भजन संहिता 46 : 1 (IRVHI)
परमेश्वर हमारा शरणस्थान और बल है, [QBR] संकट में अति सहज से मिलनेवाला सहायक*। [QBR]
भजन संहिता 46 : 2 (IRVHI)
इस कारण हमको कोई भय नहीं चाहे पृथ्वी [QBR] उलट जाए, [QBR] और पहाड़ समुद्र के बीच में डाल दिए जाएँ; [QBR]
भजन संहिता 46 : 3 (IRVHI)
चाहे समुद्र गरजें और फेन उठाए, [QBR] और पहाड़ उसकी बाढ़ से काँप उठे। (सेला) (लूका 21:25, मत्ती 7:25) [QBR]
भजन संहिता 46 : 4 (IRVHI)
एक नदी है जिसकी नहरों से परमेश्वर के [QBR] नगर में [QBR] अर्थात् परमप्रधान के पवित्र निवास भवन में [QBR] आनन्द होता है। [QBR]
भजन संहिता 46 : 5 (IRVHI)
परमेश्वर उस नगर के बीच में है, वह कभी [QBR] टलने का नहीं; [QBR] पौ फटते ही परमेश्वर उसकी सहायता करता है। [QBR]
भजन संहिता 46 : 6 (IRVHI)
जाति-जाति के लोग झल्ला उठे, राज्य-राज्य [QBR] के लोग डगमगाने लगे; [QBR] वह बोल उठा, और पृथ्वी पिघल गई। (प्रका. 11:18, भज. 2:1) [QBR]
भजन संहिता 46 : 7 (IRVHI)
सेनाओं का यहोवा हमारे संग है; [QBR] याकूब का परमेश्वर हमारा ऊँचा गढ़ है। (सेला) [QBR]
भजन संहिता 46 : 8 (IRVHI)
आओ, यहोवा के महाकर्म देखो, [QBR] कि उसने पृथ्वी पर कैसा-कैसा उजाड़ [QBR] किया है। [QBR]
भजन संहिता 46 : 9 (IRVHI)
वह पृथ्वी की छोर तक लड़ाइयों को मिटाता है; [QBR] वह धनुष को तोड़ता, और भाले को दो टुकड़े कर डालता है, [QBR] और रथों को आग में झोंक देता है! [QBR]
भजन संहिता 46 : 10 (IRVHI)
“चुप हो जाओ, और जान लो कि मैं ही परमेश्वर हूँ। [QBR] मैं जातियों में महान हूँ, [QBR] मैं पृथ्वी भर में महान हूँ!” [QBR]
भजन संहिता 46 : 11 (IRVHI)
सेनाओं का यहोवा हमारे संग है; [QBR] याकूब का परमेश्वर हमारा ऊँचा गढ़ है। (सेला) [PE]
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