भजन संहिता 34 : 1 (IRVHI)
{परमेश्वर धर्मी का उद्धारकर्ता } दाऊद का भजन जब वह अबीमेलेक के सामने बौरहा बना, और अबीमेलेक ने उसे निकाल दिया, और वह चला गया मैं हर समय यहोवा को धन्य कहा करूँगा; उसकी स्तुति निरन्तर मेरे मुख से होती रहेगी।
भजन संहिता 34 : 2 (IRVHI)
मैं यहोवा पर घमण्ड करूँगा; नम्र लोग यह सुनकर आनन्दित होंगे।
भजन संहिता 34 : 3 (IRVHI)
मेरे साथ यहोवा की बड़ाई करो, और आओ हम मिलकर उसके नाम की स्तुति करें;
भजन संहिता 34 : 4 (IRVHI)
मैं यहोवा के पास गया, तब उसने मेरी सुन ली, और मुझे पूरी रीति से निर्भय किया।
भजन संहिता 34 : 5 (IRVHI)
जिन्होंने उसकी ओर दृष्टि की, उन्होंने ज्योति पाई; और उनका मुँह कभी काला न होने पाया।
भजन संहिता 34 : 6 (IRVHI)
इस दीन जन ने पुकारा तब यहोवा ने सुन लिया, और उसको उसके सब कष्टों से छुड़ा लिया।
भजन संहिता 34 : 7 (IRVHI)
यहोवा के डरवैयों के चारों ओर उसका दूत छावनी किए हुए उनको बचाता है। (इब्रा. 1:14, दान. 6: 22)
भजन संहिता 34 : 8 (IRVHI)
चखकर देखो* कि यहोवा कैसा भला है! क्या ही धन्य है वह मनुष्य जो उसकी शरण लेता है। (1 पत. 2:3)
भजन संहिता 34 : 9 (IRVHI)
हे यहोवा के पवित्र लोगों, उसका भय मानो, क्योंकि उसके डरवैयों को किसी बात की घटी नहीं होती!
भजन संहिता 34 : 10 (IRVHI)
जवान सिंहों को तो घटी होती और वे भूखे भी रह जाते हैं; परन्तु यहोवा के खोजियों को किसी भली वस्तु की घटी न होगी।
भजन संहिता 34 : 11 (IRVHI)
हे बच्चों, आओ मेरी सुनो, मैं तुम को यहोवा का भय मानना सिखाऊँगा।
भजन संहिता 34 : 12 (IRVHI)
वह कौन मनुष्य है जो जीवन की इच्छा रखता, और दीर्घायु चाहता है ताकि भलाई देखे?
भजन संहिता 34 : 13 (IRVHI)
अपनी जीभ को बुराई से रोक रख, और अपने मुँह की चौकसी कर कि उससे छल की बात न निकले। (याकू. 1:26)
भजन संहिता 34 : 14 (IRVHI)
बुराई को छोड़ और भलाई कर; मेल को ढूँढ़ और उसी का पीछा कर। (इब्रा. 12:14)
भजन संहिता 34 : 15 (IRVHI)
यहोवा की आँखें धर्मियों पर लगी रहती हैं, और उसके कान भी उनकी दुहाई की ओर लगे रहते हैं। (यूह. 9:31)
भजन संहिता 34 : 16 (IRVHI)
यहोवा बुराई करनेवालों के विमुख रहता है, ताकि उनका स्मरण पृथ्वी पर से मिटा डाले। (1 पत. 3:10-12)
भजन संहिता 34 : 17 (IRVHI)
धर्मी दुहाई देते हैं और यहोवा सुनता है, और उनको सब विपत्तियों से छुड़ाता है।
भजन संहिता 34 : 18 (IRVHI)
यहोवा टूटे मनवालों के समीप रहता है*, और पिसे हुओं का उद्धार करता है।
भजन संहिता 34 : 19 (IRVHI)
धर्मी पर बहुत सी विपत्तियाँ पड़ती तो हैं, परन्तु यहोवा उसको उन सबसे मुक्त करता है। (नीति. 24:16, 2 तीम. 3:11)
भजन संहिता 34 : 20 (IRVHI)
वह उसकी हड्डी-हड्डी की रक्षा करता है; और उनमें से एक भी टूटने नहीं पाता। (यूह. 19:36)
भजन संहिता 34 : 21 (IRVHI)
दुष्ट अपनी बुराई के द्वारा मारा जाएगा; और धर्मी के बैरी दोषी ठहरेंगे।
भजन संहिता 34 : 22 (IRVHI)
यहोवा अपने दासों का प्राण मोल लेकर बचा लेता है; और जितने उसके शरणागत हैं उनमें से कोई भी दोषी न ठहरेगा।
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