मत्ती 4 : 1 (IRVHI)
शैतान द्वारा यीशु मसीह की परीक्षा तब उस समय पवित्र आत्मा यीशु को एकांत में ले गया ताकि शैतान से उसकी परीक्षा हो।*
मत्ती 4 : 2 (IRVHI)
वह चालीस दिन, और चालीस रात, निराहार रहा, तब उसे भूख लगी। (निर्ग. 34:28)
मत्ती 4 : 3 (IRVHI)
तब परखनेवाले ने पास आकर उससे कहा, “यदि तू परमेश्‍वर का पुत्र है, तो कह दे, कि ये पत्थर रोटियाँ बन जाएँ।”
मत्ती 4 : 4 (IRVHI)
यीशु ने उत्तर दिया, “लिखा है, “ ‘मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं, “परन्तु हर एक वचन से जो परमेश्‍वर के मुख से निकलता है जीवित रहेगा।”
मत्ती 4 : 5 (IRVHI)
तब शैतान उसे पवित्र नगर में ले गया और मन्दिर के कंगूरे पर खड़ा किया। (लूका 4:9)
मत्ती 4 : 6 (IRVHI)
और उससे कहा, “यदि तू परमेश्‍वर का पुत्र है, तो अपने आप को नीचे गिरा दे; क्योंकि लिखा है, ‘वह तेरे विषय में अपने स्वर्गदूतों को आज्ञा देगा, और वे तुझे हाथों हाथ उठा लेंगे; कहीं ऐसा न हो कि तेरे पाँवों में पत्थर से ठेस लगे*।’ ” (भज. 91:11-12)
मत्ती 4 : 7 (IRVHI)
यीशु ने उससे कहा, “यह भी लिखा है, ‘तू प्रभु अपने परमेश्‍वर की परीक्षा न कर।’ ” (व्य. 6:16)
मत्ती 4 : 8 (IRVHI)
फिर शैतान उसे एक बहुत ऊँचे पहाड़ पर ले गया और सारे जगत के राज्य और उसका वैभव दिखाकर
मत्ती 4 : 9 (IRVHI)
उससे कहा, “यदि तू गिरकर मुझे प्रणाम करे, तो मैं यह सब कुछ तुझे दे दूँगा*।”
मत्ती 4 : 10 (IRVHI)
तब यीशु ने उससे कहा, “हे शैतान दूर हो जा, क्योंकि लिखा है: ‘तू प्रभु अपने परमेश्‍वर को प्रणाम कर, और केवल उसी की उपासना कर।’ ” (व्य. 6:13)
मत्ती 4 : 11 (IRVHI)
तब शैतान उसके पास से चला गया, और स्वर्गदूत आकर उसकी सेवा करने लगे।
मत्ती 4 : 12 (IRVHI)
यीशु के उपदेश का आरम्भ जब उसने यह सुना कि यूहन्ना पकड़वा दिया गया, तो वह गलील को चला गया।
मत्ती 4 : 13 (IRVHI)
और नासरत को छोड़कर कफरनहूम में जो झील के किनारे जबूलून और नप्ताली के क्षेत्र में है जाकर रहने लगा।
मत्ती 4 : 14 (IRVHI)
ताकि जो यशायाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा गया था, वह पूरा हो।
मत्ती 4 : 15 (IRVHI)
“जबूलून और नप्ताली के क्षेत्र, झील के मार्ग से यरदन के पास अन्यजातियों का गलील-
मत्ती 4 : 16 (IRVHI)
जो लोग अंधकार में बैठे थे उन्होंने बड़ी ज्योति देखी; और जो मृत्यु के क्षेत्र और छाया में बैठे थे, उन पर ज्योति चमकी।”
मत्ती 4 : 17 (IRVHI)
उस समय से यीशु ने प्रचार करना और यह कहना आरम्भ किया, “मन फिराओ क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट आया है।”
मत्ती 4 : 18 (IRVHI)
प्रथम चेलों का बुलाया जाना उसने गलील की झील के किनारे फिरते हुए दो भाइयों अर्थात् शमौन को जो पतरस कहलाता है, और उसके भाई अन्द्रियास को झील में जाल डालते देखा; क्योंकि वे मछुए थे।
मत्ती 4 : 19 (IRVHI)
और उनसे कहा, “मेरे पीछे चले आओ, तो मैं तुम को मनुष्यों के पकड़नेवाले बनाऊँगा।”
मत्ती 4 : 20 (IRVHI)
वे तुरन्त जालों को छोड़कर उसके पीछे हो लिए।
मत्ती 4 : 21 (IRVHI)
और वहाँ से आगे बढ़कर, उसने और दो भाइयों अर्थात् जब्दी के पुत्र* याकूब और उसके भाई यूहन्ना को अपने पिता जब्दी के साथ नाव पर अपने जालों को सुधारते देखा; और उन्हें भी बुलाया।
मत्ती 4 : 22 (IRVHI)
वे तुरन्त नाव और अपने पिता को छोड़कर उसके पीछे हो लिए।
मत्ती 4 : 23 (IRVHI)
गलील में रोगियों को चंगा करना और यीशु सारे गलील में फिरता हुआ उनके आराधनालयों में उपदेश करता, और राज्य का सुसमाचार प्रचार करता, और लोगों की हर प्रकार की बीमारी और दुर्बलता को दूर करता रहा।
मत्ती 4 : 24 (IRVHI)
और सारे सीरिया देश में उसका यश फैल गया; और लोग सब बीमारों को, जो विभिन्न प्रकार की बीमारियों और दुःखों में जकड़े हुए थे, और जिनमें दुष्टात्माएँ थीं और मिर्गीवालों और लकवे के रोगियों को उसके पास लाए और उसने उन्हें चंगा किया।
मत्ती 4 : 25 (IRVHI)
और गलील, दिकापुलिस*, यरूशलेम, यहूदिया और यरदन के पार से भीड़ की भीड़ उसके पीछे हो ली।

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