भजन संहिता 14 : 1 (IRVHI)
{पापियों का एक चित्र} [PS] मूर्ख ने* अपने मन में कहा है, “कोई परमेश्‍वर है ही नहीं।” [QBR] वे बिगड़ गए, उन्होंने घिनौने काम किए हैं, [QBR] कोई सुकर्मी नहीं। [QBR]
भजन संहिता 14 : 2 (IRVHI)
यहोवा ने स्वर्ग में से मनुष्यों पर दृष्टि की है [QBR] कि देखे कि कोई बुद्धिमान, [QBR] कोई यहोवा का खोजी है या नहीं। [QBR]
भजन संहिता 14 : 3 (IRVHI)
वे सब के सब भटक गए, वे सब भ्रष्ट हो गए; [QBR] कोई सुकर्मी नहीं, एक भी नहीं। (रोमी. 3:10-11) [QBR]
भजन संहिता 14 : 4 (IRVHI)
क्या किसी अनर्थकारी को कुछ भी ज्ञान नहीं रहता, [QBR] जो मेरे लोगों को ऐसे खा जाते हैं जैसे रोटी, [QBR] और यहोवा का नाम नहीं लेते? [QBR]
भजन संहिता 14 : 5 (IRVHI)
वहाँ उन पर भय छा गया, [QBR] क्योंकि परमेश्‍वर धर्मी लोगों के बीच में निरन्तर रहता है। [QBR]
भजन संहिता 14 : 6 (IRVHI)
तुम तो दीन की युक्ति की हँसी उड़ाते हो [QBR] परन्तु यहोवा उसका शरणस्थान है। [QBR]
भजन संहिता 14 : 7 (IRVHI)
भला हो कि इस्राएल का उद्धार सिय्योन से* प्रगट होता! [QBR] जब यहोवा अपनी प्रजा को दासत्व से लौटा ले आएगा, [QBR] तब याकूब मगन और इस्राएल आनन्दित होगा। (भज. 53:6, लूका 1:69) [PE]

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