व्यवस्थाविवरण 23 : 1 (IRVHI)
{बहिष्करण और समावेशन} [PS] “जिसके अंड कुचले गए या लिंग काट डाला गया हो वह यहोवा की सभा में न आने पाए।
व्यवस्थाविवरण 23 : 2 (IRVHI)
“कोई कुकर्म से जन्मा हुआ यहोवा की सभा में न आने पाए; किन्तु दस पीढ़ी तक उसके वंश का कोई यहोवा की सभा में न आने पाए।
व्यवस्थाविवरण 23 : 3 (IRVHI)
“कोई अम्मोनी या मोआबी यहोवा की सभा में न आने पाए; उनकी दसवीं पीढ़ी तक का कोई यहोवा की सभा में कभी न आने पाए;
व्यवस्थाविवरण 23 : 4 (IRVHI)
इस कारण से कि जब तुम मिस्र से निकलकर आते थे तब उन्होंने अन्न जल लेकर मार्ग में तुम से भेंट नहीं की, और यह भी कि उन्होंने अरम्नहरैम देश के पतोर नगरवाले बोर के पुत्र बिलाम को तुझे श्राप देने के लिये दक्षिणा दी।
व्यवस्थाविवरण 23 : 5 (IRVHI)
परन्तु तेरे परमेश्‍वर यहोवा ने बिलाम की न सुनी; किन्तु तेरे परमेश्‍वर यहोवा ने तेरे निमित्त उसके श्राप को आशीष में बदल दिया, इसलिए कि तेरा परमेश्‍वर यहोवा तुझसे प्रेम रखता था।
व्यवस्थाविवरण 23 : 6 (IRVHI)
तू जीवन भर उनका कुशल और भलाई कभी न चाहना।
व्यवस्थाविवरण 23 : 7 (IRVHI)
“किसी एदोमी से घृणा न करना, क्योंकि वह तेरा भाई है; किसी मिस्री से भी घृणा न करना, क्योंकि उसके देश में तू परदेशी होकर रहा था।
व्यवस्थाविवरण 23 : 8 (IRVHI)
उनके जो परपोते उत्‍पन्‍न हों* वे यहोवा की सभा में आने पाएँ। {छावनी की साफ-सफाई} [PS]
व्यवस्थाविवरण 23 : 9 (IRVHI)
“जब तू शत्रुओं से लड़ने को जाकर छावनी डाले, तब सब प्रकार की बुरी बातों से बचे रहना।
व्यवस्थाविवरण 23 : 10 (IRVHI)
यदि तेरे बीच कोई पुरुष उस अशुद्धता से जो रात्रि को आप से आप हुआ करती है अशुद्ध हुआ हो, तो वह छावनी से बाहर जाए, और छावनी के भीतर न आए;
व्यवस्थाविवरण 23 : 11 (IRVHI)
परन्तु संध्या से कुछ पहले वह स्नान करे, और जब सूर्य डूब जाए तब छावनी में आए।
व्यवस्थाविवरण 23 : 12 (IRVHI)
“छावनी के बाहर तेरे दिशा फिरने का एक स्थान हुआ करे, और वहीं दिशा फिरने को जाया करना;
व्यवस्थाविवरण 23 : 13 (IRVHI)
और तेरे पास के हथियारों में एक खनती भी रहे; और जब तू दिशा फिरने को बैठे, तब उससे खोदकर अपने मल को ढाँप देना।
व्यवस्थाविवरण 23 : 14 (IRVHI)
क्योंकि तेरा परमेश्‍वर यहोवा तुझको बचाने और तेरे शत्रुओं को तुझ से हरवाने को तेरी छावनी के मध्य घूमता रहेगा, इसलिए तेरी छावनी पवित्र रहनी चाहिये, ऐसा न हो कि वह तेरे मध्य में कोई अशुद्ध वस्तु देखकर तुझ से फिर जाए। [PS]
व्यवस्थाविवरण 23 : 15 (IRVHI)
{भगोड़ा दास} [PS] “जो दास अपने स्वामी के पास से भागकर तेरी शरण ले* उसको उसके स्वामी के हाथ न पकड़ा देना;
व्यवस्थाविवरण 23 : 16 (IRVHI)
वह तेरे बीच जो नगर उसे अच्छा लगे उसी में तेरे संग रहने पाए; और तू उस पर अत्याचार न करना। [PS]
व्यवस्थाविवरण 23 : 17 (IRVHI)
{वेश्यावृत्ति वर्जित} [PS] “इस्राएली स्त्रियों में से कोई देवदासी न हो*, और न इस्राएलियों में से कोई पुरुष ऐसा बुरा काम करनेवाला हो।
व्यवस्थाविवरण 23 : 18 (IRVHI)
तू वेश्यापन की कमाई या कुत्ते की कमाई किसी मन्नत को पूरी करने के लिये अपने परमेश्‍वर यहोवा के घर में न लाना; क्योंकि तेरे परमेश्‍वर यहोवा के समीप ये दोनों की दोनों कमाई घृणित कर्म है। [PS]
व्यवस्थाविवरण 23 : 19 (IRVHI)
{ऋणों पर ब्याज} [PS] “अपने किसी भाई को ब्याज पर ऋण न देना, चाहे रुपया हो, चाहे भोजन वस्तु हो, चाहे कोई वस्तु हो जो ब्याज पर दी जाती है, उसे ब्याज पर न देना।
व्यवस्थाविवरण 23 : 20 (IRVHI)
तू परदेशी को ब्याज पर ऋण तो दे, परन्तु अपने किसी भाई से ऐसा न करना, ताकि जिस देश का अधिकारी होने को तू जा रहा है, वहाँ जिस-जिस काम में अपना हाथ लगाए, उन सभी में तेरा परमेश्‍वर यहोवा तुझे आशीष दे। [PS]
व्यवस्थाविवरण 23 : 21 (IRVHI)
{मन्नत} [PS] “जब तू अपने परमेश्‍वर यहोवा के लिये मन्नत माने, तो उसे पूरी करने में विलम्ब न करना; क्योंकि तेरा परमेश्‍वर यहोवा उसे निश्चय तुझ से ले लेगा, और विलम्ब करने से तू पापी ठहरेगा। (मत्ती 5:33)
व्यवस्थाविवरण 23 : 22 (IRVHI)
परन्तु यदि तू मन्नत न माने, तो तेरा कोई पाप नहीं।
व्यवस्थाविवरण 23 : 23 (IRVHI)
जो कुछ तेरे मुँह से निकले उसके पूरा करने में चौकसी करना; तू अपने मुँह से वचन देकर अपनी इच्छा से अपने परमेश्‍वर यहोवा की जैसी मन्नत माने, वैसा ही स्वतंत्रता पूर्वक उसे पूरा करना। [PS]
व्यवस्थाविवरण 23 : 24 (IRVHI)
{पड़ोसी की फसलें} [PS] “जब तू किसी दूसरे की दाख की बारी में जाए, तब पेट भर मनमाने दाख खा तो खा, परन्तु अपने पात्र में कुछ न रखना।
व्यवस्थाविवरण 23 : 25 (IRVHI)
और जब तू किसी दूसरे के खड़े खेत में जाए, तब तू हाथ से बालें तोड़ सकता है, परन्तु किसी दूसरे के खड़े खेत पर हँसुआ न लगाना। (मत्ती 12:1) [PE]

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