भजन संहिता 127 : 1 (IRVHI)
{परमेश्वर का आशीर्वाद } सुलैमान की यात्रा का गीत यदि घर को यहोवा न बनाए, तो उसके बनानेवालों का परिश्रम व्यर्थ होगा। यदि नगर की रक्षा यहोवा न करे, तो रखवाले का जागना व्यर्थ ही होगा।
भजन संहिता 127 : 2 (IRVHI)
तुम जो सवेरे उठते और देर करके विश्राम करते और कठोर परिश्रम की रोटी खाते हो, यह सब तुम्हारे लिये व्यर्थ ही है; क्योंकि वह अपने प्रियों को यों ही नींद प्रदान करता है।
भजन संहिता 127 : 3 (IRVHI)
देखो, बच्चे यहोवा के दिए हुए भाग हैं*, गर्भ का फल उसकी ओर से प्रतिफल है।
भजन संहिता 127 : 4 (IRVHI)
जैसे वीर के हाथ में तीर, वैसे ही जवानी के बच्चे होते हैं।
भजन संहिता 127 : 5 (IRVHI)
क्या ही धन्य है वह पुरुष जिसने अपने तरकश को उनसे भर लिया हो! वह फाटक के पास अपने शत्रुओं से बातें करते संकोच न करेगा।
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