निर्गमन 36 : 2 (IRVHI)
“बसलेल और ओहोलीआब और सब बुद्धिमान जिनको यहोवा ने ऐसी बुद्धि और समझ दी हो, कि वे यहोवा की सारी आज्ञाओं के अनुसार पवित्रस्थान की सेवकाई के लिये सब प्रकार का काम करना जानें, वे सब यह काम करें।” लोगों का पर्याप्त से अधिक देना तब मूसा ने बसलेल और ओहोलीआब और सब बुद्धिमानों को जिनके हृदय में यहोवा ने बुद्धि का प्रकाश दिया था, अर्थात् जिस-जिस को पास आकर काम करने का उत्साह हुआ था उन सभी को बुलवाया।
निर्गमन 36 : 3 (IRVHI)
और इस्राएली जो-जो भेंट पवित्रस्थान की सेवकाई के काम और उसके बनाने के लिये ले आए थे, उन्हें उन पुरुषों ने मूसा के हाथ से ले लिया। तब भी लोग प्रति भोर को उसके पास भेंट अपनी इच्छा से लाते रहे;
निर्गमन 36 : 4 (IRVHI)
और जितने बुद्धिमान पवित्रस्थान का काम करते थे वे सब अपना-अपना काम छोड़कर मूसा के पास आए,
निर्गमन 36 : 5 (IRVHI)
और कहने लगे, “जिस काम के करने की आज्ञा यहोवा ने दी है उसके लिये जितना चाहिये उससे अधिक वे ले आए हैं।”
निर्गमन 36 : 6 (IRVHI)
तब मूसा ने सारी छावनी में इस आज्ञा का प्रचार करवाया, “क्या पुरुष, क्या स्त्री, कोई पवित्रस्थान के लिये और भेंट न लाए।” इस प्रकार लोग और भेंट लाने से रोके गए।
निर्गमन 36 : 7 (IRVHI)
क्योंकि सब काम बनाने के लिये जितना सामान आवश्यक था उतना वरन् उससे अधिक बनाने वालों के पास आ चुका था।
निर्गमन 36 : 8 (IRVHI)
निवास-स्थान का निर्माण और काम करनेवाले जितने बुद्धिमान थे* उन्होंने निवास के लिये बटी हुई सूक्ष्म सनी के कपड़े के, और नीले, बैंगनी और लाल रंग के कपड़े के दस परदों को काढ़े हुए करूबों सहित बनाया।
निर्गमन 36 : 9 (IRVHI)
एक-एक परदे की लम्बाई अट्ठाईस हाथ और चौड़ाई चार हाथ की हुई; सब परदे एक ही नाप के बने।
निर्गमन 36 : 10 (IRVHI)
उसने पाँच परदे एक दूसरे से जोड़ दिए, और फिर दूसरे पाँच परदे भी एक दूसरे से जोड़ दिए।
निर्गमन 36 : 11 (IRVHI)
और जहाँ ये परदे जोड़े गए वहाँ की दोनों छोरों पर उसने नीले-नीले फंदे लगाए।
निर्गमन 36 : 12 (IRVHI)
उसने दोनों छोरों में पचास-पचास फंदे इस प्रकार लगाए कि वे एक दूसरे के सामने थे।
निर्गमन 36 : 13 (IRVHI)
और उसने सोने की पचास अंकड़े बनाए, और उनके द्वारा परदों को एक दूसरे से ऐसा जोड़ा कि निवास मिलकर एक हो गया।
निर्गमन 36 : 14 (IRVHI)
फिर निवास के ऊपर के तम्बू के लिये उसने बकरी के बाल के ग्यारह परदे बनाए।
निर्गमन 36 : 15 (IRVHI)
एक-एक परदे की लम्बाई तीस हाथ और चौड़ाई चार हाथ की हुई; और ग्यारहों परदे एक ही नाप के थे।
निर्गमन 36 : 16 (IRVHI)
इनमें से उसने पाँच परदे अलग और छः परदे अलग जोड़ दिए।
निर्गमन 36 : 17 (IRVHI)
और जहाँ दोनों जोड़े गए वहाँ की छोरों में उसने पचास-पचास फंदे लगाए।
निर्गमन 36 : 18 (IRVHI)
और उसने तम्बू के जोड़ने के लिये पीतल की पचास अंकड़े भी बनाए जिससे वह एक हो जाए।
निर्गमन 36 : 19 (IRVHI)
और उसने तम्बू के लिये लाल रंग से रंगी हुई मेढ़ों की खालों का एक ओढ़ना और उसके ऊपर के लिये सुइसों की खालों का एक ओढ़ना बनाया।
निर्गमन 36 : 20 (IRVHI)
फिर उसने निवास के लिये बबूल की लकड़ी के तख्तों को खड़े रहने के लिये बनाया।
निर्गमन 36 : 21 (IRVHI)
एक-एक तख्ते की लम्बाई दस हाथ और चौड़ाई डेढ़ हाथ की हुई।
निर्गमन 36 : 22 (IRVHI)
एक-एक तख्ते में एक दूसरी से जोड़ी हुई दो-दो चूलें बनीं, निवास के सब तख्तों के लिये उसने इसी भाँति बनाया।
निर्गमन 36 : 23 (IRVHI)
और उसने निवास के लिये तख्तों को इस रीति से बनाया कि दक्षिण की ओर बीस तख्ते लगे।
निर्गमन 36 : 24 (IRVHI)
और इन बीसों तख्तो के नीचे चाँदी की चालीस कुर्सियाँ, अर्थात् एक-एक तख्ते के नीचे उसकी दो चूलों के लिये उसने दो कुर्सियाँ बनाईं।
निर्गमन 36 : 25 (IRVHI)
और निवास की दूसरी ओर, अर्थात् उत्तर की ओर के लिये भी उसने बीस तख्ते बनाए।
निर्गमन 36 : 26 (IRVHI)
और इनके लिये भी उसने चाँदी की चालीस कुर्सियाँ, अर्थात् एक-एक तख्ते के नीचे दो-दो कुर्सियाँ बनाईं।
निर्गमन 36 : 27 (IRVHI)
और निवास की पिछली ओर, अर्थात् पश्चिम ओर के लिये उसने छः तख्ते बनाए।
निर्गमन 36 : 28 (IRVHI)
और पिछले भाग में निवास के कोनों के लिये उसने दो तख्ते बनाए।
निर्गमन 36 : 29 (IRVHI)
और वे नीचे से दो-दो भाग के बने, और दोनों भाग ऊपर के सिरे तक एक-एक कड़े में मिलाये गए; उसने उन दोनों तख्तों का आकार ऐसा ही बनाया।
निर्गमन 36 : 30 (IRVHI)
इस प्रकार आठ तख्ते हुए, और उनकी चाँदी की सोलह कुर्सियाँ हुईं, अर्थात् एक-एक तख्ते के नीचे दो-दो कुर्सियाँ हुईं।
निर्गमन 36 : 31 (IRVHI)
फिर उसने बबूल की लकड़ी के बेंड़े बनाए, अर्थात् निवास की एक ओर के तख्तों के लिये पाँच बेंड़े,
निर्गमन 36 : 32 (IRVHI)
और निवास की दूसरी ओर के तख्तों के लिये पाँच बेंड़े, और निवास का जो किनारा पश्चिम की ओर पिछले भाग में था उसके लिये भी पाँच बेंड़े, बनाए।
निर्गमन 36 : 33 (IRVHI)
और उसने बीचवाले बेंड़े को तख्तों के मध्य में तम्बू के एक सिरे से दूसरे सिरे तक पहुँचने के लिये बनाया।
निर्गमन 36 : 34 (IRVHI)
और तख्तों को उसने सोने से मढ़ा, और बेंड़ों के घर को काम देनेवाले कड़ों को सोने के बनाया, और बेंड़ों को भी सोने से मढ़ा।
निर्गमन 36 : 35 (IRVHI)
फिर उसने नीले, बैंगनी और लाल रंग के कपड़े का, और बटी हुई सूक्ष्म सनीवाले कपड़े का बीचवाला परदा बनाया; वह कढ़ाई के काम किये हुए करूबों के साथ बना।
निर्गमन 36 : 36 (IRVHI)
और उसने उसके लिये बबूल के चार खम्भे बनाए, और उनको सोने से मढ़ा; उनकी घुंडियाँ सोने की बनीं, और उसने उनके लिये चाँदी की चार कुर्सियाँ ढालीं।
निर्गमन 36 : 37 (IRVHI)
उसने तम्बू के द्वार के लिये भी नीले, बैंगनी और लाल रंग के कपड़े का, और बटी हुई सूक्ष्म सनी के कपड़े का कढ़ाई का काम किया हुआ परदा बनाया।
निर्गमन 36 : 38 (IRVHI)
और उसने घुंडियों समेत उसके पाँच खम्भे भी बनाए, और उनके सिरों और जोड़ने की छड़ों को सोने से मढ़ा, और उनकी पाँच कुर्सियाँ पीतल की बनाईं।
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