भजन संहिता 85 : 1 (IRVHI)
{राष्ट्र के कल्याण के लिए प्रार्थना} [PS] हे यहोवा, तू अपने देश पर प्रसन्‍न हुआ, याकूब को बँधुवाई से लौटा ले आया है। [QBR]
भजन संहिता 85 : 2 (IRVHI)
तूने अपनी प्रजा के अधर्म को क्षमा किया है; [QBR] और उसके सब पापों को ढाँप दिया है। (सेला) [QBR]
भजन संहिता 85 : 3 (IRVHI)
तूने अपने रोष को शान्त किया है; [QBR] और अपने भड़के हुए कोप को दूर किया है। [QBR]
भजन संहिता 85 : 4 (IRVHI)
हे हमारे उद्धारकर्ता परमेश्‍वर, हमको पुनः स्थापित कर, [QBR] और अपना क्रोध हम पर से दूर कर*! [QBR]
भजन संहिता 85 : 5 (IRVHI)
क्या तू हम पर सदा कोपित रहेगा? [QBR] क्या तू पीढ़ी से पीढ़ी तक कोप करता रहेगा? [QBR]
भजन संहिता 85 : 6 (IRVHI)
क्या तू हमको फिर न जिलाएगा, [QBR] कि तेरी प्रजा तुझ में आनन्द करे? [QBR]
भजन संहिता 85 : 7 (IRVHI)
हे यहोवा अपनी करुणा हमें दिखा, [QBR] और तू हमारा उद्धार कर। [QBR]
भजन संहिता 85 : 8 (IRVHI)
मैं कान लगाए रहूँगा कि परमेश्‍वर यहोवा क्या कहता है, [QBR] वह तो अपनी प्रजा से जो उसके भक्त है, शान्ति की बातें कहेगा; [QBR] परन्तु वे फिरके मूर्खता न करने लगें। [QBR]
भजन संहिता 85 : 9 (IRVHI)
निश्चय उसके डरवैयों के उद्धार का समय निकट है*, [QBR] तब हमारे देश में महिमा का निवास होगा। [QBR]
भजन संहिता 85 : 10 (IRVHI)
करुणा और सच्चाई आपस में मिल गई हैं; [QBR] धर्म और मेल ने आपस में चुम्बन किया हैं। [QBR]
भजन संहिता 85 : 11 (IRVHI)
पृथ्वी में से सच्चाई उगती [QBR] और स्वर्ग से धर्म झुकता है। [QBR]
भजन संहिता 85 : 12 (IRVHI)
हाँ, यहोवा उत्तम वस्तुएँ देगा, [QBR] और हमारी भूमि अपनी उपज देगी। [QBR]
भजन संहिता 85 : 13 (IRVHI)
धर्म उसके आगे-आगे चलेगा, [QBR] और उसके पाँवों के चिन्हों को हमारे लिये मार्ग बनाएगा। [PE]

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