प्रेरितों के काम 15 : 1 (IRVHI)
यरूशलेम की सभा फिर कुछ लोग यहूदिया से आकर भाइयों को सिखाने लगे: “यदि मूसा की रीति पर तुम्हारा खतना न हो तो तुम उद्धार नहीं पा सकते।” (लैव्य. 12:3)
प्रेरितों के काम 15 : 2 (IRVHI)
जब पौलुस और बरनबास का उनसे बहुत मतभेद और विवाद हुआ तो यह ठहराया गया, कि पौलुस और बरनबास, और उनमें से कुछ व्यक्ति इस बात के विषय में प्रेरितों और प्राचीनों के पास यरूशलेम को जाएँ।
प्रेरितों के काम 15 : 3 (IRVHI)
अतः कलीसिया ने उन्हें कुछ दूर तक पहुँचाया; और वे फीनीके और सामरिया से होते हुए अन्यजातियों के मन फिराने का समाचार सुनाते गए, और सब भाइयों को बहुत आनन्दित किया।
प्रेरितों के काम 15 : 4 (IRVHI)
जब वे यरूशलेम में पहुँचे, तो कलीसिया और प्रेरित और प्राचीन उनसे आनन्द के साथ मिले, और उन्होंने बताया कि परमेश्वर ने उनके साथ होकर कैसे-कैसे काम किए थे।
प्रेरितों के काम 15 : 5 (IRVHI)
परन्तु फरीसियों के पंथ में से जिन्होंने विश्वास किया था, उनमें से कितनों ने उठकर कहा, “उन्हें खतना कराने और मूसा की व्यवस्था को मानने की आज्ञा देनी चाहिए।”
प्रेरितों के काम 15 : 6 (IRVHI)
तब प्रेरित और प्राचीन इस बात के विषय में विचार करने के लिये इकट्ठे हुए।
प्रेरितों के काम 15 : 7 (IRVHI)
तब पतरस ने बहुत वाद-विवाद हो जाने के बाद खड़े होकर उनसे कहा, “हे भाइयों, तुम जानते हो, कि बहुत दिन हुए, कि परमेश्वर ने तुम में से मुझे चुन लिया, कि मेरे मुँह से अन्यजातियाँ सुसमाचार का वचन सुनकर विश्वास करें।”
प्रेरितों के काम 15 : 8 (IRVHI)
और मन के जाँचने वाले परमेश्वर ने उनको भी हमारे समान पवित्र आत्मा देकर उनकी गवाही दी;
प्रेरितों के काम 15 : 9 (IRVHI)
और विश्वास के द्वारा उनके मन शुद्ध करके हम में और उनमें कुछ भेद न रखा।
प्रेरितों के काम 15 : 10 (IRVHI)
तो अब तुम क्यों परमेश्वर की परीक्षा करते हो, कि चेलों की गर्दन पर ऐसा जूआ रखो, जिसे न हमारे पूर्वज उठा सकते थे और न हम उठा सकते हैं।
प्रेरितों के काम 15 : 11 (IRVHI)
हाँ, हमारा यह तो निश्चय है कि जिस रीति से वे प्रभु यीशु के अनुग्रह से उद्धार पाएँगे*; उसी रीति से हम भी पाएँगे।”
प्रेरितों के काम 15 : 12 (IRVHI)
प्रेरितों के काम 15 : 13 (IRVHI)
तब सारी सभा चुपचाप होकर बरनबास और पौलुस की सुनने लगी, कि परमेश्वर ने उनके द्वारा अन्यजातियों में कैसे-कैसे बड़े चिन्ह, और अद्भुत काम दिखाए। याकूब का निर्णय जब वे चुप हुए, तो याकूब कहने लगा, “हे भाइयों, मेरी सुनो।
प्रेरितों के काम 15 : 14 (IRVHI)
शमौन ने बताया, कि परमेश्वर ने पहले पहल अन्यजातियों पर कैसी कृपादृष्टि की, कि उनमें से अपने नाम के लिये एक लोग बना ले।
प्रेरितों के काम 15 : 15 (IRVHI)
प्रेरितों के काम 15 : 16 (IRVHI)
और इससे भविष्यद्वक्ताओं की बातें भी मिलती हैं, जैसा लिखा है, ‘इसके बाद मैं फिर आकर दाऊद का गिरा हुआ डेरा उठाऊँगा, और उसके खंडहरों को फिर बनाऊँगा, और उसे खड़ा करूँगा, (यिर्म. 12:15)
प्रेरितों के काम 15 : 17 (IRVHI)
इसलिए कि शेष मनुष्य, अर्थात् सब अन्यजाति जो मेरे नाम के कहलाते हैं, प्रभु को ढूँढ़ें,
प्रेरितों के काम 15 : 18 (IRVHI)
यह वही प्रभु कहता है जो जगत की उत्पत्ति से इन बातों का समाचार देता आया है।’ (आमो. 9:9-12, यशा. 45:21)
प्रेरितों के काम 15 : 19 (IRVHI)
इसलिए मेरा विचार यह है, कि अन्यजातियों में से जो लोग परमेश्वर की ओर फिरते हैं, हम उन्हें दुःख न दें;
प्रेरितों के काम 15 : 20 (IRVHI)
परन्तु उन्हें लिख भेजें, कि वे मूरतों की अशुद्धताओं* और व्यभिचार और गला घोंटे हुओं के माँस से और लहू से परे रहें। (उत्प. 9:4, लैव्य. 3:17, लैव्य. 17:10-14)
प्रेरितों के काम 15 : 21 (IRVHI)
क्योंकि पुराने समय से नगर-नगर मूसा की व्यवस्था के प्रचार करनेवाले होते चले आए है, और वह हर सब्त के दिन आराधनालय में पढ़ी जाती है।”
प्रेरितों के काम 15 : 22 (IRVHI)
गैर-यहूदी विश्वासियों को पत्र तब सारी कलीसिया सहित प्रेरितों और प्राचीनों को अच्छा लगा, कि अपने में से कुछ मनुष्यों को चुनें, अर्थात् यहूदा, जो बरसब्बास कहलाता है, और सीलास को जो भाइयों में मुखिया थे; और उन्हें पौलुस और बरनबास के साथ अन्ताकिया को भेजें।
प्रेरितों के काम 15 : 23 (IRVHI)
और उन्होंने उनके हाथ यह लिख भेजा: “अन्ताकिया और सीरिया और किलिकिया के रहनेवाले भाइयों को जो अन्यजातियों में से हैं, प्रेरितों और प्राचीन भाइयों का नमस्कार!
प्रेरितों के काम 15 : 24 (IRVHI)
हमने सुना है, कि हम में से कुछ ने वहाँ जाकर, तुम्हें अपनी बातों से घबरा दिया; और तुम्हारे मन उलट दिए हैं परन्तु हमने उनको आज्ञा नहीं दी थी।
प्रेरितों के काम 15 : 25 (IRVHI)
इसलिए हमने एक चित्त होकर ठीक समझा, कि चुने हुए मनुष्यों को अपने प्रिय बरनबास और पौलुस के साथ तुम्हारे पास भेजें।
प्रेरितों के काम 15 : 26 (IRVHI)
ये तो ऐसे मनुष्य हैं, जिन्होंने अपने प्राण हमारे प्रभु यीशु मसीह के नाम के लिये जोखिम में डाले हैं।
प्रेरितों के काम 15 : 27 (IRVHI)
और हमने यहूदा और सीलास को भेजा है, जो अपने मुँह से भी ये बातें कह देंगे।
प्रेरितों के काम 15 : 28 (IRVHI)
पवित्र आत्मा को, और हमको भी ठीक जान पड़ा कि इन आवश्यक बातों को छोड़; तुम पर और बोझ न डालें;
प्रेरितों के काम 15 : 29 (IRVHI)
कि तुम मूरतों के बलि किए हुओं से, और लहू से, और गला घोंटे हुओं के माँस से, और व्यभिचार से दूर रहो। इनसे दूर रहो तो तुम्हारा भला होगा। आगे शुभकामना।” (उत्प. 9:4, लैव्य. 3:17, लैव्य. 17:10-14)
प्रेरितों के काम 15 : 30 (IRVHI)
फिर वे विदा होकर अन्ताकिया में पहुँचे, और सभा को इकट्ठी करके उन्हें पत्री दे दी।
प्रेरितों के काम 15 : 31 (IRVHI)
और वे पढ़कर उस उपदेश की बात से अति आनन्दित हुए।
प्रेरितों के काम 15 : 32 (IRVHI)
और यहूदा और सीलास ने जो आप भी भविष्यद्वक्ता थे, बहुत बातों से भाइयों को उपदेश देकर स्थिर किया।
प्रेरितों के काम 15 : 33 (IRVHI)
वे कुछ दिन रहकर भाइयों से शान्ति के साथ विदा हुए कि अपने भेजनेवालों के पास जाएँ।
प्रेरितों के काम 15 : 34 (IRVHI)
(परन्तु सीलास को वहाँ रहना अच्छा लगा।)
प्रेरितों के काम 15 : 35 (IRVHI)
और पौलुस और बरनबास अन्ताकिया में रह गए: और अन्य बहुत से लोगों के साथ प्रभु के वचन का उपदेश करते और सुसमाचार सुनाते रहे।
प्रेरितों के काम 15 : 36 (IRVHI)
पौलुस और बरनबास में मतभेद कुछ दिन बाद पौलुस ने बरनबास से कहा, “जिन-जिन नगरों में हमने प्रभु का वचन सुनाया था, आओ, फिर उनमें चलकर अपने भाइयों को देखें कि कैसे हैं।”
प्रेरितों के काम 15 : 37 (IRVHI)
तब बरनबास ने यूहन्ना को जो मरकुस कहलाता है, साथ लेने का विचार किया।
प्रेरितों के काम 15 : 38 (IRVHI)
परन्तु पौलुस ने उसे जो पंफूलिया में उनसे अलग हो गया था, और काम पर उनके साथ न गया, साथ ले जाना अच्छा न समझा।
प्रेरितों के काम 15 : 39 (IRVHI)
प्रेरितों के काम 15 : 40 (IRVHI)
अतः ऐसा विवाद उठा कि वे एक दूसरे से अलग हो गए; और बरनबास, मरकुस को लेकर जहाज से साइप्रस को चला गया। पौलुस की (सीलास के साथ) द्वितीय प्रचार यात्रा परन्तु पौलुस ने सीलास को चुन लिया, और भाइयों से परमेश्वर के अनुग्रह में सौंपा जाकर वहाँ से चला गया।
प्रेरितों के काम 15 : 41 (IRVHI)
और कलीसियाओं को स्थिर करता हुआ, सीरिया और किलिकिया से होते हुए निकला।
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