यूहन्ना 9 : 1 (IRVHI)
जन्म के अंधे को दृष्टिदान फिर जाते हुए उसने एक मनुष्य को देखा, जो जन्म से अंधा था।
यूहन्ना 9 : 2 (IRVHI)
और उसके चेलों ने उससे पूछा, “हे रब्बी, किस ने पाप किया था* कि यह अंधा जन्मा, इस मनुष्य ने, या उसके माता पिता ने?”
यूहन्ना 9 : 3 (IRVHI)
यीशु ने उत्तर दिया, “न तो इसने पाप किया था, न इसके माता पिता ने परन्तु यह इसलिए हुआ, कि परमेश्‍वर के काम उसमें प्रगट हों।
यूहन्ना 9 : 4 (IRVHI)
जिस ने मुझे भेजा है; हमें उसके काम दिन ही दिन में करना अवश्य है। वह रात आनेवाली है जिसमें कोई काम नहीं कर सकता।
यूहन्ना 9 : 5 (IRVHI)
जब तक मैं जगत में हूँ, तब तक जगत की ज्योति हूँ।” (यूह. 8:12)
यूहन्ना 9 : 6 (IRVHI)
यह कहकर उसने भूमि पर थूका और उस थूक से मिट्टी सानी, और वह मिट्टी उस अंधे की आँखों पर लगाकर।
यूहन्ना 9 : 7 (IRVHI)
उससे कहा, “जा, शीलोह के कुण्ड में धो ले” (शीलोह का अर्थ भेजा हुआ है) अतः उसने जाकर धोया, और देखता हुआ लौट आया। (यशा. 35:5)
यूहन्ना 9 : 8 (IRVHI)
तब पड़ोसी और जिन्होंने पहले उसे भीख माँगते देखा था, कहने लगे, “क्या यह वही नहीं, जो बैठा भीख माँगा करता था?”
यूहन्ना 9 : 9 (IRVHI)
कुछ लोगों ने कहा, “यह वही है,” औरों ने कहा, “नहीं, परन्तु उसके समान है” उसने कहा, “मैं वही हूँ।”
यूहन्ना 9 : 10 (IRVHI)
तब वे उससे पूछने लगे, “तेरी आँखों कैसे खुल गई?”
यूहन्ना 9 : 11 (IRVHI)
उसने उत्तर दिया, “यीशु नामक एक व्यक्ति ने मिट्टी सानी, और मेरी आँखों पर लगाकर मुझसे कहा, ‘शीलोह में जाकर धो ले,’ तो मैं गया, और धोकर देखने लगा।”
यूहन्ना 9 : 12 (IRVHI)
उन्होंने उससे पूछा, “वह कहाँ है?” उसने कहा, “मैं नहीं जानता।”
यूहन्ना 9 : 13 (IRVHI)
फरीसियों द्वारा चंगाई की जाँच-पड़ताल लोग उसे जो पहले अंधा था फरीसियों के पास ले गए।
यूहन्ना 9 : 14 (IRVHI)
जिस दिन यीशु ने मिट्टी सानकर उसकी आँखें खोली थी वह सब्त का दिन था।
यूहन्ना 9 : 15 (IRVHI)
फिर फरीसियों ने भी उससे पूछा; तेरी आँखें किस रीति से खुल गई? उसने उनसे कहा, “उसने मेरी आँखों पर मिट्टी लगाई, फिर मैंने धो लिया, और अब देखता हूँ।”
यूहन्ना 9 : 16 (IRVHI)
इस पर कई फरीसी कहने लगे, “यह मनुष्य परमेश्‍वर की ओर से नहीं*, क्योंकि वह सब्त का दिन नहीं मानता।” औरों ने कहा, “पापी मनुष्य कैसे ऐसे चिन्ह दिखा सकता है?” अतः उनमें फूट पड़ी।
यूहन्ना 9 : 17 (IRVHI)
उन्होंने उस अंधे से फिर कहा, “उसने जो तेरी आँखें खोली, तू उसके विषय में क्या कहता है?” उसने कहा, “यह भविष्यद्वक्ता है।”
यूहन्ना 9 : 18 (IRVHI)
परन्तु यहूदियों को विश्वास न हुआ कि यह अंधा था और अब देखता है जब तक उन्होंने उसके माता-पिता को जिसकी आँखें खुल गई थी, बुलाकर
यूहन्ना 9 : 19 (IRVHI)
उनसे पूछा, “क्या यह तुम्हारा पुत्र है, जिसे तुम कहते हो कि अंधा जन्मा था? फिर अब कैसे देखता है?”
यूहन्ना 9 : 20 (IRVHI)
उसके माता-पिता ने उत्तर दिया, “हम तो जानते हैं कि यह हमारा पुत्र है, और अंधा जन्मा था।
यूहन्ना 9 : 21 (IRVHI)
परन्तु हम यह नहीं जानते हैं कि अब कैसे देखता है; और न यह जानते हैं, कि किस ने उसकी आँखें खोलीं; वह सयाना है; उसी से पूछ लो; वह अपने विषय में आप कह देगा।”
यूहन्ना 9 : 22 (IRVHI)
ये बातें उसके माता-पिता ने इसलिए कहीं क्योंकि वे यहूदियों से डरते थे; क्योंकि यहूदी एकमत हो चुके थे, कि यदि कोई कहे कि वह मसीह है, तो आराधनालय से निकाला जाए।
यूहन्ना 9 : 23 (IRVHI)
इसी कारण उसके माता-पिता ने कहा, “वह सयाना है; उसी से पूछ लो।”
यूहन्ना 9 : 24 (IRVHI)
तब उन्होंने उस मनुष्य को जो अंधा था दूसरी बार बुलाकर उससे कहा, “परमेश्‍वर की स्तुति कर; हम तो जानते हैं कि वह मनुष्य पापी है।”
यूहन्ना 9 : 25 (IRVHI)
उसने उत्तर दिया, “मैं नहीं जानता कि वह पापी है या नहीं मैं एक बात जानता हूँ कि मैं अंधा था और अब देखता हूँ।”
यूहन्ना 9 : 26 (IRVHI)
उन्होंने उससे फिर कहा, “उसने तेरे साथ क्या किया? और किस तरह तेरी आँखें खोली?”
यूहन्ना 9 : 27 (IRVHI)
उसने उनसे कहा, “मैं तो तुम से कह चुका, और तुम ने न सुना; अब दूसरी बार क्यों सुनना चाहते हो? क्या तुम भी उसके चेले होना चाहते हो?”
यूहन्ना 9 : 28 (IRVHI)
तब वे उसे बुरा-भला कहकर बोले, “तू ही उसका चेला है; हम तो मूसा के चेले हैं।
यूहन्ना 9 : 29 (IRVHI)
हम जानते हैं कि परमेश्‍वर ने मूसा से बातें की; परन्तु इस मनुष्य को नहीं जानते की कहाँ का है।”
यूहन्ना 9 : 30 (IRVHI)
उसने उनको उत्तर दिया, “यह तो अचम्भे की बात है कि तुम नहीं जानते की कहाँ का है तो भी उसने मेरी आँखें खोल दीं।
यूहन्ना 9 : 31 (IRVHI)
हम जानते हैं कि परमेश्‍वर पापियों की नहीं सुनता परन्तु यदि कोई परमेश्‍वर का भक्त हो, और उसकी इच्छा पर चलता है, तो वह उसकी सुनता है। (नीति. 15:29)
यूहन्ना 9 : 32 (IRVHI)
जगत के आरम्भ से यह कभी सुनने में नहीं आया, कि किसी ने भी जन्म के अंधे की आँखें खोली हों।
यूहन्ना 9 : 33 (IRVHI)
यदि यह व्यक्ति परमेश्‍वर की ओर से न होता, तो कुछ भी नहीं कर सकता।”
यूहन्ना 9 : 34 (IRVHI)
उन्होंने उसको उत्तर दिया, “तू तो बिलकुल पापों में जन्मा है, तू हमें क्या सिखाता है?” और उन्होंने उसे बाहर निकाल दिया।
यूहन्ना 9 : 35 (IRVHI)
आत्मिक अंधापन यीशु ने सुना, कि उन्होंने उसे बाहर निकाल दिया है; और जब उससे भेंट हुई तो कहा, “क्या तू परमेश्‍वर के पुत्र पर विश्वास करता है?”
यूहन्ना 9 : 36 (IRVHI)
उसने उत्तर दिया, “हे प्रभु, वह कौन है कि मैं उस पर विश्वास करूँ?”
यूहन्ना 9 : 37 (IRVHI)
यीशु ने उससे कहा, “तूने उसे देखा भी है; और जो तेरे साथ बातें कर रहा है वही है।”
यूहन्ना 9 : 38 (IRVHI)
उसने कहा, “हे प्रभु, मैं विश्वास करता हूँ*।” और उसे दण्डवत् किया।
यूहन्ना 9 : 39 (IRVHI)
तब यीशु ने कहा, “मैं इस जगत में न्याय के लिये आया हूँ, ताकि जो नहीं देखते वे देखें, और जो देखते हैं वे अंधे हो जाएँ।”
यूहन्ना 9 : 40 (IRVHI)
जो फरीसी उसके साथ थे, उन्होंने ये बातें सुन कर उससे कहा, “क्या हम भी अंधे हैं?”
यूहन्ना 9 : 41 (IRVHI)
यीशु ने उनसे कहा, “यदि तुम अंधे होते तो पापी न ठहरते परन्तु अब कहते हो, कि हम देखते हैं, इसलिए तुम्हारा पाप बना रहता है।

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