भजन संहिता 16 : 1 (IRVHI)
हे परमेश्‍वर मेरी रक्षा कर, [QBR] क्योंकि मैं तेरा ही शरणागत हूँ। [QBR]
भजन संहिता 16 : 2 (IRVHI)
मैंने यहोवा से कहा, “तू ही मेरा प्रभु है; [QBR] तेरे सिवा मेरी भलाई कहीं नहीं।” [QBR]
भजन संहिता 16 : 3 (IRVHI)
पृथ्वी पर जो पवित्र लोग हैं, [QBR] वे ही आदर के योग्य हैं, [QBR] और उन्हीं से मैं प्रसन्‍न हूँ। [QBR]
भजन संहिता 16 : 4 (IRVHI)
जो पराए देवता के पीछे भागते हैं उनका दुःख बढ़ जाएगा; [QBR] मैं उन्हें लहूवाले अर्घ नहीं चढ़ाऊँगा [QBR] और उनका नाम अपने होंठों से नहीं लूँगा*। [QBR]
भजन संहिता 16 : 5 (IRVHI)
यहोवा तू मेरा चुना हुआ भाग और मेरा कटोरा है; [QBR] मेरे भाग को तू स्थिर रखता है। [QBR]
भजन संहिता 16 : 6 (IRVHI)
मेरे लिये माप की डोरी मनभावने स्थान में पड़ी, [QBR] और मेरा भाग मनभावना है। [QBR]
भजन संहिता 16 : 7 (IRVHI)
मैं यहोवा को धन्य कहता हूँ, [QBR] क्योंकि उसने मुझे सम्मति दी है; [QBR] वरन् मेरा मन भी रात में मुझे शिक्षा देता है। [QBR]
भजन संहिता 16 : 8 (IRVHI)
मैंने यहोवा को निरन्तर अपने सम्मुख रखा है*: [QBR] इसलिए कि वह मेरे दाहिने हाथ रहता है मैं कभी न डगमगाऊँगा। [QBR]
भजन संहिता 16 : 9 (IRVHI)
इस कारण मेरा हृदय आनन्दित [QBR] और मेरी आत्मा मगन हुई; [QBR] मेरा शरीर भी चैन से रहेगा। [QBR]
भजन संहिता 16 : 10 (IRVHI)
क्योंकि तू मेरे प्राण को अधोलोक में न छोड़ेगा, [QBR] न अपने पवित्र भक्त को कब्र में सड़ने देगा। [QBR]
भजन संहिता 16 : 11 (IRVHI)
तू मुझे जीवन का रास्ता दिखाएगा; [QBR] तेरे निकट आनन्द की भरपूरी है, [QBR] तेरे दाहिने हाथ में सुख सर्वदा बना रहता है। (प्रेरि. 2:25-28) [PE]

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