भजन संहिता 103 : 1 (IRVHI)
20 हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह; [QBR] और जो कुछ मुझ में है, वह उसके पवित्र नाम को धन्य कहे! [QBR]
भजन संहिता 103 : 2 (IRVHI)
हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह, [QBR] और उसके किसी उपकार को न भूलना। [QBR]
भजन संहिता 103 : 3 (IRVHI)
वही तो तेरे सब अधर्म को क्षमा करता, [QBR] और तेरे सब रोगों को चंगा करता है, [QBR]
भजन संहिता 103 : 4 (IRVHI)
वही तो तेरे प्राण को नाश होने से बचा लेता है*, [QBR] और तेरे सिर पर करुणा और दया का मुकुट बाँधता है, [QBR]
भजन संहिता 103 : 5 (IRVHI)
वही तो तेरी लालसा को उत्तम पदार्थों से तृप्त करता है, [QBR] जिससे तेरी जवानी उकाब के समान नई हो जाती है। [QBR]
भजन संहिता 103 : 6 (IRVHI)
यहोवा सब पिसे हुओं के लिये [QBR] धर्म और न्याय के काम करता है। [QBR]
भजन संहिता 103 : 7 (IRVHI)
उसने मूसा को अपनी गति, [QBR] और इस्राएलियों पर अपने काम प्रगट किए। (भज. 147:19) [QBR]
भजन संहिता 103 : 8 (IRVHI)
यहोवा दयालु और अनुग्रहकारी, विलम्ब से कोप करनेवाला और अति करुणामय है (भज. 86:15, भज. 145:8) [QBR]
भजन संहिता 103 : 9 (IRVHI)
वह सर्वदा वाद-विवाद करता न रहेगा*, [QBR] न उसका क्रोध सदा के लिये भड़का रहेगा। [QBR]
भजन संहिता 103 : 10 (IRVHI)
उसने हमारे पापों के अनुसार हम से व्यवहार नहीं किया, [QBR] और न हमारे अधर्म के कामों के अनुसार हमको बदला दिया है। [QBR]
भजन संहिता 103 : 11 (IRVHI)
जैसे आकाश पृथ्वी के ऊपर ऊँचा है, [QBR] वैसे ही उसकी करुणा उसके डरवैयों के ऊपर प्रबल है। [QBR]
भजन संहिता 103 : 12 (IRVHI)
उदयाचल अस्ताचल से जितनी दूर है, [QBR] उसने हमारे अपराधों को हम से उतनी ही दूर कर दिया है। [QBR]
भजन संहिता 103 : 13 (IRVHI)
जैसे पिता अपने बालकों पर दया करता है, [QBR] वैसे ही यहोवा अपने डरवैयों पर दया करता है। [QBR]
भजन संहिता 103 : 14 (IRVHI)
क्योंकि वह हमारी सृष्टि जानता है; [QBR] और उसको स्मरण रहता है कि मनुष्य मिट्टी ही है। [QBR]
भजन संहिता 103 : 15 (IRVHI)
मनुष्य की आयु घास के समान होती है, [QBR] वह मैदान के फूल के समान फूलता है, [QBR]
भजन संहिता 103 : 16 (IRVHI)
जो पवन लगते ही ठहर नहीं सकता, [QBR] और न वह अपने स्थान में फिर मिलता है। [QBR]
भजन संहिता 103 : 17 (IRVHI)
परन्तु यहोवा की करुणा उसके डरवैयों पर युग-युग, [QBR] और उसका धर्म उनके नाती-पोतों पर भी प्रगट होता रहता है, (लूका 1:50) [QBR]
भजन संहिता 103 : 18 (IRVHI)
अर्थात् उन पर जो उसकी वाचा का पालन करते [QBR] और उसके उपदेशों को स्मरण करके उन पर चलते हैं। [QBR]
भजन संहिता 103 : 19 (IRVHI)
यहोवा ने तो अपना सिंहासन स्वर्ग में स्थिर किया है, [QBR] और उसका राज्य पूरी सृष्टि पर है। [QBR]
भजन संहिता 103 : 20 (IRVHI)
हे यहोवा के दूतों, तुम जो बड़े वीर हो, [QBR] और उसके वचन को मानते* और पूरा करते हो, [QBR] उसको धन्य कहो! [QBR]
भजन संहिता 103 : 21 (IRVHI)
हे यहोवा की सारी सेनाओं, हे उसके सेवकों, [QBR] तुम जो उसकी इच्छा पूरी करते हो, उसको धन्य कहो! [QBR]
भजन संहिता 103 : 22 (IRVHI)
हे यहोवा की सारी सृष्टि, [QBR] उसके राज्य के सब स्थानों में उसको धन्य कहो। [QBR] हे मेरे मन, तू यहोवा को धन्य कह! [PE]

1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22

BG:

Opacity:

Color:


Size:


Font: