यहूदा 1 : 1 (IRVHI)
शुभकामनाएँ
यहूदा 1 : 2 (IRVHI)
यहूदा की ओर से जो यीशु मसीह का दास और याकूब का भाई है, उन बुलाए हुओं के नाम जो परमेश्‍वर पिता में प्रिय और यीशु मसीह के लिये सुरक्षित हैं। विश्वास के लिये संघर्ष
यहूदा 1 : 3 (IRVHI)
दया और शान्ति और प्रेम तुम्हें बहुतायत से प्राप्त होता रहे। हे प्रियों, जब मैं तुम्हें उस उद्धार के विषय में लिखने में अत्यन्त परिश्रम से प्रयत्न कर रहा था, जिसमें हम सब सहभागी हैं; तो मैंने तुम्हें यह समझाना आवश्यक जाना कि उस विश्वास के लिये पूरा यत्न करो जो पवित्र लोगों को एक ही बार सौंपा गया था।
यहूदा 1 : 4 (IRVHI)
क्योंकि कितने ऐसे मनुष्य चुपके से हम में आ मिले हैं, जिनसे इस दण्ड का वर्णन पुराने समय में पहले ही से लिखा गया था*: ये भक्तिहीन हैं, और हमारे परमेश्‍वर के अनुग्रह को लुचपन में बदल डालते है, और हमारे एकमात्र स्वामी और प्रभु यीशु मसीह का इन्कार करते हैं।
यहूदा 1 : 5 (IRVHI)
यद्यपि तुम सब बात एक बार जान चुके हो, तो भी मैं तुम्हें इस बात की सुधि दिलाना चाहता हूँ, कि प्रभु ने एक कुल को मिस्र देश से छुड़ाने के बाद विश्वास न लानेवालों को नाश कर दिया। (इब्रा. 3:16-19, गिन. 14:22-23,30)
यहूदा 1 : 6 (IRVHI)
फिर जिन स्वर्गदूतों ने अपने पद को स्थिर न रखा वरन् अपने निज निवास को छोड़ दिया, उसने उनको भी उस भीषण दिन के न्याय के लिये अंधकार में जो सनातन के लिये है बन्धनों में रखा है।
यहूदा 1 : 7 (IRVHI)
जिस रीति से सदोम और गमोरा और उनके आस-पास के नगर, जो इनके समान व्यभिचारी हो गए थे और पराये शरीर के पीछे लग गए थे आग के अनन्त दण्ड में पड़कर दृष्टान्त ठहरे हैं। (उत्प. 19:4-25, व्य. 29:23, 2 पत. 2:6)
यहूदा 1 : 8 (IRVHI)
उसी रीति से ये स्वप्नदर्शी भी अपने-अपने शरीर को अशुद्ध करते*, और प्रभुता को तुच्छ जानते हैं; और ऊँचे पदवालों को बुरा-भला कहते हैं।
यहूदा 1 : 9 (IRVHI)
परन्तु प्रधान स्वर्गदूत मीकाईल ने, जब शैतान से मूसा के शव के विषय में वाद-विवाद किया, तो उसको बुरा-भला कहके दोष लगाने का साहस न किया; पर यह कहा, “प्रभु तुझे डाँटे।”
यहूदा 1 : 10 (IRVHI)
पर ये लोग जिन बातों को नहीं जानते, उनको बुरा-भला कहते हैं; पर जिन बातों को अचेतन पशुओं के समान स्वभाव ही से जानते हैं, उनमें अपने आप को नाश करते हैं।
यहूदा 1 : 11 (IRVHI)
उन पर हाय! कि वे कैन के समान चाल चले, और मजदूरी के लिये बिलाम के समान भ्रष्ट हो गए हैं और कोरह के समान विरोध करके नाश हुए हैं। (उत्प. 4:3-8, गिन. 16:19-35, गिन. 22:7, 2 पत. 2:15, 1 यूह. 3:12, गिन. 24:12-14)
यहूदा 1 : 12 (IRVHI)
यह तुम्हारी प्रेम-भोजों में तुम्हारे साथ खाते-पीते, समुद्र में छिपी हुई चट्टान सरीखे हैं, और बेधड़क अपना ही पेट भरनेवाले रखवाले हैं; वे निर्जल बादल हैं; जिन्हें हवा उड़ा ले जाती है; पतझड़ के निष्फल पेड़ हैं, जो दो बार मर चुके हैं; और जड़ से उखड़ गए हैं; (2 पत. 2:17, इफि. 4:14, यूह. 15:4-6)
यहूदा 1 : 13 (IRVHI)
ये समुद्र के प्रचण्ड हिलकोरे हैं, जो अपनी लज्जा का फेन उछालते हैं। ये डाँवाडोल तारे हैं, जिनके लिये सदा काल तक घोर अंधकार रखा गया है। (यशा. 57:20)
यहूदा 1 : 14 (IRVHI)
और हनोक ने भी जो आदम से सातवीं पीढ़ी में था, इनके विषय में यह भविष्यद्वाणी की, “देखो, प्रभु अपने लाखों पवित्रों के साथ आया। (व्य. 33:2, 2 थिस्स. 1:7-8)
यहूदा 1 : 15 (IRVHI)
कि सब का न्याय करे, और सब भक्तिहीनों को उनके अभक्‍ति के सब कामों के विषय में जो उन्होंने भक्‍तिहीन होकर किए हैं, और उन सब कठोर बातों के विषय में जो भक्‍तिहीन पापियों ने उसके विरोध में कही हैं, दोषी ठहराए।”
यहूदा 1 : 16 (IRVHI)
ये तो असंतुष्ट, कुड़कुड़ानेवाले, और अपने अभिलाषाओं के अनुसार चलनेवाले हैं; और अपने मुँह से घमण्ड की बातें बोलते हैं; और वे लाभ के लिये मुँह देखी बड़ाई किया करते हैं।
यहूदा 1 : 17 (IRVHI)
प्रयत्नशील बने रहो पर हे प्रियों, तुम उन बातों को स्मरण रखो; जो हमारे प्रभु यीशु मसीह के प्रेरित पहले कह चुके हैं।
यहूदा 1 : 18 (IRVHI)
वे तुम से कहा करते थे, “पिछले दिनों में ऐसे उपहास करनेवाले होंगे, जो अपनी अभक्ति की अभिलाषाओं के अनुसार चलेंगे।”
यहूदा 1 : 19 (IRVHI)
ये तो वे हैं, जो फूट डालते हैं; ये शारीरिक लोग हैं, जिनमें आत्मा नहीं।
यहूदा 1 : 20 (IRVHI)
पर हे प्रियों तुम अपने अति पवित्र विश्वास में अपनी उन्नति करते हुए और पवित्र आत्मा में प्रार्थना करते हुए।
यहूदा 1 : 21 (IRVHI)
अपने आप को परमेश्‍वर के प्रेम में बनाए रखो; और अनन्त जीवन के लिये हमारे प्रभु यीशु मसीह की दया की आशा देखते रहो।
यहूदा 1 : 22 (IRVHI)
और उन पर जो शंका में हैं दया करो।
यहूदा 1 : 23 (IRVHI)
और बहुतों को आग में से झपटकर निकालो, और बहुतों पर भय के साथ दया करो; वरन् उस वस्त्र से भी घृणा करो जो शरीर के द्वारा कलंकित हो गया है।
यहूदा 1 : 24 (IRVHI)
{परमेश्‍वर की स्तुति } अब जो तुम्हें ठोकर खाने से बचा सकता है*, और अपनी महिमा की भरपूरी के सामने मगन और निर्दोष करके खड़ा कर सकता है।
यहूदा 1 : 25 (IRVHI)
उस एकमात्र परमेश्‍वर के लिए, हमारे उद्धारकर्ता की महिमा, गौरव, पराक्रम और अधिकार, हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा जैसा सनातन काल से है, अब भी हो और युगानुयुग रहे। आमीन।

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