भजन संहिता 50 : 1 (IRVHI)
सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर यहोवा ने कहा है, [QBR] और उदयाचल से लेकर अस्ताचल तक पृथ्वी [QBR] के लोगों को बुलाया है। [QBR]
भजन संहिता 50 : 2 (IRVHI)
सिय्योन से, जो परम सुन्दर है, [QBR] परमेश्‍वर ने अपना तेज दिखाया है। [QBR]
भजन संहिता 50 : 3 (IRVHI)
हमारा परमेश्‍वर आएगा और चुपचाप न रहेगा, [QBR] आग उसके आगे-आगे भस्म करती जाएगी; [QBR] और उसके चारों ओर बड़ी आँधी चलेगी। [QBR]
भजन संहिता 50 : 4 (IRVHI)
वह अपनी प्रजा का न्याय करने के लिये [QBR] ऊपर के आकाश को और पृथ्वी को भी पुकारेगा*: [QBR]
भजन संहिता 50 : 5 (IRVHI)
“मेरे भक्तों को मेरे पास इकट्ठा करो, [QBR] जिन्होंने बलिदान चढ़ाकर मुझसे वाचा बाँधी है!” [QBR]
भजन संहिता 50 : 6 (IRVHI)
और स्वर्ग उसके धर्मी होने का प्रचार करेगा [QBR] क्योंकि परमेश्‍वर तो आप ही न्यायी है। (सेला) (भजन 97:6, इब्रा. 12:23) [QBR]
भजन संहिता 50 : 7 (IRVHI)
“हे मेरी प्रजा, सुन, मैं बोलता हूँ, [QBR] और हे इस्राएल, मैं तेरे विषय साक्षी देता हूँ। [QBR] परमेश्‍वर तेरा परमेश्‍वर मैं ही हूँ। [QBR]
भजन संहिता 50 : 8 (IRVHI)
मैं तुझ पर तेरे बलियों के विषय दोष नहीं लगाता, [QBR] तेरे होमबलि तो नित्य मेरे लिये चढ़ते हैं। [QBR]
भजन संहिता 50 : 9 (IRVHI)
मैं न तो तेरे घर से बैल [QBR] न तेरे पशुशालाओं से बकरे ले लूँगा। [QBR]
भजन संहिता 50 : 10 (IRVHI)
क्योंकि वन के सारे जीव-जन्तु [QBR] और हजारों पहाड़ों के जानवर मेरे ही हैं। [QBR]
भजन संहिता 50 : 11 (IRVHI)
पहाड़ों के सब पक्षियों को मैं जानता हूँ, [QBR] और मैदान पर चलने-फिरनेवाले जानवर मेरे ही हैं। [QBR]
भजन संहिता 50 : 12 (IRVHI)
“यदि मैं भूखा होता तो तुझ से न कहता; [QBR] क्योंकि जगत और जो कुछ उसमें है वह मेरा है*। (प्रेरि. 17:25, 1 कुरि. 10:26) [QBR]
भजन संहिता 50 : 13 (IRVHI)
क्या मैं बैल का माँस खाऊँ, [QBR] या बकरों का लहू पीऊँ? [QBR]
भजन संहिता 50 : 14 (IRVHI)
परमेश्‍वर को धन्यवाद ही का बलिदान चढ़ा, [QBR] और परमप्रधान के लिये अपनी मन्नतें पूरी कर; (इब्रा. 13:15, सभो. 5:4-5) [QBR]
भजन संहिता 50 : 15 (IRVHI)
और संकट के दिन मुझे पुकार; [QBR] मैं तुझे छुड़ाऊँगा, और तू मेरी महिमा करने पाएगा।” [QBR]
भजन संहिता 50 : 16 (IRVHI)
परन्तु दुष्ट से परमेश्‍वर कहता है: [QBR] “तुझे मेरी विधियों का वर्णन करने से क्या काम? [QBR] तू मेरी वाचा की चर्चा क्यों करता है? [QBR]
भजन संहिता 50 : 17 (IRVHI)
तू तो शिक्षा से बैर करता, [QBR] और मेरे वचनों को तुच्छ जानता है। [QBR]
भजन संहिता 50 : 18 (IRVHI)
जब तूने चोर को देखा, तब उसकी संगति से प्रसन्‍न हुआ; [QBR] और परस्त्रीगामियों के साथ भागी हुआ।” [QBR]
भजन संहिता 50 : 19 (IRVHI)
“तूने अपना मुँह बुराई करने के लिये खोला, [QBR] और तेरी जीभ छल की बातें गढ़ती है। [QBR]
भजन संहिता 50 : 20 (IRVHI)
तू बैठा हुआ अपने भाई के विरुद्ध बोलता; [QBR] और अपने सगे भाई की चुगली खाता है। [QBR]
भजन संहिता 50 : 21 (IRVHI)
यह काम तूने किया, और मैं चुप रहा; [QBR] इसलिए तूने समझ लिया कि परमेश्‍वर बिल्कुल मेरे समान है। [QBR] परन्तु मैं तुझे समझाऊँगा, और तेरी आँखों के [QBR] सामने सब कुछ अलग-अलग दिखाऊँगा।” [QBR]
भजन संहिता 50 : 22 (IRVHI)
“हे परमेश्‍वर को भूलनेवालो* यह बात भली भाँति समझ लो, [QBR] कहीं ऐसा न हो कि मैं तुम्हें फाड़ डालूँ, [QBR] और कोई छुड़ानेवाला न हो। [QBR]
भजन संहिता 50 : 23 (IRVHI)
धन्यवाद के बलिदान का चढ़ानेवाला मेरी महिमा करता है; [QBR] और जो अपना चरित्र उत्तम रखता है [QBR] उसको मैं परमेश्‍वर का उद्धार दिखाऊँगा!” (इब्रा. 13:15) [PE]

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