नीतिवचन 13 : 1 (IRVHI)
बुद्धिमान पुत्र पिता की शिक्षा सुनता है, [QBR] परन्तु ठट्ठा करनेवाला घुड़की को भी नहीं सुनता। [QBR]
नीतिवचन 13 : 2 (IRVHI)
सज्जन अपनी बातों के कारण* उत्तम वस्तु खाने पाता है, [QBR] परन्तु विश्वासघाती लोगों का पेट उपद्रव से भरता है। [QBR]
नीतिवचन 13 : 3 (IRVHI)
जो अपने मुँह की चौकसी करता है, वह अपने प्राण की रक्षा करता है, [QBR] परन्तु जो गाल बजाता है उसका विनाश हो जाता है। [QBR]
नीतिवचन 13 : 4 (IRVHI)
आलसी का प्राण लालसा तो करता है, परन्तु उसको कुछ नहीं मिलता, [QBR] परन्तु कामकाजी हष्ट पुष्ट हो जाते हैं। [QBR]
नीतिवचन 13 : 5 (IRVHI)
धर्मी झूठे वचन से बैर रखता है, [QBR] परन्तु दुष्ट लज्जा का कारण होता है और लज्जित हो जाता है। [QBR]
नीतिवचन 13 : 6 (IRVHI)
धर्म खरी चाल चलनेवाले की रक्षा करता है, [QBR] परन्तु पापी अपनी दुष्टता के कारण उलट जाता है। [QBR]
नीतिवचन 13 : 7 (IRVHI)
कोई तो धन बटोरता, परन्तु उसके पास कुछ नहीं रहता, [QBR] और कोई धन उड़ा देता, फिर भी उसके पास बहुत रहता है। [QBR]
नीतिवचन 13 : 8 (IRVHI)
धनी मनुष्य के प्राण की छुड़ौती उसके धन से होती है*, [QBR] परन्तु निर्धन ऐसी घुड़की को सुनता भी नहीं। [QBR]
नीतिवचन 13 : 9 (IRVHI)
धर्मियों की ज्योति आनन्द के साथ रहती है, [QBR] परन्तु दुष्टों का दिया बुझ जाता है। [QBR]
नीतिवचन 13 : 10 (IRVHI)
अहंकार से केवल झगड़े होते हैं, [QBR] परन्तु जो लोग सम्मति मानते हैं, उनके पास बुद्धि रहती है। [QBR]
नीतिवचन 13 : 11 (IRVHI)
धोखे से कमाया धन जल्दी घटता है, [QBR] परन्तु जो अपने परिश्रम से बटोरता, उसकी बढ़ती होती है। [QBR]
नीतिवचन 13 : 12 (IRVHI)
जब आशा पूरी होने में विलम्ब होता है, तो मन निराश होता है, [QBR] परन्तु जब लालसा पूरी होती है, तब जीवन का वृक्ष लगता है। [QBR]
नीतिवचन 13 : 13 (IRVHI)
जो वचन को तुच्छ जानता, उसका नाश हो जाता है, [QBR] परन्तु आज्ञा के डरवैये को अच्छा फल मिलता है। [QBR]
नीतिवचन 13 : 14 (IRVHI)
बुद्धिमान की शिक्षा जीवन का सोता है, [QBR] और उसके द्वारा लोग मृत्यु के फंदों से बच सकते हैं। [QBR]
नीतिवचन 13 : 15 (IRVHI)
सुबुद्धि के कारण अनुग्रह होता है, [QBR] परन्तु विश्वासघातियों का मार्ग कड़ा होता है। [QBR]
नीतिवचन 13 : 16 (IRVHI)
विवेकी मनुष्य ज्ञान से सब काम करता हैं, [QBR] परन्तु मूर्ख अपनी मूर्खता फैलाता है। [QBR]
नीतिवचन 13 : 17 (IRVHI)
दुष्ट दूत बुराई में फँसता है, [QBR] परन्तु विश्वासयोग्य दूत मिलाप करवाता है। [QBR]
नीतिवचन 13 : 18 (IRVHI)
जो शिक्षा को अनसुनी करता वह निर्धन हो जाता है और अपमान पाता है, [QBR] परन्तु जो डाँट को मानता, उसकी महिमा होती है। [QBR]
नीतिवचन 13 : 19 (IRVHI)
लालसा का पूरा होना तो प्राण को मीठा लगता है, [QBR] परन्तु बुराई से हटना, मूर्खों के प्राण को बुरा लगता है। [QBR]
नीतिवचन 13 : 20 (IRVHI)
बुद्धिमानों की संगति कर, तब तू भी बुद्धिमान हो जाएगा, [QBR] परन्तु मूर्खों का साथी नाश हो जाएगा। [QBR]
नीतिवचन 13 : 21 (IRVHI)
विपत्ति पापियों के पीछे लगी रहती है, [QBR] परन्तु धर्मियों को अच्छा फल मिलता है। [QBR]
नीतिवचन 13 : 22 (IRVHI)
भला मनुष्य अपने नाती-पोतों के लिये सम्पत्ति छोड़ जाता है, [QBR] परन्तु पापी की सम्पत्ति धर्मी के लिये रखी जाती है*। [QBR]
नीतिवचन 13 : 23 (IRVHI)
निर्बल लोगों को खेती-बारी से बहुत भोजनवस्तु मिलता है, [QBR] परन्तु अन्याय से उसको हड़प लिया जाता है। [QBR]
नीतिवचन 13 : 24 (IRVHI)
जो बेटे पर छड़ी नहीं चलाता वह उसका बैरी है, [QBR] परन्तु जो उससे प्रेम रखता, वह यत्न से उसको शिक्षा देता है। [QBR]
नीतिवचन 13 : 25 (IRVHI)
धर्मी पेट भर खाने पाता है, [QBR] परन्तु दुष्ट भूखे ही रहते हैं। [PE]

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