व्यवस्थाविवरण 32 : 1 (IRVHI)
मूसा का प्रसिद्ध गीत “हे आकाश कान लगा, कि मैं बोलूँ; और हे पृथ्वी, मेरे मुँह की बातें सुन।
व्यवस्थाविवरण 32 : 2 (IRVHI)
मेरा उपदेश मेंह के समान बरसेगा और मेरी बातें ओस के समान टपकेंगी, जैसे कि हरी घास पर झींसी, और पौधों पर झड़ियाँ।
व्यवस्थाविवरण 32 : 3 (IRVHI)
मैं तो यहोवा के नाम का प्रचार करूँगा। तुम अपने परमेश्‍वर की महिमा को मानो!
व्यवस्थाविवरण 32 : 4 (IRVHI)
“वह चट्टान है, उसका काम खरा है*; और उसकी सारी गति न्याय की है। वह सच्चा परमेश्‍वर है, उसमें कुटिलता नहीं, वह धर्मी और सीधा है। (रोमी. 9:14)
व्यवस्थाविवरण 32 : 5 (IRVHI)
परन्तु इसी जाति के लोग टेढ़े और तिरछे हैं; ये बिगड़ गए, ये उसके पुत्र नहीं*; यह उनका कलंक है। (मत्ती 17:17)
व्यवस्थाविवरण 32 : 6 (IRVHI)
हे मूर्ख और निर्बुद्धि लोगों, क्या तुम यहोवा को यह बदला देते हो? क्या वह तेरा पिता नहीं है, जिसने तुमको मोल लिया है? उसने तुझको बनाया और स्थिर भी किया है।
व्यवस्थाविवरण 32 : 7 (IRVHI)
प्राचीनकाल के दिनों को स्मरण करो, पीढ़ी-पीढ़ी के वर्षों को विचारों; अपने बाप से पूछो, और वह तुमको बताएगा; अपने वृद्ध लोगों से प्रश्न करो, और वे तुझ से कह देंगे।
व्यवस्थाविवरण 32 : 8 (IRVHI)
जब परमप्रधान ने एक-एक जाति को निज-निज भाग बाँट दिया, और आदमियों को अलग-अलग बसाया, तब उसने देश-देश के लोगों की सीमाएँ इस्राएलियों की गिनती के अनुसार ठहराई। (प्रेरि. 17:26)
व्यवस्थाविवरण 32 : 9 (IRVHI)
क्योंकि यहोवा का अंश उसकी प्रजा है; याकूब उसका नपा हुआ निज भाग है।
व्यवस्थाविवरण 32 : 10 (IRVHI)
“उसने उसको जंगल में, और सुनसान और गरजनेवालों से भरी हुई मरूभूमि में पाया; उसने उसके चारों ओर रहकर उसकी रक्षा की, और अपनी आँख की पुतली के समान उसकी सुधि रखी।
व्यवस्थाविवरण 32 : 11 (IRVHI)
जैसे उकाब अपने घोंसले को हिला-हिलाकर अपने बच्चों के ऊपर-ऊपर मण्डराता है, वैसे ही उसने अपने पंख फैलाकर उसको अपने परों पर उठा लिया।
व्यवस्थाविवरण 32 : 12 (IRVHI)
यहोवा अकेला ही उसकी अगुआई करता रहा, और उसके संग कोई पराया देवता न था।
व्यवस्थाविवरण 32 : 13 (IRVHI)
उसने उसको पृथ्वी के ऊँचे-ऊँचे स्थानों पर सवार कराया, और उसको खेतों की उपज खिलाई; उसने उसे चट्टान में से मधु और चकमक की चट्टान में से तेल चुसाया।
व्यवस्थाविवरण 32 : 14 (IRVHI)
गायों का दही, और भेड़-बकरियों का दूध, मेम्नों की चर्बी, बकरे और बाशान की जाति के मेढ़े, और गेहूँ का उत्तम से उत्तम आटा भी खाया; और तू दाखरस का मधु पिया करता था।
व्यवस्थाविवरण 32 : 15 (IRVHI)
“परन्तु यशूरून मोटा होकर लात मारने लगा; तू मोटा और हष्ट-पुष्ट हो गया, और चर्बी से छा गया है; तब उसने अपने सृजनहार परमेश्‍वर को तज दिया, और अपने उद्धार चट्टान को तुच्छ जाना।
व्यवस्थाविवरण 32 : 16 (IRVHI)
उन्होंने पराए देवताओं को मानकर उसमें जलन उपजाई*; और घृणित कर्म करके उसको रिस दिलाई।
व्यवस्थाविवरण 32 : 17 (IRVHI)
उन्होंने पिशाचों के लिये जो परमेश्‍वर न थे बलि चढ़ाए, और उनके लिये वे अनजाने देवता थे, वे तो नये-नये देवता थे जो थोड़े ही दिन से प्रकट हुए थे, और जिनसे उनके पुरखा कभी डरे नहीं। (1 कुरि. 10:20)
व्यवस्थाविवरण 32 : 18 (IRVHI)
जिस चट्टान से तू उत्‍पन्‍न हुआ उसको तू भूल गया, और परमेश्‍वर जिससे तेरी उत्पत्ति हुई उसको भी तू भूल गया है। (इब्रा. 1:2)
व्यवस्थाविवरण 32 : 19 (IRVHI)
“इन बातों को देखकर यहोवा ने उन्हें तुच्छ जाना, क्योंकि उसके बेटे-बेटियों ने उसे रिस दिलाई थी।
व्यवस्थाविवरण 32 : 20 (IRVHI)
तब उसने कहा, 'मैं उनसे अपना मुख छिपा लूँगा, और देखूँगा कि उनका अन्त कैसा होगा, क्योंकि इस जाति के लोग बहुत टेढ़े हैं और धोखा देनेवाले पुत्र हैं। (मत्ती 17:17)
व्यवस्थाविवरण 32 : 21 (IRVHI)
उन्होंने ऐसी वस्तु को जो परमेश्‍वर नहीं है मानकर, मुझ में जलन उत्‍पन्‍न की; और अपनी व्यर्थ वस्तुओं के द्वारा मुझे रिस दिलाई। इसलिए मैं भी उनके द्वारा जो मेरी प्रजा नहीं हैं उनके मन में जलन उत्‍पन्‍न करूँगा; और एक मूर्ख जाति के द्वारा उन्हें रिस दिलाऊँगा। (रोमी. 11:11)
व्यवस्थाविवरण 32 : 22 (IRVHI)
क्योंकि मेरे कोप की आग भड़क उठी है, जो पाताल की तह तक जलती जाएगी, और पृथ्वी अपनी उपज समेत भस्म हो जाएगी, और पहाड़ों की नींवों में भी आग लगा देगी।
व्यवस्थाविवरण 32 : 23 (IRVHI)
“मैं उन पर विपत्ति पर विपत्ति भेजूँगा; और उन पर मैं अपने सब तीरों को छोड़ूँगा।
व्यवस्थाविवरण 32 : 24 (IRVHI)
वे भूख से दुबले हो जाएँगे, और अंगारों से और कठिन महारोगों से ग्रसित हो जाएँगे; और मैं उन पर पशुओं के दाँत लगवाऊँगा, और धूलि पर रेंगनेवाले सर्पों का विष छोड़ दूँगा।।
व्यवस्थाविवरण 32 : 25 (IRVHI)
बाहर वे तलवार से मरेंगे, और कोठरियों के भीतर भय से; क्या कुँवारे और कुँवारियाँ, क्या दूध पीता हुआ बच्चा क्या पक्के बालवाले, सब इसी प्रकार बर्बाद होंगे।
व्यवस्थाविवरण 32 : 26 (IRVHI)
मैंने कहा था, कि मैं उनको दूर-दूर तक तितर-बितर करूँगा, और मनुष्यों में से उनका स्मरण तक मिटा डालूँगा;
व्यवस्थाविवरण 32 : 27 (IRVHI)
परन्तु मुझे शत्रुओं की छेड़-छाड़ का डर था, ऐसा न हो कि द्रोही इसको उलटा समझकर यह कहने लगें, 'हम अपने ही बाहुबल से प्रबल हुए, और यह सब यहोवा से नहीं हुआ।'
व्यवस्थाविवरण 32 : 28 (IRVHI)
“क्योंकि इस्राएल जाति युक्तिहीन है, और इनमें समझ है ही नहीं।
व्यवस्थाविवरण 32 : 29 (IRVHI)
भला होता कि ये बुद्धिमान होते, कि इसको समझ लेते, और अपने अन्त का विचार करते! (लूका 19:42)
व्यवस्थाविवरण 32 : 30 (IRVHI)
यदि उनकी चट्टान ही उनको न बेच देती, और यहोवा उनको दूसरों के हाथ में न कर देता; तो यह कैसे हो सकता कि उनके हजार का पीछा एक मनुष्य करता, और उनके दस हजार को दो मनुष्य भगा देते?
व्यवस्थाविवरण 32 : 31 (IRVHI)
क्योंकि जैसी हमारी चट्टान है वैसी उनकी चट्टान नहीं है, चाहे हमारे शत्रु ही क्यों न न्यायी हों।
व्यवस्थाविवरण 32 : 32 (IRVHI)
क्योंकि उनकी दाखलता सदोम की दाखलता से निकली, और गमोरा की दाख की बारियों में की है; उनकी दाख विषभरी और उनके गुच्छे कड़वे हैं;
व्यवस्थाविवरण 32 : 33 (IRVHI)
उनका दाखमधु साँपों का सा विष और काले नागों का सा हलाहल है।
व्यवस्थाविवरण 32 : 34 (IRVHI)
“क्या यह बात मेरे मन में संचित, और मेरे भण्डारों में मुहरबन्द नहीं है?
व्यवस्थाविवरण 32 : 35 (IRVHI)
पलटा लेना और बदला देना मेरा ही काम है, यह उनके पाँव फिसलने के समय प्रगट होगा; क्योंकि उनकी विपत्ति का दिन निकट है, और जो दुःख उन पर पड़नेवाले हैं वे शीघ्र आ रहे हैं। (लूका 21:22, रोमी. 12:19)
व्यवस्थाविवरण 32 : 36 (IRVHI)
क्योंकि जब यहोवा देखेगा कि मेरी प्रजा की शक्ति जाती रही, और क्या बन्धुआ और क्या स्वाधीन, उनमें कोई बचा नहीं रहा, तब यहोवा अपने लोगों का न्याय करेगा, और अपने दासों के विषय में तरस खाएगा।
व्यवस्थाविवरण 32 : 37 (IRVHI)
तब वह कहेगा, उनके देवता कहाँ हैं, अर्थात् वह चट्टान कहाँ जिस पर उनका भरोसा था,
व्यवस्थाविवरण 32 : 38 (IRVHI)
जो उनके बलिदानों की चर्बी खाते, और उनके तपावनों का दाखमधु पीते थे? वे ही उठकर तुम्हारी सहायता करें, और तुम्हारी आड़ हों!
व्यवस्थाविवरण 32 : 39 (IRVHI)
“इसलिए अब तुम देख लो कि मैं ही वह हूँ, और मेरे संग कोई देवता नहीं; मैं ही मार डालता, और मैं जिलाता भी हूँ; मैं ही घायल करता, और मैं ही चंगा भी करता हूँ; और मेरे हाथ से कोई नहीं छुड़ा सकता।
व्यवस्थाविवरण 32 : 40 (IRVHI)
क्योंकि मैं अपना हाथ स्वर्ग की ओर उठाकर कहता* हूँ, क्योंकि मैं अनन्तकाल के लिये जीवित हूँ,
व्यवस्थाविवरण 32 : 41 (IRVHI)
इसलिए यदि मैं बिजली की तलवार पर सान धरकर झलकाऊँ, और न्याय अपने हाथ में ले लूँ, तो अपने द्रोहियों से बदला लूँगा, और अपने बैरियों को बदला दूँगा।
व्यवस्थाविवरण 32 : 42 (IRVHI)
मैं अपने तीरों को लहू से मतवाला करूँगा, और मेरी तलवार माँस खाएगी— वह लहू, मारे हुओं और बन्दियों का, और वह माँस, शत्रुओं के लम्बे बाल वाले प्रधानों का होगा।
व्यवस्थाविवरण 32 : 43 (IRVHI)
“हे अन्यजातियों, उसकी प्रजा के साथ आनन्द मनाओ; क्योंकि वह अपने दासों के लहू का पलटा लेगा, और अपने द्रोहियों को बदला देगा, और अपने देश और अपनी प्रजा के पाप के लिये प्रायश्चित देगा।”
व्यवस्थाविवरण 32 : 44 (IRVHI)
मूसा के अन्तिम निर्देश (रोमी. 15:10) इस गीत के सब वचन मूसा ने नून के पुत्र यहोशू समेत आकर लोगों को सुनाए।
व्यवस्थाविवरण 32 : 45 (IRVHI)
जब मूसा ये सब वचन सब इस्राएलियों से कह चुका,
व्यवस्थाविवरण 32 : 46 (IRVHI)
तब उसने उनसे कहा, “जितनी बातें मैं आज तुम से चिताकर कहता हूँ उन सब पर अपना-अपना मन लगाओ, और उनके अर्थात् इस व्यवस्था की सारी बातों के मानने में चौकसी करने की आज्ञा अपने बच्चों को दो।
व्यवस्थाविवरण 32 : 47 (IRVHI)
क्योंकि यह तुम्हारे लिये व्यर्थ काम नहीं, परन्तु तुम्हारा जीवन ही है, और ऐसा करने से उस देश में तुम्हारी आयु के दिन बहुत होंगे, जिसके अधिकारी होने को तुम यरदन पार जा रहे हो।”
व्यवस्थाविवरण 32 : 48 (IRVHI)
नबो नामक चोटी पर मूसा फिर उसी दिन यहोवा ने मूसा से कहा,
व्यवस्थाविवरण 32 : 49 (IRVHI)
“उस अबारीम पहाड़ की नबो नामक चोटी पर, जो मोआब देश में यरीहो के सामने है, चढ़कर कनान देश, जिसे मैं इस्राएलियों की निज भूमि कर देता हूँ, उसको देख ले।
व्यवस्थाविवरण 32 : 50 (IRVHI)
तब जैसा तेरा भाई हारून होर पहाड़ पर मरकर अपने लोगों में मिल गया, वैसा ही तू इस पहाड़ पर चढ़कर मर जाएगा, और अपने लोगों में मिल जाएगा।
व्यवस्थाविवरण 32 : 51 (IRVHI)
इसका कारण यह है, कि सीन जंगल में, कादेश के मरीबा नाम सोते पर, तुम दोनों ने मेरा अपराध किया, क्योंकि तुमने इस्राएलियों के मध्य में मुझे पवित्र न ठहराया।
व्यवस्थाविवरण 32 : 52 (IRVHI)
इसलिए वह देश जो मैं इस्राएलियों को देता हूँ, तू अपने सामने देख लेगा, परन्तु वहाँ जाने न पाएगा।”

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