2 पतरस 2 : 1 (IRVHI)
विनाशकारी सिद्धांत जिस प्रकार उन लोगों में झूठे भविष्यद्वक्ता थे उसी प्रकार तुम में भी झूठे उपदेशक होंगे, जो नाश करनेवाले पाखण्ड का उद्घाटन छिप छिपकर करेंगे और उस प्रभु का जिस ने उन्हें मोल लिया है इन्कार करेंगे और अपने आप को शीघ्र विनाश में डाल देंगे।
2 पतरस 2 : 2 (IRVHI)
और बहुत सारे उनके समान लुचपन करेंगे, जिनके कारण सत्य के मार्ग की निन्दा की जाएगी। (रोम. 2:24, यहे. 36:22)
2 पतरस 2 : 3 (IRVHI)
और वे लोभ के लिये बातें गढ़कर तुम्हें अपने लाभ का कारण बनाएँगे, और जो दण्ड की आज्ञा उन पर पहले से हो चुकी है, उसके आने में कुछ भी देर नहीं, और उनका विनाश उँघता नहीं।
2 पतरस 2 : 4 (IRVHI)
झूठे शिक्षकों का न्याय क्योंकि जब परमेश्‍वर ने उन दूतों को जिन्होंने पाप किया नहीं छोड़ा*, पर नरक में भेजकर अंधेरे कुण्डों में डाल दिया, ताकि न्याय के दिन तक बन्दी रहें।
2 पतरस 2 : 5 (IRVHI)
और प्राचीन युग के संसार को भी न छोड़ा, वरन् भक्तिहीन संसार पर महा जल-प्रलय भेजकर धार्मिकता का प्रचारक नूह समेत आठ व्यक्तियों को बचा लिया; (उत्प. 6:5-8, उत्प. 7:23)
2 पतरस 2 : 6 (IRVHI)
और सदोम और गमोरा के नगरों को विनाश का ऐसा दण्ड दिया, कि उन्हें भस्म करके राख में मिला दिया ताकि वे आनेवाले भक्तिहीन लोगों की शिक्षा के लिये एक दृष्टान्त बनें (यहू. 1:7, उत्प. 19:24)
2 पतरस 2 : 7 (IRVHI)
और धर्मी लूत को जो अधर्मियों के अशुद्ध चाल-चलन से बहुत दुःखी था छुटकारा दिया। (उत्प. 19:12-13, 15)
2 पतरस 2 : 8 (IRVHI)
(क्योंकि वह धर्मी उनके बीच में रहते हुए, और उनके अधर्म के कामों को देख देखकर, और सुन सुनकर, हर दिन अपने सच्चे मन को पीड़ित करता था)।
2 पतरस 2 : 9 (IRVHI)
तो प्रभु के भक्तों को परीक्षा में से निकाल लेना और अधर्मियों को न्याय के दिन तक दण्ड की दशा में रखना भी जानता है।
2 पतरस 2 : 10 (IRVHI)
विशेष करके उन्हें जो अशुद्ध अभिलाषाओं के पीछे शरीर के अनुसार चलते, और प्रभुता को तुच्छ जानते हैं वे ढीठ, और हठी हैं, और ऊँचे पदवालों को बुरा-भला कहने से नहीं डरते।
2 पतरस 2 : 11 (IRVHI)
तो भी स्वर्गदूत जो शक्ति और सामर्थ्य में उनसे बड़े हैं, प्रभु के सामने उन्हें बुरा-भला कहकर दोष नहीं लगाते।
2 पतरस 2 : 12 (IRVHI)
झूठे शिक्षकों की भ्रष्टता पर ये लोग निर्बुद्धि पशुओं ही के तुल्य हैं, जो पकड़े जाने और नाश होने के लिये उत्‍पन्‍न हुए हैं; और जिन बातों को जानते ही नहीं, उनके विषय में औरों को बुरा-भला कहते हैं, वे अपनी सड़ाहट में आप ही सड़ जाएँगे।
2 पतरस 2 : 13 (IRVHI)
औरों का बुरा करने के बदले उन्हीं का बुरा होगा; उन्हें दिन दोपहर सुख-विलास करना भला लगता है; यह कलंक और दोष है जब वे तुम्हारे साथ खाते पीते हैं, तो अपनी ओर से प्रेम भोज करके भोग-विलास करते हैं।
2 पतरस 2 : 14 (IRVHI)
उनकी आँखों में व्यभिचार बसा हुआ है*, और वे पाप किए बिना रुक नहीं सकते; वे चंचल मनवालों को फुसला लेते हैं; उनके मन को लोभ करने का अभ्यास हो गया है, वे सन्ताप के सन्तान हैं।
2 पतरस 2 : 15 (IRVHI)
वे सीधे मार्ग को छोड़कर भटक गए हैं, और बओर के पुत्र बिलाम के मार्ग पर हो लिए हैं; जिस ने अधर्म की मजदूरी को प्रिय जाना; (गिन. 22:5-7)
2 पतरस 2 : 16 (IRVHI)
पर उसके अपराध के विषय में उलाहना दिया गया, यहाँ तक कि अबोल गदही ने मनुष्य की बोली से उस भविष्यद्वक्ता को उसके बावलेपन से रोका। (गिन. 22:26-31)
2 पतरस 2 : 17 (IRVHI)
2 पतरस 2 : 18 (IRVHI)
ये लोग सूखे कुएँ, और आँधी के उड़ाए हुए बादल हैं, उनके लिये अनन्त अंधकार ठहराया गया है। झूठे शिक्षकों के धोखे वे व्यर्थ घमण्ड की बातें कर करके लुचपन के कामों के द्वारा, उन लोगों को शारीरिक अभिलाषाओं में फँसा लेते हैं, जो भटके हुओं में से अभी निकल ही रहे हैं।
2 पतरस 2 : 19 (IRVHI)
वे उन्हें स्वतंत्र होने की प्रतिज्ञा तो देते हैं, पर आप ही सड़ाहट के दास हैं, क्योंकि जो व्यक्ति जिससे हार गया है, वह उसका दास बन जाता है।
2 पतरस 2 : 20 (IRVHI)
और जब वे प्रभु और उद्धारकर्ता यीशु मसीह की पहचान के द्वारा संसार की नाना प्रकार की अशुद्धता से बच निकले, और फिर उनमें फँसकर हार गए, तो उनकी पिछली दशा पहली से भी बुरी हो गई है।
2 पतरस 2 : 21 (IRVHI)
क्योंकि धार्मिकता के मार्ग का न जानना ही उनके लिये इससे भला होता, कि उसे जानकर, उस पवित्र आज्ञा से फिर जाते, जो उन्हें सौंपी गई थी।
2 पतरस 2 : 22 (IRVHI)
उन पर यह कहावत ठीक बैठती है, कि कुत्ता अपनी छाँट की ओर और नहलाई हुई सूअरनी कीचड़ में लोटने के लिये फिर चली जाती है। (नीति. 26:11)

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