नीतिवचन 2 : 1 (IRVHI)
ज्ञान का मूल्य हे मेरे पुत्र, यदि तू मेरे वचन ग्रहण करे, और मेरी आज्ञाओं को अपने हृदय में रख छोड़े,
नीतिवचन 2 : 2 (IRVHI)
और बुद्धि की बात ध्यान से सुने, और समझ की बात मन लगाकर सोचे;* (नीति. 23:12)
नीतिवचन 2 : 3 (IRVHI)
यदि तू प्रवीणता और समझ के लिये अति यत्न से पुकारे,
नीतिवचन 2 : 4 (IRVHI)
और उसको चाँदी के समान ढूँढ़े, और गुप्त धन के समान उसकी खोज में लगा रहे; (मत्ती 13:44)
नीतिवचन 2 : 5 (IRVHI)
तो तू यहोवा के भय को समझेगा, और परमेश्‍वर का ज्ञान तुझे प्राप्त होगा।
नीतिवचन 2 : 6 (IRVHI)
क्योंकि बुद्धि यहोवा ही देता है*; ज्ञान और समझ की बातें उसी के मुँह से निकलती हैं। (याकूब. 1:5)
नीतिवचन 2 : 7 (IRVHI)
वह सीधे लोगों के लिये खरी बुद्धि रख छोड़ता है; जो खराई से चलते हैं, उनके लिये वह ढाल ठहरता है।
नीतिवचन 2 : 8 (IRVHI)
वह न्याय के पथों की देख-भाल करता, और अपने भक्तों के मार्ग की रक्षा करता है।
नीतिवचन 2 : 9 (IRVHI)
तब तू धर्म और न्याय और सिधाई को, अर्थात् सब भली-भली चाल को समझ सकेगा;
नीतिवचन 2 : 10 (IRVHI)
क्योंकि बुद्धि तो तेरे हृदय में प्रवेश करेगी, और ज्ञान तेरे प्राण को सुख देनेवाला होगा;
नीतिवचन 2 : 11 (IRVHI)
विवेक तुझे सुरक्षित रखेगा; और समझ तेरी रक्षक होगी;
नीतिवचन 2 : 12 (IRVHI)
ताकि वे तुझे बुराई के मार्ग से, और उलट फेर की बातों के कहनेवालों से बचायेंगे,
नीतिवचन 2 : 13 (IRVHI)
जो सिधाई के मार्ग को छोड़ देते हैं, ताकि अंधेरे मार्ग में चलें;
नीतिवचन 2 : 14 (IRVHI)
जो बुराई करने से आनन्दित होते हैं, और दुष्ट जन की उलट फेर की बातों में मगन रहते हैं;
नीतिवचन 2 : 15 (IRVHI)
जिनके चालचलन टेढ़े-मेढ़े और जिनके मार्ग में कुटिलता हैं।
नीतिवचन 2 : 16 (IRVHI)
बुद्धि और विवेक तुझे पराई स्त्री से बचाएंगे, जो चिकनी चुपड़ी बातें बोलती है,
नीतिवचन 2 : 17 (IRVHI)
और अपनी जवानी के साथी को छोड़ देती, और जो अपने परमेश्‍वर की वाचा* को भूल जाती है।
नीतिवचन 2 : 18 (IRVHI)
उसका घर मृत्यु की ढलान पर है, और उसकी डगरें मरे हुओं के बीच पहुँचाती हैं;
नीतिवचन 2 : 19 (IRVHI)
जो उसके पास जाते हैं, उनमें से कोई भी लौटकर नहीं आता; और न वे जीवन का मार्ग पाते हैं।
नीतिवचन 2 : 20 (IRVHI)
इसलिए तू भले मनुष्यों के मार्ग में चल, और धर्मियों के पथ को पकड़े रह।
नीतिवचन 2 : 21 (IRVHI)
क्योंकि धर्मी लोग देश में बसे रहेंगे, और खरे लोग ही उसमें बने रहेंगे।
नीतिवचन 2 : 22 (IRVHI)
दुष्ट लोग देश में से नाश होंगे, और विश्वासघाती उसमें से उखाड़े जाएँगे।

1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22