भजन संहिता 37 : 1 (IRVHI)
धर्मी की विरासत और दुष्टों का अन्त दाऊद का भजन कुकर्मियों के कारण मत कुढ़, कुटिल काम करनेवालों के विषय डाह न कर!
भजन संहिता 37 : 2 (IRVHI)
क्योंकि वे घास के समान झट कट जाएँगे, और हरी घास के समान मुर्झा जाएँगे।
भजन संहिता 37 : 3 (IRVHI)
यहोवा पर भरोसा रख, और भला कर; देश में बसा रह, और सच्चाई में मन लगाए रह।
भजन संहिता 37 : 4 (IRVHI)
यहोवा को अपने सुख का मूल जान, और वह तेरे मनोरथों को पूरा करेगा। (मत्ती 6:33)
भजन संहिता 37 : 5 (IRVHI)
अपने मार्ग की चिन्ता यहोवा पर छोड़*; और उस पर भरोसा रख, वही पूरा करेगा।
भजन संहिता 37 : 6 (IRVHI)
और वह तेरा धर्म ज्योति के समान, और तेरा न्याय दोपहर के उजियाले के समान प्रगट करेगा।
भजन संहिता 37 : 7 (IRVHI)
यहोवा के सामने चुपचाप रह, और धीरज से उसकी प्रतिक्षा कर; उस मनुष्य के कारण न कुढ़, जिसके काम सफल होते हैं, और वह बुरी युक्तियों को निकालता है!
भजन संहिता 37 : 8 (IRVHI)
क्रोध से परे रह, और जलजलाहट को छोड़ दे! मत कुढ़, उससे बुराई ही निकलेगी।
भजन संहिता 37 : 9 (IRVHI)
क्योंकि कुकर्मी लोग काट डाले जाएँगे; और जो यहोवा की बाट जोहते हैं, वही पृथ्वी के अधिकारी होंगे।
भजन संहिता 37 : 10 (IRVHI)
थोड़े दिन के बीतने पर दुष्ट रहेगा ही नहीं; और तू उसके स्थान को भलीं भाँति देखने पर भी उसको न पाएगा।
भजन संहिता 37 : 11 (IRVHI)
परन्तु नम्र लोग पृथ्वी के अधिकारी होंगे, और बड़ी शान्ति के कारण आनन्द मनाएँगे। (मत्ती 5:5)
भजन संहिता 37 : 12 (IRVHI)
दुष्ट धर्मी के विरुद्ध बुरी युक्ति निकालता है, और उस पर दाँत पीसता है;
भजन संहिता 37 : 13 (IRVHI)
परन्तु प्रभु उस पर हँसेगा, क्योंकि वह देखता है कि उसका दिन आनेवाला है।
भजन संहिता 37 : 14 (IRVHI)
दुष्ट लोग तलवार खींचे और धनुष बढ़ाए हुए हैं, ताकि दीन दरिद्र को गिरा दें, और सीधी चाल चलनेवालों को वध करें।
भजन संहिता 37 : 15 (IRVHI)
उनकी तलवारों से उन्हीं के हृदय छिदेंगे, और उनके धनुष तोड़े जाएँगे।
भजन संहिता 37 : 16 (IRVHI)
धर्मी का थोड़ा सा धन दुष्टों के बहुत से धन से उत्तम है।
भजन संहिता 37 : 17 (IRVHI)
क्योंकि दुष्टों की भुजाएँ तो तोड़ी जाएँगी; परन्तु यहोवा धर्मियों को सम्भालता है।
भजन संहिता 37 : 18 (IRVHI)
यहोवा खरे लोगों की आयु की सुधि रखता है, और उनका भाग सदैव बना रहेगा।
भजन संहिता 37 : 19 (IRVHI)
विपत्ति के समय, वे लज्जित न होंगे, और अकाल के दिनों में वे तृप्त रहेंगे।
भजन संहिता 37 : 20 (IRVHI)
दुष्ट लोग नाश हो जाएँगे; और यहोवा के शत्रु खेत की सुथरी घास के समान नाश होंगे, वे धुएँ के समान लुप्त हो जाएँगे।
भजन संहिता 37 : 21 (IRVHI)
दुष्ट ऋण लेता है, और भरता नहीं परन्तु धर्मी अनुग्रह करके दान देता है;
भजन संहिता 37 : 22 (IRVHI)
क्योंकि जो उससे आशीष पाते हैं वे तो पृथ्वी के अधिकारी होंगे, परन्तु जो उससे श्रापित होते हैं, वे नाश हो जाएँगे।
भजन संहिता 37 : 23 (IRVHI)
मनुष्य की गति यहोवा की ओर से दृढ़ होती है*, और उसके चलन से वह प्रसन्न रहता है;
भजन संहिता 37 : 24 (IRVHI)
चाहे वह गिरे तो भी पड़ा न रह जाएगा, क्योंकि यहोवा उसका हाथ थामे रहता है।
भजन संहिता 37 : 25 (IRVHI)
मैं लड़कपन से लेकर बुढ़ापे तक देखता आया हूँ; परन्तु न तो कभी धर्मी को त्यागा हुआ, और न उसके वंश को टुकड़े माँगते देखा है।
भजन संहिता 37 : 26 (IRVHI)
वह तो दिन भर अनुग्रह कर-करके ऋण देता है, और उसके वंश पर आशीष फलती रहती है।
भजन संहिता 37 : 27 (IRVHI)
बुराई को छोड़ भलाई कर; और तू सर्वदा बना रहेगा।
भजन संहिता 37 : 28 (IRVHI)
क्योंकि यहोवा न्याय से प्रीति रखता; और अपने भक्तों को न तजेगा। उनकी तो रक्षा सदा होती है, परन्तु दुष्टों का वंश काट डाला जाएगा।
भजन संहिता 37 : 29 (IRVHI)
धर्मी लोग पृथ्वी के अधिकारी होंगे, और उसमें सदा बसे रहेंगे।
भजन संहिता 37 : 30 (IRVHI)
धर्मी अपने मुँह से बुद्धि की बातें करता, और न्याय का वचन कहता है।
भजन संहिता 37 : 31 (IRVHI)
उसके परमेश्वर की व्यवस्था उसके हृदय में बनी रहती है, उसके पैर नहीं फिसलते।
भजन संहिता 37 : 32 (IRVHI)
दुष्ट धर्मी की ताक में रहता है। और उसके मार डालने का यत्न करता है।
भजन संहिता 37 : 33 (IRVHI)
यहोवा उसको उसके हाथ में न छोड़ेगा, और जब उसका विचार किया जाए तब वह उसे दोषी न ठहराएगा।
भजन संहिता 37 : 34 (IRVHI)
यहोवा की बाट जोहता रह, और उसके मार्ग पर बना रह, और वह तुझे बढ़ाकर पृथ्वी का अधिकारी कर देगा; जब दुष्ट काट डाले जाएँगे, तब तू देखेगा।
भजन संहिता 37 : 35 (IRVHI)
मैंने दुष्ट को बड़ा पराक्रमी और ऐसा फैलता हुए देखा, जैसा कोई हरा पेड़* अपने निज भूमि में फैलता है।
भजन संहिता 37 : 36 (IRVHI)
परन्तु जब कोई उधर से गया तो देखा कि वह वहाँ है ही नहीं; और मैंने भी उसे ढूँढ़ा, परन्तु कहीं न पाया। (भज. 37:10)
भजन संहिता 37 : 37 (IRVHI)
खरे मनुष्य पर दृष्टि कर और धर्मी को देख, क्योंकि मेल से रहनेवाले पुरुष का अन्तफल अच्छा है। (यशा. 32:17)
भजन संहिता 37 : 38 (IRVHI)
परन्तु अपराधी एक साथ सत्यानाश किए जाएँगे; दुष्टों का अन्तफल सर्वनाश है।
भजन संहिता 37 : 39 (IRVHI)
धर्मियों की मुक्ति यहोवा की ओर से होती है; संकट के समय वह उनका दृढ़ गढ़ है।
भजन संहिता 37 : 40 (IRVHI)
यहोवा उनकी सहायता करके उनको बचाता है; वह उनको दुष्टों से छुड़ाकर उनका उद्धार करता है, इसलिए कि उन्होंने उसमें अपनी शरण ली है।
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