मरकुस 10 : 1 (IRVHI)
विवाह और तलाक के विषय में शिक्षा फिर वह वहाँ से उठकर यहूदिया के सीमा-क्षेत्र और यरदन के पार आया, और भीड़ उसके पास फिर इकट्ठी हो गई, और वह अपनी रीति के अनुसार उन्हें फिर उपदेश देने लगा।
मरकुस 10 : 2 (IRVHI)
तब फरीसियों* ने उसके पास आकर उसकी परीक्षा करने को उससे पूछा, “क्या यह उचित है, कि पुरुष अपनी पत्नी को त्यागे?”
मरकुस 10 : 3 (IRVHI)
उसने उनको उत्तर दिया, “मूसा ने तुम्हें क्या आज्ञा दी है?”
मरकुस 10 : 4 (IRVHI)
उन्होंने कहा, “मूसा ने त्याग-पत्र लिखने और त्यागने की आज्ञा दी है।” (व्य. 24:1-3)
मरकुस 10 : 5 (IRVHI)
यीशु ने उनसे कहा, “तुम्हारे मन की कठोरता के कारण उसने तुम्हारे लिये यह आज्ञा लिखी।
मरकुस 10 : 6 (IRVHI)
पर सृष्टि के आरम्भ से, परमेश्वर ने नर और नारी करके उनको बनाया है। (उत्प. 1:27, उत्प. 5:2)
मरकुस 10 : 7 (IRVHI)
इस कारण मनुष्य अपने माता-पिता से अलग होकर अपनी पत्नी के साथ रहेगा,
मरकुस 10 : 8 (IRVHI)
और वे दोनों एक तन होंगे’; इसलिए वे अब दो नहीं, पर एक तन हैं। (उत्प. 2:24)
मरकुस 10 : 9 (IRVHI)
इसलिए जिसे परमेश्वर ने जोड़ा है, उसे मनुष्य अलग न करे।”
मरकुस 10 : 10 (IRVHI)
और घर में चेलों ने इसके विषय में उससे फिर पूछा।
मरकुस 10 : 11 (IRVHI)
उसने उनसे कहा, “जो कोई अपनी पत्नी को त्याग कर दूसरी से विवाह करे तो वह उस पहली के विरोध में व्यभिचार करता है।
मरकुस 10 : 12 (IRVHI)
और यदि पत्नी अपने पति को छोड़कर दूसरे से विवाह करे, तो वह व्यभिचार करती है।”
मरकुस 10 : 13 (IRVHI)
बालक और स्वर्ग का राज्य फिर लोग बालकों को उसके पास लाने लगे, कि वह उन पर हाथ रखे; पर चेलों ने उनको डाँटा।
मरकुस 10 : 14 (IRVHI)
यीशु ने यह देख क्रुद्ध होकर उनसे कहा, “बालकों को मेरे पास आने दो और उन्हें मना न करो, क्योंकि परमेश्वर का राज्य ऐसों ही का है।
मरकुस 10 : 15 (IRVHI)
मैं तुम से सच कहता हूँ, कि जो कोई परमेश्वर के राज्य को बालक की तरह ग्रहण न करे, वह उसमें कभी प्रवेश करने न पाएगा।”
मरकुस 10 : 16 (IRVHI)
और उसने उन्हें गोद में लिया, और उन पर हाथ रखकर उन्हें आशीष दी।
मरकुस 10 : 17 (IRVHI)
{धनी युवक और परमेश्वर का राज्य } और जब वह निकलकर मार्ग में जाता था, तो एक मनुष्य उसके पास दौड़ता हुआ आया, और उसके आगे घुटने टेककर उससे पूछा, “हे उत्तम गुरु, अनन्त जीवन का अधिकारी होने के लिये मैं क्या करूँ?”
मरकुस 10 : 18 (IRVHI)
यीशु ने उससे कहा, “तू मुझे उत्तम क्यों कहता है? कोई उत्तम नहीं, केवल एक अर्थात् परमेश्वर।
मरकुस 10 : 19 (IRVHI)
तू आज्ञाओं को तो जानता है: ‘हत्या न करना, व्यभिचार न करना, चोरी न करना, झूठी गवाही न देना, छल न करना*, अपने पिता और अपनी माता का आदर करना।’ (निर्ग. 20:12-16, रोम. 13:9)
मरकुस 10 : 20 (IRVHI)
उसने उससे कहा, “हे गुरु, इन सब को मैं लड़कपन से मानता आया हूँ।”
मरकुस 10 : 21 (IRVHI)
यीशु ने उस पर दृष्टि करके उससे प्रेम किया, और उससे कहा, “तुझ में एक बात की घटी है; जा, जो कुछ तेरा है, उसे बेचकर गरीबों को दे, और तुझे स्वर्ग में धन मिलेगा, और आकर मेरे पीछे हो ले।”
मरकुस 10 : 22 (IRVHI)
इस बात से उसके चेहरे पर उदासी छा गई, और वह शोक करता हुआ चला गया, क्योंकि वह बहुत धनी था।
मरकुस 10 : 23 (IRVHI)
यीशु ने चारों ओर देखकर अपने चेलों से कहा, “धनवानों को परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना कैसा कठिन है!”
मरकुस 10 : 24 (IRVHI)
चेले उसकी बातों से अचम्भित हुए। इस पर यीशु ने फिर उनसे कहा, “हे बालकों, जो धन पर भरोसा रखते हैं, उनके लिए परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना कैसा कठिन है!
मरकुस 10 : 25 (IRVHI)
परमेश्वर के राज्य में धनवान के प्रवेश करने से ऊँट का सूई के नाके में से निकल जाना सहज है!”
मरकुस 10 : 26 (IRVHI)
वे बहुत ही चकित होकर आपस में कहने लगे, “तो फिर किस का उद्धार हो सकता है?”
मरकुस 10 : 27 (IRVHI)
यीशु ने उनकी ओर देखकर कहा, “मनुष्यों से तो यह नहीं हो सकता, परन्तु परमेश्वर से हो सकता है; क्योंकि परमेश्वर से सब कुछ हो सकता है।” (अय्यू. 42:2, लूका 1:37)
मरकुस 10 : 28 (IRVHI)
पतरस उससे कहने लगा, “देख, हम तो सब कुछ छोड़कर तेरे पीछे हो लिये हैं।”
मरकुस 10 : 29 (IRVHI)
यीशु ने कहा, “मैं तुम से सच कहता हूँ, कि ऐसा कोई नहीं, जिस ने मेरे और सुसमाचार के लिये घर या भाइयों या बहनों या माता या पिता या बाल-बच्चों या खेतों को छोड़ दिया हो,
मरकुस 10 : 30 (IRVHI)
और अब इस समय* सौ गुणा न पाए, घरों और भाइयों और बहनों और माताओं और बाल-बच्चों और खेतों को, पर सताव के साथ और परलोक में अनन्त जीवन।
मरकुस 10 : 31 (IRVHI)
पर बहुत सारे जो पहले हैं, पिछले होंगे; और जो पिछले हैं, वे पहले होंगे।”
मरकुस 10 : 32 (IRVHI)
यीशु का अपनी मृत्यु के विषय में तीसरी बार बताना और वे यरूशलेम को जाते हुए मार्ग में थे, और यीशु उनके आगे-आगे जा रहा था : और चेले अचम्भा करने लगे और जो उसके पीछे-पीछे चलते थे वे डरे हुए थे, तब वह फिर उन बारहों को लेकर उनसे वे बातें कहने लगा, जो उस पर आनेवाली थीं।
मरकुस 10 : 33 (IRVHI)
“देखो, हम यरूशलेम को जाते हैं, और मनुष्य का पुत्र प्रधान याजकों और शास्त्रियों के हाथ पकड़वाया जाएगा, और वे उसको मृत्यु के योग्य ठहराएँगे, और अन्यजातियों के हाथ में सौंपेंगे।
मरकुस 10 : 34 (IRVHI)
और वे उसका उपहास करेंगे, उस पर थूकेंगे, उसे कोड़े मारेंगे, और उसे मार डालेंगे, और तीन दिन के बाद वह जी उठेगा।”
मरकुस 10 : 35 (IRVHI)
सेवकाई की महानता तब जब्दी के पुत्र याकूब और यूहन्ना ने उसके पास आकर कहा, “हे गुरु, हम चाहते हैं, कि जो कुछ हम तुझ से माँगे, वही तू हमारे लिये करे।”
मरकुस 10 : 36 (IRVHI)
उसने उनसे कहा, “तुम क्या चाहते हो कि मैं तुम्हारे लिये करूँ?”
मरकुस 10 : 37 (IRVHI)
उन्होंने उससे कहा, “हमें यह दे, कि तेरी महिमा में हम में से एक तेरे दाहिने और दूसरा तेरे बाएँ बैठे।”
मरकुस 10 : 38 (IRVHI)
यीशु ने उनसे कहा, “तुम नहीं जानते, कि क्या माँगते हो? जो कटोरा मैं पीने पर हूँ, क्या तुम पी सकते हो? और जो बपतिस्मा मैं लेने पर हूँ, क्या तुम ले सकते हो?”
मरकुस 10 : 39 (IRVHI)
उन्होंने उससे कहा, “हम से हो सकता है।” यीशु ने उनसे कहा, “जो कटोरा मैं पीने पर हूँ, तुम पीओगे; और जो बपतिस्मा मैं लेने पर हूँ, उसे लोगे।
मरकुस 10 : 40 (IRVHI)
पर जिनके लिये तैयार किया गया है, उन्हें छोड़ और किसी को अपने दाहिने और अपने बाएँ बैठाना मेरा काम नहीं।”
मरकुस 10 : 41 (IRVHI)
यह सुनकर दसों याकूब और यूहन्ना पर रिसियाने लगे।
मरकुस 10 : 42 (IRVHI)
तो यीशु ने उनको पास बुलाकर उनसे कहा, “तुम जानते हो, कि जो अन्यजातियों के अधिपति समझे जाते हैं, वे उन पर प्रभुता करते हैं; और उनमें जो बड़े हैं, उन पर अधिकार जताते हैं।
मरकुस 10 : 43 (IRVHI)
पर तुम में ऐसा नहीं है, वरन् जो कोई तुम में बड़ा होना चाहे वह तुम्हारा सेवक बने;
मरकुस 10 : 44 (IRVHI)
और जो कोई तुम में प्रधान होना चाहे, वह सब का दास बने।
मरकुस 10 : 45 (IRVHI)
क्योंकि मनुष्य का पुत्र इसलिए नहीं आया, कि उसकी सेवा टहल की जाए, पर इसलिए आया, कि आप सेवा टहल करे, और बहुतों के छुटकारे के लिये अपना प्राण दे।”
मरकुस 10 : 46 (IRVHI)
अंधे बरतिमाई की चंगाई वे यरीहो में आए, और जब वह और उसके चेले, और एक बड़ी भीड़ यरीहो से निकलती थी, तब तिमाई का पुत्र बरतिमाई एक अंधा भिखारी, सड़क के किनारे बैठा था।
मरकुस 10 : 47 (IRVHI)
वह यह सुनकर कि यीशु नासरी है, पुकार-पुकारकर कहने लगा “हे दाऊद की सन्तान, यीशु मुझ पर दया कर।”
मरकुस 10 : 48 (IRVHI)
बहुतों ने उसे डाँटा कि चुप रहे, पर वह और भी पुकारने लगा, “हे दाऊद की सन्तान, मुझ पर दया कर।”
मरकुस 10 : 49 (IRVHI)
तब यीशु ने ठहरकर कहा, “उसे बुलाओ।” और लोगों ने उस अंधे को बुलाकर उससे कहा, “धैर्य रख, उठ, वह तुझे बुलाता है।”
मरकुस 10 : 50 (IRVHI)
वह अपना बाहरी वस्त्र फेंककर शीघ्र उठा, और यीशु के पास आया।
मरकुस 10 : 51 (IRVHI)
इस पर यीशु ने उससे कहा, “तू क्या चाहता है कि मैं तेरे लिये करूँ?” अंधे ने उससे कहा, “हे रब्बी, यह कि मैं देखने लगूँ।”
मरकुस 10 : 52 (IRVHI)
यीशु ने उससे कहा, “चला जा, तेरे विश्वास ने तुझे चंगा कर दिया है।” और वह तुरन्त देखने लगा, और मार्ग में उसके पीछे हो लिया।
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