इब्रानियों 4 : 1 (IRVHI)
{विश्राम में प्रवेश} [PS] इसलिए जब कि उसके विश्राम में प्रवेश करने की प्रतिज्ञा* अब तक है, तो हमें डरना चाहिए; ऐसा ने हो, कि तुम में से कोई जन उससे वंचित रह जाए।
इब्रानियों 4 : 2 (IRVHI)
क्योंकि हमें उन्हीं के समान सुसमाचार सुनाया गया है, पर सुने हुए वचन से उन्हें कुछ लाभ न हुआ; क्योंकि सुननेवालों के मन में विश्वास के साथ नहीं बैठा। [PE][PS]
इब्रानियों 4 : 3 (IRVHI)
और हम जिन्होंने विश्वास किया है, उस विश्राम में प्रवेश करते हैं; [PE][PS] जैसा उसने कहा, “मैंने अपने क्रोध में शपथ खाई, [QBR] कि वे मेरे विश्राम में प्रवेश करने न पाएँगे।” यद्यपि जगत की उत्पत्ति के समय से उसके काम हो चुके थे।
इब्रानियों 4 : 4 (IRVHI)
क्योंकि सातवें दिन के विषय में उसने कहीं ऐसा कहा है, [QBR] “परमेश्‍वर ने सातवें दिन अपने सब कामों को निपटा करके विश्राम किया।”
इब्रानियों 4 : 5 (IRVHI)
और इस जगह फिर यह कहता है, [QBR] “वे मेरे विश्राम में प्रवेश न करने पाएँगे।” [PE][PS]
इब्रानियों 4 : 6 (IRVHI)
तो जब यह बात बाकी है कि कितने और हैं जो उस विश्राम में प्रवेश करें, और इस्राएलियों को, जिन्हें उसका सुसमाचार पहले सुनाया गया, उन्होंने आज्ञा न मानने के कारण उसमें प्रवेश न किया।
इब्रानियों 4 : 7 (IRVHI)
तो फिर वह किसी विशेष दिन को ठहराकर इतने दिन के बाद दाऊद की पुस्तक में उसे ‘आज का दिन’ कहता है, जैसे पहले कहा गया, [QBR] “यदि आज तुम उसका शब्द सुनो, [QBR] तो अपने मनों को कठोर न करो।” (भज. 95:7-8) [PE][PS]
इब्रानियों 4 : 8 (IRVHI)
और यदि यहोशू उन्हें विश्राम में प्रवेश करा लेता, तो उसके बाद दूसरे दिन की चर्चा न होती। (व्य. 31:7, यहो. 22:4)
इब्रानियों 4 : 9 (IRVHI)
इसलिए जान लो कि परमेश्‍वर के लोगों के लिये सब्त का विश्राम बाकी है।
इब्रानियों 4 : 10 (IRVHI)
क्योंकि जिस ने उसके विश्राम में प्रवेश किया है, उसने भी परमेश्‍वर के समान अपने कामों को पूरा करके विश्राम किया है। (प्रका. 14:13, उत्प. 2:2)
इब्रानियों 4 : 11 (IRVHI)
इसलिए हम उस विश्राम में प्रवेश करने का प्रयत्न करें, ऐसा न हो, कि कोई जन उनके समान आज्ञा न मानकर गिर पड़े। (इब्रा. 4:1, 2 पत. 1:10-11) [PE][PS]
इब्रानियों 4 : 12 (IRVHI)
क्योंकि परमेश्‍वर का वचन* जीवित, प्रबल, और हर एक दोधारी तलवार से भी बहुत तेज है, प्राण, आत्मा को, गाँठ-गाँठ, और गूदे-गूदे को अलग करके, आर-पार छेदता है; और मन की भावनाओं और विचारों को जाँचता है। (यिर्म. 23:29, यशा. 55:11)
इब्रानियों 4 : 13 (IRVHI)
और सृष्टि की कोई वस्तु परमेश्‍वर से छिपी नहीं है वरन् जिसे हमें लेखा देना है, उसकी आँखों के सामने सब वस्तुएँ खुली और प्रगट हैं। [PS]
इब्रानियों 4 : 14 (IRVHI)
{हमारा महान महायाजक} [PS] इसलिए, जब हमारा ऐसा बड़ा महायाजक है, जो स्वर्गों से होकर गया है, अर्थात् परमेश्‍वर का पुत्र यीशु; तो आओ, हम अपने अंगीकार को दृढ़ता से थामे रहें।
इब्रानियों 4 : 15 (IRVHI)
क्योंकि हमारा ऐसा महायाजक नहीं, जो हमारी निर्बलताओं में हमारे साथ दुःखी न हो सके*; वरन् वह सब बातों में हमारे समान परखा तो गया, तो भी निष्पाप निकला।
इब्रानियों 4 : 16 (IRVHI)
इसलिए आओ, हम अनुग्रह के सिंहासन के निकट साहस बाँधकर चलें, कि हम पर दया हो, और वह अनुग्रह पाएँ, जो आवश्यकता के समय हमारी सहायता करे। [PE]

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