भजन संहिता 145 : 1 (IRVHI)
{परमेश्वर की महिमा और प्रेम का गीत } दाऊद का भजन हे मेरे परमेश्वर, हे राजा, मैं तुझे सराहूँगा, और तेरे नाम को सदा सर्वदा धन्य कहता रहूँगा।
भजन संहिता 145 : 2 (IRVHI)
प्रतिदिन मैं तुझको धन्य कहा करूँगा, और तेरे नाम की स्तुति सदा सर्वदा करता रहूँगा।
भजन संहिता 145 : 3 (IRVHI)
यहोवा महान और अति स्तुति के योग्य है, और उसकी बड़ाई अगम है।
भजन संहिता 145 : 4 (IRVHI)
तेरे कामों की प्रशंसा और तेरे पराक्रम के कामों का वर्णन, पीढ़ी-पीढ़ी होता चला जाएगा।
भजन संहिता 145 : 5 (IRVHI)
मैं तेरे ऐश्वर्य की महिमा के प्रताप पर और तेरे भाँति-भाँति के आश्चर्यकर्मों पर ध्यान करूँगा।
भजन संहिता 145 : 6 (IRVHI)
लोग तेरे भयानक कामों की शक्ति की चर्चा करेंगे, और मैं तेरे बड़े-बड़े कामों का वर्णन करूँगा।
भजन संहिता 145 : 7 (IRVHI)
लोग तेरी बड़ी भलाई का स्मरण करके उसकी चर्चा करेंगे, और तेरे धर्म का जयजयकार करेंगे।
भजन संहिता 145 : 8 (IRVHI)
यहोवा अनुग्रहकारी और दयालु, विलम्ब से क्रोध करनेवाला और अति करुणामय है।
भजन संहिता 145 : 9 (IRVHI)
यहोवा सभी के लिये भला है, और उसकी दया उसकी सारी सृष्टि पर है।
भजन संहिता 145 : 10 (IRVHI)
हे यहोवा, तेरी सारी सृष्टि तेरा धन्यवाद करेगी, और तेरे भक्त लोग तुझे धन्य कहा करेंगे!
भजन संहिता 145 : 11 (IRVHI)
वे तेरे राज्य की महिमा की चर्चा करेंगे, और तेरे पराक्रम के विषय में बातें करेंगे;
भजन संहिता 145 : 12 (IRVHI)
कि वे मनुष्यों पर तेरे पराक्रम के काम और तेरे राज्य के प्रताप की महिमा प्रगट करें।
भजन संहिता 145 : 13 (IRVHI)
तेरा राज्य युग-युग का और तेरी प्रभुता सब पीढि़यों तक बनी रहेगी।
भजन संहिता 145 : 14 (IRVHI)
यहोवा सब गिरते हुओं को संभालता है, और सब झुके हुओं को सीधा खड़ा करता है।
भजन संहिता 145 : 15 (IRVHI)
सभी की आँखें तेरी ओर लगी रहती हैं, और तू उनको आहार समय पर देता है।
भजन संहिता 145 : 16 (IRVHI)
तू अपनी मुट्ठी खोलकर, सब प्राणियों को आहार से तृप्त करता है।
भजन संहिता 145 : 17 (IRVHI)
यहोवा अपनी सब गति में धर्मी और अपने सब कामों में करुणामय है*। (प्रका. 15:3, प्रका. 16:5)
भजन संहिता 145 : 18 (IRVHI)
जितने यहोवा को पुकारते हैं, अर्थात् जितने उसको सच्चाई से पुकारते है; उन सभी के वह निकट रहता है*।
भजन संहिता 145 : 19 (IRVHI)
वह अपने डरवैयों की इच्छा पूरी करता है, और उनकी दुहाई सुनकर उनका उद्धार करता है।
भजन संहिता 145 : 20 (IRVHI)
यहोवा अपने सब प्रेमियों की तो रक्षा करता, परन्तु सब दुष्टों को सत्यानाश करता है।
भजन संहिता 145 : 21 (IRVHI)
मैं यहोवा की स्तुति करूँगा, और सारे प्राणी उसके पवित्र नाम को सदा सर्वदा धन्य कहते रहें।
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