भजन संहिता 75 : 1 (IRVHI)
हे परमेश्‍वर हम तेरा धन्यवाद करते, हम तेरा नाम धन्यवाद करते हैं; [QBR] क्योंकि तेरे नाम प्रगट हुआ है*, तेरे आश्चर्यकर्मों का वर्णन हो रहा है। [QBR]
भजन संहिता 75 : 2 (IRVHI)
जब ठीक समय आएगा [QBR] तब मैं आप ही ठीक-ठीक न्याय करूँगा। [QBR]
भजन संहिता 75 : 3 (IRVHI)
जब पृथ्वी अपने सब रहनेवालों समेत डोल रही है, [QBR] तब मैं ही उसके खम्भों को स्थिर करता हूँ। (सेला) [QBR]
भजन संहिता 75 : 4 (IRVHI)
मैंने घमण्डियों से कहा, “घमण्ड मत करो,” [QBR] और दुष्टों से, “सींग ऊँचा मत करो; [QBR]
भजन संहिता 75 : 5 (IRVHI)
अपना सींग बहुत ऊँचा मत करो, [QBR] न सिर उठाकर ढिठाई की बात बोलो।” [QBR]
भजन संहिता 75 : 6 (IRVHI)
क्योंकि बढ़ती न तो पूरब से न पश्चिम से, [QBR] और न जंगल की ओर से आती है; [QBR]
भजन संहिता 75 : 7 (IRVHI)
परन्तु परमेश्‍वर ही न्यायी है, [QBR] वह एक को घटाता और दूसरे को बढ़ाता है। [QBR]
भजन संहिता 75 : 8 (IRVHI)
यहोवा के हाथ में एक कटोरा है, जिसमें का दाखमधु झागवाला है; [QBR] उसमें मसाला मिला है*, और वह उसमें से उण्डेलता है, [QBR] निश्चय उसकी तलछट तक पृथ्वी के सब दुष्ट लोग पी जाएँगे। (यिर्म. 25:15, प्रका. 14:10, प्रका. 16:19) [QBR]
भजन संहिता 75 : 9 (IRVHI)
परन्तु मैं तो सदा प्रचार करता रहूँगा, [QBR] मैं याकूब के परमेश्‍वर का भजन गाऊँगा। [QBR]
भजन संहिता 75 : 10 (IRVHI)
दुष्टों के सब सींगों को मैं काट डालूँगा, [QBR] परन्तु धर्मी के सींग ऊँचे किए जाएँगे। [PE]

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