यशायाह 1 : 2 (IRVHI)
[PS]आमोत्स के पुत्र यशायाह का दर्शन, जिसको उसने यहूदा और यरूशलेम के विषय में उज्जियाह, योताम, आहाज, और हिजकिय्याह नामक यहूदा के राजाओं के दिनों में पाया। [PE]{#1यहूदा की दुष्टता } [QS]हे स्वर्ग सुन, और हे पृथ्वी कान लगा; क्योंकि यहोवा कहता है: “मैंने बाल बच्चों का पालन-पोषण किया, [QE][QS]और उनको बढ़ाया भी, परन्तु उन्होंने मुझसे बलवा किया। [QE]
यशायाह 1 : 3 (IRVHI)
[QS]बैल* तो अपने मालिक को और गदहा अपने स्वामी की चरनी को पहचानता है, [QE][QS]परन्तु इस्राएल मुझें नहीं जानता, मेरी प्रजा विचार नहीं करती।” [QE]
यशायाह 1 : 4 (IRVHI)
[QS]हाय, यह जाति पाप से कैसी भरी है! यह समाज अधर्म से कैसा लदा हुआ है! [QE][QS]इस वंश के लोग कैसे कुकर्मी हैं, ये बाल-बच्चे कैसे बिगड़े हुए हैं! उन्होंने यहोवा को छोड़ दिया, उन्होंने इस्राएल के पवित्र को तुच्छ जाना है! [QE][QS]वे पराए बनकर दूर हो गए हैं। [QE]
यशायाह 1 : 5 (IRVHI)
[QS]तुम बलवा कर-करके क्यों अधिक मार खाना चाहते हो? [QE][QS]तुम्हारा सिर घावों से भर गया, और तुम्हारा हृदय दुःख से भरा है। [QE]
यशायाह 1 : 6 (IRVHI)
[QS]पाँव से सिर तक कहीं भी कुछ आरोग्यता नहीं, [QE][QS]केवल चोट और कोड़े की मार के चिन्ह [QE][QS]और सड़े हुए घाव हैं जो न दबाये गए, न बाँधे गए, न तेल लगाकर नरमाये गए हैं। [QE]
यशायाह 1 : 7 (IRVHI)
[QS]तुम्हारा देश उजड़ा पड़ा है, तुम्हारे नगर भस्म हो गए हैं; [QE][QS]तुम्हारे खेतों को परदेशी लोग तुम्हारे देखते ही निगल रहे हैं; [QE][QS]वह परदेशियों से नाश किए हुए देश के समान उजाड़ है। [QE]
यशायाह 1 : 8 (IRVHI)
[QS]और सिय्योन की बेटी दाख की बारी में की झोपड़ी के समान छोड़ दी गई है, [QE][QS]या ककड़ी के खेत में के मचान या घिरे हुए नगर के समान अकेली खड़ी है। [QE]
यशायाह 1 : 9 (IRVHI)
[QS]यदि सेनाओं का यहोवा हमारे थोड़े से लोगों को न बचा रखता, [QE][QS]तो हम सदोम के समान हो जाते, और गमोरा के समान ठहरते। (योएल. 2:32, रोम. 9:29) [QE]
यशायाह 1 : 10 (IRVHI)
[QS]हे सदोम के न्यायियों, यहोवा का वचन [QE][QS]सुनो! हे गमोरा की प्रजा, हमारे परमेश्वर की शिक्षा पर कान लगा। (उत्प. 13:13, यहे. 16:49) [QE]
यशायाह 1 : 11 (IRVHI)
[QS]यहोवा यह कहता है, “तुम्हारे बहुत से मेलबलि मेरे किस काम के हैं? [QE][QS]मैं तो मेढ़ों के होमबलियों से और पाले हुए पशुओं की चर्बी से अघा गया हूँ; [QE][QS]मैं बछड़ों या भेड़ के बच्चों या बकरों के लहू से प्रसन्न नहीं होता। [QE]
यशायाह 1 : 12 (IRVHI)
[QS]“तुम जब अपने मुँह मुझे दिखाने के लिये आते हो, [QE][QS]तब यह कौन चाहता है कि तुम मेरे आँगनों को पाँव से रौंदो? [QE]
यशायाह 1 : 13 (IRVHI)
[QS]व्यर्थ अन्नबलि फिर मत लाओ; धूप से मुझे घृणा है। नये चाँद और विश्रामदिन का मानना, [QE][QS]और सभाओं का प्रचार करना, यह मुझे बुरा लगता है। महासभा के साथ ही साथ अनर्थ काम करना मुझसे सहा नहीं जाता। [QE]
यशायाह 1 : 14 (IRVHI)
[QS]तुम्हारे नये चाँदों और नियत पर्वों के मानने से मैं जी से बैर रखता हूँ; [QE][QS]वे सब मुझे बोझ से जान पड़ते हैं, मैं उनको सहते-सहते थक गया हूँ। [QE]
यशायाह 1 : 15 (IRVHI)
[QS]जब तुम मेरी ओर हाथ फैलाओ, तब मैं तुम से मुख फेर लूँगा; [QE][QS]तुम कितनी ही प्रार्थना क्यों न करो, तो भी मैं तुम्हारी न सुनूँगा; [QE][QS]क्योंकि तुम्हारे हाथ खून से भरे हैं। (नीति. 1:28, मीका. 3:4) [QE]
यशायाह 1 : 16 (IRVHI)
[QS]अपने को धोकर पवित्र करो: [QE][QS]मेरी आँखों के सामने से अपने बुरे कामों को दूर करो; [QE][QS]भविष्य में बुराई करना छोड़ दो, (1 पत. 2:1, याकू. 4:8) [QE]
यशायाह 1 : 17 (IRVHI)
[QS]भलाई करना सीखो; यत्न से न्याय करो, उपद्रवी को सुधारो; [QE][QS]अनाथ का न्याय चुकाओ, विधवा का मुकद्दमा लड़ो।” [QE]
यशायाह 1 : 18 (IRVHI)
[QS]यहोवा कहता है, “आओ*, हम आपस में वाद-विवाद करें: [QE][QS]तुम्हारे पाप चाहे लाल रंग के हों, तो भी वे हिम के समान उजले हो जाएँगे; [QE][QS]और चाहे अर्गवानी रंग के हों, तो भी वे ऊन के समान श्वेत हो जाएँगे। [QE]
यशायाह 1 : 19 (IRVHI)
[QS]यदि तुम आज्ञाकारी होकर मेरी मानो, [QE]
यशायाह 1 : 20 (IRVHI)
[QS]तो इस देश के उत्तम से उत्तम पदार्थ खाओगे; [QE][QS]और यदि तुम न मानो और बलवा करो, तो तलवार से मारे जाओगे; यहोवा का यही वचन है।” विश्वासघाती यरूशलेम [QE]
यशायाह 1 : 21 (IRVHI)
[QS]जो नगरी विश्वासयोग्य थी वह कैसे व्यभिचारिण हो गई! [QE][QS]वह न्याय से भरी थी और उसमें धर्म पाया जाता था, परन्तु अब उसमें हत्यारे ही पाए जाते हैं। [QE]
यशायाह 1 : 22 (IRVHI)
[QS]तेरी चाँदी धातु का मैल* हो गई, तेरे दाखमधु में पानी मिल गया है। [QE]
यशायाह 1 : 23 (IRVHI)
[QS]तेरे हाकिम हठीले और चोरों से मिले हैं। वे सब के सब घूस खानेवाले और भेंट के लालची हैं। [QE][QS]वे अनाथ का न्याय नहीं करते, और न विधवा का मुकद्दमा अपने पास आने देते हैं। [QE]
यशायाह 1 : 24 (IRVHI)
[QS]इस कारण प्रभु सेनाओं के यहोवा, इस्राएल के शक्तिमान की यह वाणी है: [QE][QS]“सुनो, मैं अपने शत्रुओं को दूर करके शान्ति पाऊँगा, और अपने बैरियों से बदला लूँगा। [QE]
यशायाह 1 : 25 (IRVHI)
[QS]मैं तुम पर हाथ बढ़ाकर तुम्हारा धातु का मैल पूरी रीति से भस्म करूँगा [QE][QS]और तुम्हारी मिलावट पूरी रीति से दूर करूँगा। [QE]
यशायाह 1 : 26 (IRVHI)
[QS]मैं तुम में पहले के समान न्यायी और आदिकाल के समान मंत्री फिर नियुक्त करूँगा। [QE][QS]उसके बाद तू धर्मपुरी और विश्वासयोग्य नगरी कहलाएगी।” [QE]
यशायाह 1 : 27 (IRVHI)
[QS]सिय्योन न्याय के द्वारा, [QE][QS]और जो उसमें फिरेंगे वे धर्म के द्वारा छुड़ा लिए जाएँगे। [QE]
यशायाह 1 : 28 (IRVHI)
[QS]परन्तु बलवाइयों और पापियों का एक संग नाश होगा, [QE][QS]और जिन्होंने यहोवा को त्यागा है, उनका अन्त हो जाएगा। [QE]
यशायाह 1 : 29 (IRVHI)
[QS]क्योंकि जिन बांज वृक्षों* से तुम प्रीति रखते थे, उनसे वे लज्जित होंगे, [QE][QS]और जिन बारियों से तुम प्रसन्न रहते थे, उनके कारण तुम्हारे मुँह काले होंगे। [QE]
यशायाह 1 : 30 (IRVHI)
[QS]क्योंकि तुम पत्ते मुरझाएँ हुए बांज वृक्ष के पत्ते, [QE][QS]और बिना जल की बारी के समान हो जाओगे। [QE]
यशायाह 1 : 31 (IRVHI)
[QS]बलवान तो सन और उसका काम चिंगारी बनेगा, [QE][QS]और दोनों एक साथ जलेंगे, और कोई बुझानेवाला न होगा। [QE]
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