1 यूहन्ना 3 : 17 (IRVHI)
पर जिस किसी के पास संसार की संपत्ति हो और वह अपने भाई को जरूरत में देखकर उस पर तरस न खाना चाहे, तो उसमें परमेश्‍वर का प्रेम कैसे बना रह सकता है? (व्य. 15:7-8)

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