता;
भजन संहिता 88 : 9 (HOV)
दु:ख भोगते भोगते मेरी आंखे धुन्धला गई। हे यहोवा मैं लगातार तुझे पुकारता और अपने हाथ तेरी ओर फैलाता आया हूं।
भजन संहिता 88 : 10 (HOV)
क्या तू मुर्दों के लिये अदभुत् काम करेगा? क्या मरे लोग उठकर तेरा धन्यवाद करेंगे?
भजन संहिता 88 : 11 (HOV)
क्या कबर में तेरी करूणा का, और विनाश की दशा में तेरी सच्चाई का वर्णन किया जाएगा?
भजन संहिता 88 : 12 (HOV)
क्या तेरे अदभुत् काम अन्धकार में, वा तेरा धर्म विश्वासघात की दशा में जाना जाएगा?
भजन संहिता 88 : 13 (HOV)
परन्तु हे यहोवा, मैं ने तेरी दोहाई दी है; और भोर को मेरी प्रार्थना तुझ तक पहुंचेगी।
भजन संहिता 88 : 14 (HOV)
हे यहोवा, तू मुझ को क्यों छोड़ता है? तू अपना मुख मुझ से क्यों छिपाता रहता है?
भजन संहिता 88 : 15 (HOV)
मैं बचपन ही से दु:खी वरन अधमुआ हूं, तुझ से भय खाते मैं अति व्याकुल हो गया हूं।
भजन संहिता 88 : 16 (HOV)
तेरा क्रोध मुझ पर पड़ा है; उस भय से मैं मिट गया हूं।
भजन संहिता 88 : 17 (HOV)
वह दिन भर जल की नाई मुझे घेरे रहता है; वह मेरे चारों ओर दिखाई देता है।
भजन संहिता 88 : 18 (HOV)
तू ने मित्रा और भाईबन्धु दोनों को मुझ से दूर किया है; और मेरे जान- पहिचानवालों को अन्धकार में डाल दिया है।।

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