भजन संहिता 93 : 1 (IRVHI)
{परमेश्‍वर के राज्य की महिमा }यहोवा राजा है; उसने माहात्म्य का पहरावा पहना है; यहोवा पहरावा पहने हुए, और सामर्थ्य का फेटा बाँधे है। इस कारण जगत स्थिर है, वह नहीं टलने का।
भजन संहिता 93 : 2 (IRVHI)
हे यहोवा, तेरी राजगद्दी अनादिकाल से स्थिर है, तू सर्वदा से है।
भजन संहिता 93 : 3 (IRVHI)
हे यहोवा, महानदों का कोलाहल हो रहा है*, महानदों का बड़ा शब्द हो रहा है, महानद गरजते हैं।
भजन संहिता 93 : 4 (IRVHI)
महासागर के शब्द से, और समुद्र की महातरंगों से, विराजमान यहोवा अधिक महान है।
भजन संहिता 93 : 5 (IRVHI)
तेरी चितौनियाँ अति विश्वासयोग्य हैं; हे यहोवा, तेरे भवन को युग-युग पवित्रता ही शोभा देती है।

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