भजन संहिता 81 : 1 (IRVHI)
{आज्ञाकारिता के लिये बुलाहट} [PS] परमेश्वर जो हमारा बल है, उसका गीत आनन्द से गाओ; [QBR] याकूब के परमेश्वर का जयजयकार करो! (भज. 67:4) [QBR]
भजन संहिता 81 : 2 (IRVHI)
गीत गाओ, डफ और मधुर बजनेवाली वीणा और सारंगी को ले आओ। [QBR]
भजन संहिता 81 : 3 (IRVHI)
नये चाँद के दिन, [QBR] और पूर्णमासी को हमारे पर्व के दिन नरसिंगा फूँको। [QBR]
भजन संहिता 81 : 4 (IRVHI)
क्योंकि यह इस्राएल के लिये विधि, [QBR] और याकूब के परमेश्वर का ठहराया हुआ नियम है। [QBR]
भजन संहिता 81 : 5 (IRVHI)
इसको उसने यूसुफ में चितौनी की रीति पर उस समय चलाया, [QBR] जब वह मिस्र देश के विरुद्ध चला। [QBR] वहाँ मैंने एक अनजानी भाषा सुनी [QBR]
भजन संहिता 81 : 6 (IRVHI)
“मैंने उनके कंधों पर से बोझ को उतार दिया; [QBR] उनका टोकरी ढोना छूट गया। [QBR]
भजन संहिता 81 : 7 (IRVHI)
तूने संकट में पड़कर पुकारा, तब मैंने तुझे छुड़ाया; [QBR] बादल गरजने के गुप्त स्थान में से मैंने तेरी सुनी, [QBR] और मरीबा नामक सोते के पास* तेरी परीक्षा की। (सेला) [QBR]
भजन संहिता 81 : 8 (IRVHI)
हे मेरी प्रजा, सुन, मैं तुझे चिता देता हूँ! [QBR] हे इस्राएल भला हो कि तू मेरी सुने! [QBR]
भजन संहिता 81 : 9 (IRVHI)
तेरे बीच में पराया ईश्वर न हो; [QBR] और न तू किसी पराए देवता को दण्डवत् करना! [QBR]
भजन संहिता 81 : 10 (IRVHI)
तेरा परमेश्वर यहोवा मैं हूँ, [QBR] जो तुझे मिस्र देश से निकाल लाया है। [QBR] तू अपना मुँह पसार, मैं उसे भर दूँगा*। (भज. 37:3-4) [QBR]
भजन संहिता 81 : 11 (IRVHI)
“परन्तु मेरी प्रजा ने मेरी न सुनी; [QBR] इस्राएल ने मुझ को न चाहा। [QBR]
भजन संहिता 81 : 12 (IRVHI)
इसलिए मैंने उसको उसके मन के हठ पर छोड़ दिया, [QBR] कि वह अपनी ही युक्तियों के अनुसार चले। (प्रेरि. 14:16,) [QBR]
भजन संहिता 81 : 13 (IRVHI)
यदि मेरी प्रजा मेरी सुने, [QBR] यदि इस्राएल मेरे मार्गों पर चले।” [QBR]
भजन संहिता 81 : 14 (IRVHI)
तो मैं क्षण भर में उनके शत्रुओं को दबाऊँ, [QBR] और अपना हाथ उनके द्रोहियों के विरुद्ध चलाऊँ। [QBR]
भजन संहिता 81 : 15 (IRVHI)
यहोवा के बैरी उसके आगे भय में दण्डवत् करे! [QBR] उन्हें हमेशा के लिए अपमानित किया जाएगा। [QBR]
भजन संहिता 81 : 16 (IRVHI)
मैं उनको उत्तम से उत्तम गेहूँ खिलाता, [QBR] और मैं चट्टान के मधु से उनको तृप्त करता।” [PE]
❮
❯