भजन संहिता 111 : 1 (IRVHI)
{परमेश्वर की सच्चाई और न्याय के लिये स्तुतिगान }यहोवा की स्तुति करो। मैं सीधे लोगों की गोष्ठी में और मण्डली में भी सम्पूर्ण मन से यहोवा का धन्यवाद करूँगा।
भजन संहिता 111 : 2 (IRVHI)
यहोवा के काम बड़े हैं, जितने उनसे प्रसन्न रहते हैं, वे उन पर ध्यान लगाते हैं। (भज. 143:5)
भजन संहिता 111 : 3 (IRVHI)
उसके काम वैभवशाली और ऐश्वर्यमय होते हैं, और उसका धर्म सदा तक बना रहेगा।
भजन संहिता 111 : 4 (IRVHI)
उसने अपने आश्चर्यकर्मों का स्मरण कराया है; यहोवा अनुग्रहकारी और दयावन्त है। (भज. 86:5)
भजन संहिता 111 : 5 (IRVHI)
उसने अपने डरवैयों को आहार दिया है; वह अपनी वाचा को सदा तक स्मरण रखेगा।
भजन संहिता 111 : 6 (IRVHI)
उसने अपनी प्रजा को जाति-जाति का भाग देने के लिये, अपने कामों का प्रताप दिखाया है*।
भजन संहिता 111 : 7 (IRVHI)
सच्चाई और न्याय उसके हाथों के काम हैं; उसके सब उपदेश विश्वासयोग्य हैं,
भजन संहिता 111 : 8 (IRVHI)
वे सदा सर्वदा अटल रहेंगे, वे सच्चाई और सिधाई से किए हुए हैं।
भजन संहिता 111 : 9 (IRVHI)
उसने अपनी प्रजा का उद्धार किया है; उसने अपनी वाचा को सदा के लिये ठहराया है। उसका नाम पवित्र और भययोग्य है। (लूका 1:49,68)
भजन संहिता 111 : 10 (IRVHI)
बुद्धि का मूल यहोवा का भय है; जितने उसकी आज्ञाओं को मानते हैं, उनकी समझ अच्छी होती है। उसकी स्तुति सदा बनी रहेगी।
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