उत्पत्ति 9 : 1 (IRVHI)
{नूह और उसके पुत्रों को आशीर्वाद} [PS] फिर परमेश्‍वर ने नूह और उसके पुत्रों को आशीष दी* और उनसे कहा, “फूलो-फलो और बढ़ो और पृथ्वी में भर जाओ।
उत्पत्ति 9 : 2 (IRVHI)
तुम्हारा डर और भय पृथ्वी के सब पशुओं, और आकाश के सब पक्षियों, और भूमि पर के सब रेंगनेवाले जन्तुओं, और समुद्र की सब मछलियों पर बना रहेगा वे सब तुम्हारे वश में कर दिए जाते हैं।
उत्पत्ति 9 : 3 (IRVHI)
सब चलनेवाले जन्तु तुम्हारा आहार होंगे; जैसे तुमको हरे-हरे छोटे पेड़ दिए थे, वैसे ही तुम्हें सब कुछ देता हूँ। (उत्प. 1:29-30)
उत्पत्ति 9 : 4 (IRVHI)
पर माँस को प्राण समेत अर्थात् लहू समेत तुम न खाना।* (व्य. 12:23)
उत्पत्ति 9 : 5 (IRVHI)
और निश्चय मैं तुम्हारा लहू अर्थात् प्राण का बदला लूँगा: सब पशुओं, और मनुष्यों, दोनों से मैं उसे लूँगा; मनुष्य के प्राण का बदला मैं एक-एक के भाई बन्धु से लूँगा।
उत्पत्ति 9 : 6 (IRVHI)
जो कोई मनुष्य का लहू बहाएगा उसका लहू मनुष्य ही से बहाया जाएगा क्योंकि परमेश्‍वर ने मनुष्य को अपने ही स्वरूप के अनुसार बनाया है। (लैव्य. 24:17)
उत्पत्ति 9 : 7 (IRVHI)
और तुम तो फूलो-फलो और बढ़ो और पृथ्वी पर बहुतायत से सन्तान उत्‍पन्‍न करके उसमें भर जाओ।” परमेश्‍वर का नूह के साथ वाचा बाँधना [PE][PS]
उत्पत्ति 9 : 8 (IRVHI)
फिर परमेश्‍वर ने नूह और उसके पुत्रों से कहा,
उत्पत्ति 9 : 9 (IRVHI)
“सुनो, मैं तुम्हारे साथ और तुम्हारे पश्चात् जो तुम्हारा वंश होगा, उसके साथ भी वाचा बाँधता हूँ;
उत्पत्ति 9 : 10 (IRVHI)
और सब जीवित प्राणियों से भी जो तुम्हारे संग हैं, क्या पक्षी क्या घरेलू पशु, क्या पृथ्वी के सब जंगली पशु, पृथ्वी के जितने जीवजन्तु जहाज से निकले हैं।
उत्पत्ति 9 : 11 (IRVHI)
और मैं तुम्हारे साथ अपनी यह वाचा बाँधता हूँ कि सब प्राणी फिर जल-प्रलय से नाश न होंगे और पृथ्वी का नाश करने के लिये फिर जल-प्रलय न होगा।”
उत्पत्ति 9 : 12 (IRVHI)
फिर परमेश्‍वर ने कहा, “जो वाचा मैं तुम्हारे साथ, और जितने जीवित प्राणी तुम्हारे संग हैं उन सबके साथ भी युग-युग की पीढ़ियों के लिये बाँधता हूँ; उसका यह चिन्ह है:
उत्पत्ति 9 : 13 (IRVHI)
कि मैंने बादल में अपना धनुष रखा है, वह मेरे और पृथ्वी के बीच में वाचा का चिन्ह होगा।
उत्पत्ति 9 : 14 (IRVHI)
और जब मैं पृथ्वी पर बादल फैलाऊं तब बादल में धनुष दिखाई देगा।
उत्पत्ति 9 : 15 (IRVHI)
तब मेरी जो वाचा तुम्हारे और सब जीवित शरीरधारी प्राणियों के साथ बंधी है; उसको मैं स्मरण करूँगा, तब ऐसा जल-प्रलय फिर न होगा जिससे सब प्राणियों का विनाश हो।
उत्पत्ति 9 : 16 (IRVHI)
बादल में जो धनुष होगा मैं उसे देखकर यह सदा की वाचा स्मरण करूँगा, जो परमेश्‍वर के और पृथ्वी पर के सब जीवित शरीरधारी प्राणियों के बीच बंधी है।”
उत्पत्ति 9 : 17 (IRVHI)
फिर परमेश्‍वर ने नूह से कहा, “जो वाचा मैंने पृथ्वी भर के सब प्राणियों के साथ बाँधी है, उसका चिन्ह यही है*।” [PS]
उत्पत्ति 9 : 18 (IRVHI)
{नूह और उसके पुत्र} [PS] नूह के जो पुत्र जहाज में से निकले, वे शेम, हाम और येपेत थे; और हाम कनान का पिता हुआ।
उत्पत्ति 9 : 19 (IRVHI)
नूह के तीन पुत्र ये ही हैं, और इनका वंश सारी पृथ्वी पर फैल गया।
उत्पत्ति 9 : 20 (IRVHI)
नूह किसानी करने लगा: और उसने दाख की बारी लगाई।
उत्पत्ति 9 : 21 (IRVHI)
और वह दाखमधु पीकर मतवाला हुआ; और अपने तम्बू के भीतर नंगा हो गया।
उत्पत्ति 9 : 22 (IRVHI)
तब कनान के पिता हाम ने, अपने पिता को नंगा देखा, और बाहर आकर अपने दोनों भाइयों को बता दिया।
उत्पत्ति 9 : 23 (IRVHI)
तब शेम और येपेत दोनों ने कपड़ा लेकर अपने कंधों पर रखा और पीछे की ओर उलटा चलकर अपने पिता के नंगे तन को ढाँप दिया और वे अपना मुख पीछे किए हुए थे इसलिए उन्होंने अपने पिता को नंगा न देखा।
उत्पत्ति 9 : 24 (IRVHI)
जब नूह का नशा उतर गया, तब उसने जान लिया कि उसके छोटे पुत्र ने उसके साथ क्या किया है। [QBR]
उत्पत्ति 9 : 25 (IRVHI)
इसलिए उसने कहा, [QBR] “कनान श्रापित हो: [QBR] वह अपने भाई-बन्धुओं के दासों का दास हो।” [QBR]
उत्पत्ति 9 : 26 (IRVHI)
फिर उसने कहा, [QBR] “शेम का परमेश्‍वर यहोवा धन्य है, [QBR] और कनान शेम का दास हो। [QBR]
उत्पत्ति 9 : 27 (IRVHI)
परमेश्‍वर येपेत के वंश को फैलाए; [QBR] और वह शेम के तम्बूओं में बसे, [QBR] और कनान उसका दास हो।” [PE][PS]
उत्पत्ति 9 : 28 (IRVHI)
जल-प्रलय के पश्चात् नूह साढ़े तीन सौ वर्ष जीवित रहा।
उत्पत्ति 9 : 29 (IRVHI)
इस प्रकार नूह की कुल आयु साढ़े नौ सौ वर्ष की हुई; तत्पश्चात् वह मर गया। [PE]

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