व्यवस्थाविवरण 5 : 1 (IRVHI)
दस आज्ञाएँ मूसा ने सारे इस्राएलियों को बुलवाकर कहा, “हे इस्राएलियों, जो-जो विधि और नियम मैं आज तुम्हें सुनाता हूँ वे सुनो, इसलिए कि उन्हें सीखकर मानने में चौकसी करो।
व्यवस्थाविवरण 5 : 2 (IRVHI)
हमारे परमेश्‍वर यहोवा ने तो होरेब पर हम से वाचा बाँधी।
व्यवस्थाविवरण 5 : 3 (IRVHI)
इस वाचा को यहोवा ने हमारे पितरों से नहीं*, हम ही से बाँधा, जो यहाँ आज के दिन जीवित हैं।
व्यवस्थाविवरण 5 : 4 (IRVHI)
यहोवा ने उस पर्वत पर आग के बीच में से तुम लोगों से आमने-सामने बातें की; (प्रेरि. 7:38)
व्यवस्थाविवरण 5 : 5 (IRVHI)
उस आग के डर के मारे तुम पर्वत पर न चढ़े, इसलिए मैं यहोवा के और तुम्हारे बीच उसका वचन तुम्हें बताने को खड़ा रहा। तब उसने कहा,
व्यवस्थाविवरण 5 : 6 (IRVHI)
'तेरा परमेश्‍वर यहोवा, जो तुझे दासत्व के घर अर्थात् मिस्र देश में से निकाल लाया है, वह मैं हूँ।
व्यवस्थाविवरण 5 : 7 (IRVHI)
'मुझे छोड़ दूसरों को परमेश्‍वर करके न मानना।
व्यवस्थाविवरण 5 : 8 (IRVHI)
'तू अपने लिये कोई मूर्ति खोदकर न बनाना, न किसी की प्रतिमा बनाना जो आकाश में, या पृथ्वी पर, या पृथ्वी के जल में है;
व्यवस्थाविवरण 5 : 9 (IRVHI)
तू उनको दण्डवत् न करना और न उनकी उपासना करना; क्योंकि मैं तेरा परमेश्‍वर यहोवा जलन रखनेवाला परमेश्‍वर हूँ, और जो मुझसे बैर रखते हैं उनके बेटों, पोतों, और परपोतों को पितरों का दण्ड दिया करता हूँ,
व्यवस्थाविवरण 5 : 10 (IRVHI)
और जो मुझसे प्रेम रखते और मेरी आज्ञाओं को मानते हैं उन हजारों पर करुणा किया करता हूँ।
व्यवस्थाविवरण 5 : 11 (IRVHI)
'तू अपने परमेश्‍वर यहोवा का नाम व्यर्थ न लेना; क्योंकि जो यहोवा का नाम व्यर्थ ले वह उनको निर्दोष न ठहराएगा। (मत्ती 5:33)
व्यवस्थाविवरण 5 : 12 (IRVHI)
'तू विश्रामदिन को मानकर पवित्र रखना, जैसे तेरे परमेश्‍वर यहोवा ने तुझे आज्ञा दी। (मर. 2:27)
व्यवस्थाविवरण 5 : 13 (IRVHI)
छः दिन तो परिश्रम करके अपना सारा काम-काज करना; (लूका 13:14)
व्यवस्थाविवरण 5 : 14 (IRVHI)
परन्तु सातवाँ दिन तेरे परमेश्‍वर यहोवा के लिये विश्रामदिन है; उसमें न तू किसी भाँति का काम-काज करना, न तेरा बेटा, न तेरी बेटी, न तेरा दास, न तेरी दासी, न तेरा बैल, न तेरा गदहा, न तेरा कोई पशु, न कोई परदेशी भी जो तेरे फाटकों के भीतर हो; जिससे तेरा दास और तेरी दासी भी तेरे समान विश्राम करे। (मत्ती 12:2, लूका 23:56)
व्यवस्थाविवरण 5 : 15 (IRVHI)
और इस बात को स्मरण रखना कि मिस्र देश में तू आप दास था, और वहाँ से तेरा परमेश्‍वर यहोवा तुझे बलवन्त हाथ और बढ़ाई हुई भुजा के द्वारा निकाल लाया; इस कारण तेरा परमेश्‍वर यहोवा तुझे विश्रामदिन मानने की आज्ञा देता है।
व्यवस्थाविवरण 5 : 16 (IRVHI)
'अपने पिता और अपनी माता का आदर करना, जैसे कि तेरे परमेश्‍वर यहोवा ने तुझे आज्ञा दी है; जिससे जो देश तेरा परमेश्‍वर यहोवा तुझे देता है उसमें तू बहुत दिन तक रहने पाए, और तेरा भला हो। (मत्ती15:4 मर. 7:10 मर. 10:19 इफिसियों 6:2-3)
व्यवस्थाविवरण 5 : 17 (IRVHI)
'तू हत्या न करना। (मत्ती 5:21, याकूब. 2:11)
व्यवस्थाविवरण 5 : 18 (IRVHI)
'तू व्यभिचार न करना। (मत्ती 5:27, याकूब. 2:11, रोमियों. 7:7, रोमियों. 13:9)
व्यवस्थाविवरण 5 : 19 (IRVHI)
'तू चोरी न करना।
व्यवस्थाविवरण 5 : 20 (IRVHI)
'तू किसी के विरुद्ध झूठी साक्षी न देना। (लूका 18:20)
व्यवस्थाविवरण 5 : 21 (IRVHI)
'तू न किसी की पत्‍नी का लालच करना, और न किसी के घर का लालच करना, न उसके खेत का, न उसके दास का, न उसकी दासी का, न उसके बैल या गदहे का, न उसकी किसी और वस्तु का लालच करना।'
व्यवस्थाविवरण 5 : 22 (IRVHI)
“यही वचन यहोवा ने उस पर्वत पर आग, और बादल, और घोर अंधकार के बीच में से तुम्हारी सारी मण्डली से पुकारकर कहा; और इससे अधिक और कुछ न कहा*। और उन्हें उसने पत्थर की दो पटियाओं पर लिखकर मुझे दे दिया।
व्यवस्थाविवरण 5 : 23 (IRVHI)
{परमेश्‍वर के तेज से लोगों का भयभीत होना } “जब पर्वत आग से दहक रहा था, और तुमने उस शब्द को अंधियारे के बीच में से आते सुना, तब तुम और तुम्हारे गोत्रों के सब मुख्य-मुख्य पुरुष और तुम्हारे पुरनिए मेरे पास आए; (इब्रा. 12:19)
व्यवस्थाविवरण 5 : 24 (IRVHI)
और तुम कहने लगे, 'हमारे परमेश्‍वर यहोवा ने हमको अपना तेज और अपनी महिमा दिखाई है, और हमने उसका शब्द आग के बीच में से आते हुए सुना; आज हमने देख लिया कि यद्यपि परमेश्‍वर मनुष्य से बातें करता है तो भी मनुष्य जीवित रहता है। (निर्ग. 19:19)
व्यवस्थाविवरण 5 : 25 (IRVHI)
अब हम क्यों मर जाएँ? क्योंकि ऐसी बड़ी आग से हम भस्म हो जाएँगे; और यदि हम अपने परमेश्‍वर यहोवा का शब्द फिर सुनें, तब तो मर ही जाएँगे। (इब्रा. 12:19)
व्यवस्थाविवरण 5 : 26 (IRVHI)
क्योंकि सारे प्राणियों में से कौन ऐसा है जो हमारे समान जीवित और अग्नि के बीच में से बोलते हुए परमेश्‍वर का शब्द सुनकर जीवित बचा रहे? (व्य. 4:33)
व्यवस्थाविवरण 5 : 27 (IRVHI)
इसलिए तू समीप जा, और जो कुछ हमारा परमेश्‍वर यहोवा कहे उसे सुन ले; फिर जो कुछ हमारा परमेश्‍वर यहोवा कहे उसे हम से कहना; और हम उसे सुनेंगे और उसे मानेंगे।'
व्यवस्थाविवरण 5 : 28 (IRVHI)
{परमेश्‍वर का मूसा से बात करना } “जब तुम मुझसे ये बातें कह रहे थे तब यहोवा ने तुम्हारी बातें सुनीं; तब उसने मुझसे कहा, 'इन लोगों ने जो-जो बातें तुझसे कही हैं मैंने सुनी हैं; इन्होंने जो कुछ कहा वह ठीक ही कहा।
व्यवस्थाविवरण 5 : 29 (IRVHI)
भला होता कि उनका मन सदैव ऐसा ही बना रहे, कि वे मेरा भय मानते हुए मेरी सब आज्ञाओं पर चलते रहें, जिससे उनकी और उनके वंश की सदैव भलाई होती रहे!
व्यवस्थाविवरण 5 : 30 (IRVHI)
इसलिए तू जाकर उनसे कह दे, कि अपने-अपने डेरों को लौट जाओ।
व्यवस्थाविवरण 5 : 31 (IRVHI)
परन्तु तू यहीं मेरे पास खड़ा रह, और मैं वे सारी आज्ञाएँ और विधियाँ और नियम जिन्हें तुझे उनको सिखाना होगा तुझसे कहूँगा, जिससे वे उन्हें उस देश में जिसका अधिकार मैं उन्हें देने पर हूँ मानें।' (गल. 3:19)
व्यवस्थाविवरण 5 : 32 (IRVHI)
इसलिए तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा की आज्ञा के अनुसार करने में चौकसी करना; न तो दाहिने मुड़ना और न बाएँ।
व्यवस्थाविवरण 5 : 33 (IRVHI)
जिस मार्ग पर चलने की आज्ञा तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने तुमको दी है उस सारे मार्ग पर चलते रहो, कि तुम जीवित रहो, और तुम्हारा भला हो, और जिस देश के तुम अधिकारी होंगे उसमें तुम बहुत दिनों के लिये बने रहो। (लूका 1:6)

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