लैव्यवस्था 11 : 1 (IRVHI)
शुद्ध और अशुद्ध पृथ्वी पर के पशु फिर यहोवा ने मूसा और हारून से कहा,
लैव्यवस्था 11 : 2 (IRVHI)
“इस्राएलियों से कहो: जितने पशु पृथ्वी पर हैं उन सभी में से तुम इन जीवधारियों का माँस खा सकते हो*। (इब्रा. 9:10)
लैव्यवस्था 11 : 3 (IRVHI)
पशुओं में से जितने चिरे या फटे खुर के होते हैं और पागुर करते हैं उन्हें खा सकते हो।
लैव्यवस्था 11 : 4 (IRVHI)
परन्तु पागुर करनेवाले या फटे खुरवालों में से इन पशुओं को न खाना, अर्थात् ऊँट, जो पागुर तो करता है परन्तु चिरे खुर का नहीं होता, इसलिए वह तुम्हारे लिये अशुद्ध ठहरा है।
लैव्यवस्था 11 : 5 (IRVHI)
और चट्टानी बिज्जू, जो पागुर तो करता है परन्तु चिरे खुर का नहीं होता, वह भी तुम्हारे लिये अशुद्ध है।
लैव्यवस्था 11 : 6 (IRVHI)
और खरगोश, जो पागुर तो करता है परन्तु चिरे खुर का नहीं होता, इसलिए वह भी तुम्हारे लिये अशुद्ध है।
लैव्यवस्था 11 : 7 (IRVHI)
और सूअर, जो चिरे अर्थात् फटे खुर का होता तो है परन्तु पागुर नहीं करता, इसलिए वह तुम्हारे लिये अशुद्ध है।
लैव्यवस्था 11 : 8 (IRVHI)
इनके माँस में से कुछ न खाना, और इनकी लोथ को छूना भी नहीं; ये तो तुम्हारे लिये अशुद्ध है।
लैव्यवस्था 11 : 9 (IRVHI)
शुद्ध और अशुद्ध जलीय जीव “फिर जितने जलजन्तु हैं उनमें से तुम इन्हें खा सकते हों, अर्थात् समुद्र या नदियों के जल जन्तुओं में से जितनों के पंख और चोंयेटे होते हैं उन्हें खा सकते हो।
लैव्यवस्था 11 : 10 (IRVHI)
और जलचरी प्राणियों में से जितने जीवधारी बिना पंख और चोंयेटे के समुद्र या नदियों में रहते हैं वे सब तुम्हारे लिये घृणित हैं।
लैव्यवस्था 11 : 11 (IRVHI)
वे तुम्हारे लिये घृणित ठहरें; तुम उनके माँस में से कुछ न खाना, और उनकी लोथों को अशुद्ध जानना।
लैव्यवस्था 11 : 12 (IRVHI)
जल में जिस किसी जन्तु के पंख और चोंयेटे नहीं होते वह तुम्हारे लिये अशुद्ध है।
लैव्यवस्था 11 : 13 (IRVHI)
अशुद्ध पक्षियाँ “फिर पक्षियों में से इनको अशुद्ध जानना, ये अशुद्ध होने के कारण खाए न जाएँ, अर्थात् उकाब, हड़फोड़, कुरर,
लैव्यवस्था 11 : 14 (IRVHI)
चील, और भाँति-भाँति के बाज,
लैव्यवस्था 11 : 15 (IRVHI)
और भाँति-भाँति के सब काग,
लैव्यवस्था 11 : 16 (IRVHI)
शुतुर्मुर्ग, तखमास, जलकुक्कट, और भाँति-भाँति के जलकुक्कट,
लैव्यवस्था 11 : 17 (IRVHI)
हबासिल, हाड़गील, उल्लू,
लैव्यवस्था 11 : 18 (IRVHI)
राजहँस, धनेश, गिद्ध,
लैव्यवस्था 11 : 19 (IRVHI)
सारस, भाँति-भाँति के बगुले, टिटीहरी और चमगादड़।
लैव्यवस्था 11 : 20 (IRVHI)
शुद्ध और अशुद्ध कीड़े “जितने पंखवाले कीड़े चार पाँवों के बल चलते हैं वे सब तुम्हारे लिये अशुद्ध हैं।
लैव्यवस्था 11 : 21 (IRVHI)
पर रेंगनेवाले और पंखवाले जो चार पाँवों के बल चलते हैं, जिनके भूमि पर कूदने फाँदने को टाँगें होती हैं उनको तो खा सकते हो।
लैव्यवस्था 11 : 22 (IRVHI)
वे ये हैं, अर्थात् भाँति-भाँति की टिड्डी, भाँति-भाँति के फनगे, भाँति-भाँति के झींगुर, और भाँति-भाँति के टिड्डे।
लैव्यवस्था 11 : 23 (IRVHI)
परन्तु और सब रेंगनेवाले पंखवाले जो चार पाँव वाले होते हैं वे तुम्हारे लिये अशुद्ध हैं।
लैव्यवस्था 11 : 24 (IRVHI)
मृत पशु को छूने के बाद शुद्धिकरण “इनके कारण तुम अशुद्ध* ठहरोगे; जिस किसी से इनकी लोथ छू जाए वह सांझ तक अशुद्ध ठहरे।
लैव्यवस्था 11 : 25 (IRVHI)
और जो कोई इनकी लोथ में का कुछ भी उठाए वह अपने वस्त्र धोए और सांझ तक अशुद्ध रहे। (इब्रा. 9:10)
लैव्यवस्था 11 : 26 (IRVHI)
फिर जितने पशु चिरे खुर के होते हैं परन्तु न तो बिलकुल फटे खुर और न पागुर करनेवाले हैं वे तुम्हारे लिये अशुद्ध हैं; जो कोई उन्हें छूए वह अशुद्ध ठहरेगा।
लैव्यवस्था 11 : 27 (IRVHI)
और चार पाँव के बल चलनेवालों में से जितने पंजों के बल चलते हैं वे सब तुम्हारे लिये अशुद्ध हैं; जो कोई उनकी लोथ छूए वह सांझ तक अशुद्ध रहे।
लैव्यवस्था 11 : 28 (IRVHI)
और जो कोई उनकी लोथ उठाए वह अपने वस्त्र धोए और सांझ तक अशुद्ध रहे; क्योंकि वे तुम्हारे लिये अशुद्ध हैं।
लैव्यवस्था 11 : 29 (IRVHI)
“और जो पृथ्वी पर रेंगते हैं उनमें से ये रेंगनेवाले तुम्हारे लिये अशुद्ध हैं, अर्थात् नेवला, चूहा, और भाँति-भाँति के गोह,
लैव्यवस्था 11 : 30 (IRVHI)
और छिपकली, मगर, टिकटिक, सांडा, और गिरगिट।
लैव्यवस्था 11 : 31 (IRVHI)
सब रेंगनेवालों में से ये ही तुम्हारे लिये अशुद्ध हैं; जो कोई इनकी लोथ छूए वह सांझ तक अशुद्ध रहे।
लैव्यवस्था 11 : 32 (IRVHI)
और इनमें से किसी की लोथ जिस किसी वस्तु पर पड़ जाए वह भी अशुद्ध ठहरे, चाहे वह काठ का कोई पात्र हो, चाहे वस्त्र, चाहे खाल, चाहे बोरा, चाहे किसी काम का कैसा ही पात्र आदि क्यों न हो; वह जल में डाला जाए, और सांझ तक अशुद्ध रहे, तब शुद्ध समझा जाए।
लैव्यवस्था 11 : 33 (IRVHI)
और यदि मिट्टी का कोई पात्र हो जिसमें इन जन्तुओं में से कोई पड़े, तो उस पात्र में जो कुछ हो वह अशुद्ध ठहरे, और पात्र को तुम तोड़ डालना।
लैव्यवस्था 11 : 34 (IRVHI)
उसमें जो खाने के योग्य भोजन हो, जिसमें पानी का छुआव हो वह सब अशुद्ध ठहरे; फिर यदि ऐसे पात्र में पीने के लिये कुछ हो तो वह भी अशुद्ध ठहरे।
लैव्यवस्था 11 : 35 (IRVHI)
और यदि इनकी लोथ में का कुछ तंदूर या चूल्हे पर पड़े तो वह भी अशुद्ध ठहरे, और तोड़ डाला जाए; क्योंकि वह अशुद्ध हो जाएगा, वह तुम्हारे लिये भी अशुद्ध ठहरे।
लैव्यवस्था 11 : 36 (IRVHI)
परन्तु सोता या तालाब जिसमें जल इकट्ठा हो वह तो शुद्ध ही रहे; परन्तु जो कोई इनकी लोथ को छूए वह अशुद्ध ठहरे।
लैव्यवस्था 11 : 37 (IRVHI)
और यदि इनकी लोथ में का कुछ किसी प्रकार के बीज पर जो बोने के लिये हो पड़े, तो वह बीज शुद्ध रहे;
लैव्यवस्था 11 : 38 (IRVHI)
पर यदि बीज पर जल डाला गया हो और पीछे लोथ में का कुछ उस पर पड़ जाए, तो वह तुम्हारे लिये अशुद्ध ठहरे।
लैव्यवस्था 11 : 39 (IRVHI)
“फिर जिन पशुओं के खाने की आज्ञा तुमको दी गई है यदि उनमें से कोई पशु मरे, तो जो कोई उसकी लोथ छूए वह सांझ तक अशुद्ध रहे।
लैव्यवस्था 11 : 40 (IRVHI)
और उसकी लोथ में से जो कोई कुछ खाए वह अपने वस्त्र धोए और सांझ तक अशुद्ध रहे; और जो कोई उसकी लोथ उठाए वह भी अपने वस्त्र धोए और सांझ तक अशुद्ध रहे।
लैव्यवस्था 11 : 41 (IRVHI)
अशुद्ध रेंगनेवाले जीव “सब प्रकार के पृथ्वी पर रेंगनेवाले जन्तु घिनौने हैं; वे खाए न जाएँ।
लैव्यवस्था 11 : 42 (IRVHI)
पृथ्वी पर सब रेंगनेवालों में से जितने पेट या चार पाँवों के बल चलते हैं, या अधिक पाँव वाले होते हैं, उन्हें तुम न खाना; क्योंकि वे घिनौने हैं।
लैव्यवस्था 11 : 43 (IRVHI)
तुम किसी प्रकार के रेंगनेवाले जन्तु के द्वारा अपने आप को घिनौना न करना; और न उनके द्वारा अपने को अशुद्ध करके अपवित्र ठहराना।
लैव्यवस्था 11 : 44 (IRVHI)
क्योंकि मैं तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा हूँ; इस कारण अपने को शुद्ध करके पवित्र बने रहो, क्योंकि मैं पवित्र हूँ*। इसलिए तुम किसी प्रकार के रेंगनेवाले जन्तु के द्वारा जो पृथ्वी पर चलता है अपने आप को अशुद्ध न करना। (1 पत. 1:16)
लैव्यवस्था 11 : 45 (IRVHI)
क्योंकि मैं वह यहोवा हूँ जो तुम्हें मिस्र देश से इसलिए निकाल ले आया हूँ कि तुम्हारा परमेश्‍वर ठहरूँ; इसलिए तुम पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूँ।”
लैव्यवस्था 11 : 46 (IRVHI)
पशुओं, पक्षियों, और सब जलचरी प्राणियों, और पृथ्वी पर सब रेंगनेवाले प्राणियों के विषय में यही व्यवस्था है,
लैव्यवस्था 11 : 47 (IRVHI)
कि शुद्ध अशुद्ध और भक्ष्य और अभक्ष्य जीवधारियों में भेद किया जाए।

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