इफिसियों 5 : 1 (IRVHI)
{प्रेम में चलो} [PS] इसलिए प्रिय बच्चों के समान परमेश्‍वर का अनुसरण करो;
इफिसियों 5 : 2 (IRVHI)
और प्रेम में चलो जैसे मसीह ने भी तुम से प्रेम किया; और हमारे लिये अपने आप को सुखदायक सुगन्ध के लिये परमेश्‍वर के आगे भेंट करके बलिदान कर दिया। (यूह. 13:34, गला. 2:20) [PE][PS]
इफिसियों 5 : 3 (IRVHI)
जैसा पवित्र लोगों के योग्य है, वैसा तुम में व्यभिचार, और किसी प्रकार के अशुद्ध काम, या लोभ की चर्चा तक न हो।
इफिसियों 5 : 4 (IRVHI)
और न निर्लज्जता, न मूर्खता की बातचीत की, न उपहास किया*, क्योंकि ये बातें शोभा नहीं देती, वरन् धन्यवाद ही सुना जाए। [PE][PS]
इफिसियों 5 : 5 (IRVHI)
क्योंकि तुम यह जानते हो कि किसी व्यभिचारी, या अशुद्ध जन, या लोभी मनुष्य की, जो मूर्तिपूजक के बराबर है, मसीह और परमेश्‍वर के राज्य में विरासत नहीं।
इफिसियों 5 : 6 (IRVHI)
कोई तुम्हें व्यर्थ बातों से धोखा न दे; क्योंकि इन ही कामों के कारण परमेश्‍वर का क्रोध आज्ञा न माननेवालों पर भड़कता है।
इफिसियों 5 : 7 (IRVHI)
इसलिए तुम उनके सहभागी न हो। [PS]
इफिसियों 5 : 8 (IRVHI)
{ज्योति में चलो} [PS] क्योंकि तुम तो पहले अंधकार थे* परन्तु अब प्रभु में ज्योति हो, अतः ज्योति की सन्तान के समान चलो।
इफिसियों 5 : 9 (IRVHI)
(क्योंकि ज्योति का फल सब प्रकार की भलाई, और धार्मिकता, और सत्य है),
इफिसियों 5 : 10 (IRVHI)
और यह परखो, कि प्रभु को क्या भाता है?
इफिसियों 5 : 11 (IRVHI)
और अंधकार के निष्फल कामों में सहभागी न हो, वरन् उन पर उलाहना दो।
इफिसियों 5 : 12 (IRVHI)
क्योंकि उनके गुप्त कामों की चर्चा भी लज्जा की बात है। [PE][PS]
इफिसियों 5 : 13 (IRVHI)
पर जितने कामों पर उलाहना दिया जाता है वे सब ज्योति से प्रगट होते हैं, क्योंकि जो सब कुछ को प्रगट करता है, वह ज्योति है।
इफिसियों 5 : 14 (IRVHI)
इस कारण वह कहता है, [QBR] “हे सोनेवाले जाग [QBR] और मुर्दों में से जी उठ; [QBR] तो मसीह की ज्योति तुझ पर चमकेगी।” (रोम. 13:11-12, यशा. 60:1) [PS]
इफिसियों 5 : 15 (IRVHI)
{बुद्धि में चलो} [PS] इसलिए ध्यान से देखो, कि कैसी चाल चलते हो; निर्बुद्धियों के समान नहीं पर बुद्धिमानों के समान चलो।
इफिसियों 5 : 16 (IRVHI)
और अवसर को बहुमूल्य समझो, क्योंकि दिन बुरे हैं। (आमो. 5:13, कुलु. 4:5)
इफिसियों 5 : 17 (IRVHI)
इस कारण निर्बुद्धि न हो, पर ध्यान से समझो, कि प्रभु की इच्छा क्या है। [PE][PS]
इफिसियों 5 : 18 (IRVHI)
और दाखरस से मतवाले न बनो, क्योंकि इससे लुचपन होता है, पर पवित्र आत्मा से परिपूर्ण होते जाओ, (नीति. 23:31-32, गला. 5:21-25)
इफिसियों 5 : 19 (IRVHI)
और आपस में भजन और स्तुतिगान और आत्मिक गीत गाया करो, और अपने-अपने मन में प्रभु के सामने गाते और स्तुति करते रहो। (कुलु. 3:16, 1 कुरि. 14:26)
इफिसियों 5 : 20 (IRVHI)
और सदा सब बातों के लिये हमारे प्रभु यीशु मसीह के नाम से परमेश्‍वर पिता का धन्यवाद करते रहो।
इफिसियों 5 : 21 (IRVHI)
और मसीह के भय से एक दूसरे के अधीन रहो*। [PS]
इफिसियों 5 : 22 (IRVHI)
{पति और पत्नियों को आदेश} [PS] हे पत्नियों, अपने-अपने पति के ऐसे अधीन रहो, जैसे प्रभु के। (कुलु. 3:18, 1 पत. 3:1, उत्प. 3:16)
इफिसियों 5 : 23 (IRVHI)
क्योंकि पति तो पत्‍नी का सिर है जैसे कि मसीह कलीसिया का सिर है; और आप ही देह का उद्धारकर्ता है।
इफिसियों 5 : 24 (IRVHI)
पर जैसे कलीसिया मसीह के अधीन है, वैसे ही पत्नियाँ भी हर बात में अपने-अपने पति के अधीन रहें। [PE][PS]
इफिसियों 5 : 25 (IRVHI)
हे पतियों, अपनी-अपनी पत्‍नी से प्रेम रखो, जैसा मसीह ने भी कलीसिया से प्रेम करके अपने आप को उसके लिये दे दिया,
इफिसियों 5 : 26 (IRVHI)
कि उसको वचन के द्वारा जल के स्नान* से शुद्ध करके पवित्र बनाए,
इफिसियों 5 : 27 (IRVHI)
और उसे एक ऐसी तेजस्वी कलीसिया बनाकर अपने पास खड़ी करे, जिसमें न कलंक, न झुर्री, न कोई ऐसी वस्तु हो, वरन् पवित्र और निर्दोष हो। [PE][PS]
इफिसियों 5 : 28 (IRVHI)
इसी प्रकार उचित है, कि पति अपनी-अपनी पत्‍नी से अपनी देह के समान प्रेम रखे, जो अपनी पत्‍नी से प्रेम रखता है, वह अपने आप से प्रेम रखता है।
इफिसियों 5 : 29 (IRVHI)
क्योंकि किसी ने कभी अपने शरीर से बैर नहीं रखा वरन् उसका पालन-पोषण करता है, जैसा मसीह भी कलीसिया के साथ करता है।
इफिसियों 5 : 30 (IRVHI)
इसलिए कि हम उसकी देह के अंग हैं। [PE][PS]
इफिसियों 5 : 31 (IRVHI)
“इस कारण पुरुष माता-पिता को छोड़कर अपनी पत्‍नी से मिला रहेगा, और वे दोनों एक तन होंगे।” (उत्प. 2:24)
इफिसियों 5 : 32 (IRVHI)
यह भेद तो बड़ा है; पर मैं मसीह और कलीसिया के विषय में कहता हूँ।
इफिसियों 5 : 33 (IRVHI)
पर तुम में से हर एक अपनी पत्‍नी से अपने समान प्रेम रखे, और पत्‍नी भी अपने पति का भय माने। [PE]

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