भजन संहिता 149 : 1 (IRVHI)
{न्याय और उद्धार के लिए परमेश्‍वर की स्तुति }यहोवा की स्तुति करो! यहोवा के लिये नया गीत गाओ, भक्तों की सभा में उसकी स्तुति गाओ! (प्रका. 5:9 प्रका. 14:3)
भजन संहिता 149 : 2 (IRVHI)
इस्राएल अपने कर्ता के कारण आनन्दित हो, सिय्योन के निवासी अपने राजा के कारण मगन हों!
भजन संहिता 149 : 3 (IRVHI)
वे नाचते हुए उसके नाम की स्तुति करें, और डफ और वीणा बजाते हुए उसका भजन गाएँ!
भजन संहिता 149 : 4 (IRVHI)
क्योंकि यहोवा अपनी प्रजा से प्रसन्‍न रहता है; वह नम्र लोगों का उद्धार करके उन्हें शोभायमान करेगा*।
भजन संहिता 149 : 5 (IRVHI)
भक्त लोग महिमा के कारण प्रफुल्लित हों; और अपने बिछौनों पर भी पड़े-पड़े जयजयकार करें।
भजन संहिता 149 : 6 (IRVHI)
उनके कण्ठ से परमेश्‍वर की प्रशंसा हो, और उनके हाथों में दोधारी तलवारें रहें,
भजन संहिता 149 : 7 (IRVHI)
कि वे जाति-जाति से पलटा ले सके; और राज्य-राज्य के लोगों को ताड़ना दें,
भजन संहिता 149 : 8 (IRVHI)
और उनके राजाओं को जंजीरों से, और उनके प्रतिष्ठित पुरुषों को लोहे की बेड़ियों से जकड़ रखें*,
भजन संहिता 149 : 9 (IRVHI)
और उनको ठहराया हुआ दण्ड देंगे! उसके सब भक्तों की ऐसी ही प्रतिष्ठा होगी। यहोवा की स्तुति करो।

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