योना 3 : 1 (IRVHI)
आज्ञा का मानना तब यहोवा का यह वचन दूसरी बार योना के पास पहुँचा,
योना 3 : 2 (IRVHI)
“उठकर उस बड़े नगर नीनवे को जा, और जो बात मैं तुझ से कहूँगा, उसका उसमें प्रचार कर।”
योना 3 : 3 (IRVHI)
तब योना यहोवा के वचन के* अनुसार नीनवे को गया। नीनवे एक बहुत बड़ा नगर था, वह तीन दिन की यात्रा का था।
योना 3 : 4 (IRVHI)
और योना ने नगर में प्रवेश करके एक दिन की यात्रा पूरी की, और यह प्रचार करता गया, “अब से चालीस दिन के बीतने पर नीनवे उलट दिया जाएगा।”
योना 3 : 5 (IRVHI)
तब नीनवे के मनुष्यों ने परमेश्वर के वचन पर विश्वास किया; और उपवास का प्रचार किया गया और बड़े से लेकर छोटे तक सभी ने टाट ओढ़ा। (मत्ती 12:41)
योना 3 : 6 (IRVHI)
तब यह समाचार नीनवे के राजा के कान में पहुँचा; और उसने सिंहासन पर से उठ, अपना राजकीय ओढ़ना उतारकर टाट ओढ़ लिया, और राख पर बैठ गया।
योना 3 : 7 (IRVHI)
राजा ने अपने प्रधानों से सम्मति लेकर नीनवे में इस आज्ञा का ढिंढोरा पिटवाया, “क्या मनुष्य, क्या गाय-बैल, क्या भेड़-बकरी, या और पशु, कोई कुछ भी न खाएँ; वे न खाएँ और न पानी पीएँ।
योना 3 : 8 (IRVHI)
और मनुष्य और पशु दोनों टाट ओढ़ें, और वे परमेश्वर की दुहाई चिल्ला-चिल्लाकर दें; और अपने कुमार्ग से फिरें; और उस उपद्रव से, जो वे करते हैं, पश्चाताप करें।
योना 3 : 9 (IRVHI)
सम्भव है, परमेश्वर दया करे और अपनी इच्छा बदल दे, और उसका भड़का हुआ कोप शान्त हो जाए और हम नाश होने से बच जाएँ।”
योना 3 : 10 (IRVHI)
जब परमेश्वर ने उनके कामों को देखा, कि वे कुमार्ग से फिर रहे हैं, तब परमेश्वर ने अपनी इच्छा बदल दी, और उनकी जो हानि करने की ठानी थी, उसको न किया।*
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