भजन संहिता 94 : 1 (IRVHI)
{परमेश्‍वर धर्मी का शरणस्थान }हे यहोवा, हे पलटा लेनेवाले परमेश्‍वर, हे पलटा लेनेवाले परमेश्‍वर, अपना तेज दिखा! (व्य. 32:35)
भजन संहिता 94 : 2 (IRVHI)
हे पृथ्वी के न्यायी, उठ; और घमण्डियों को बदला दे!
भजन संहिता 94 : 3 (IRVHI)
हे यहोवा, दुष्ट लोग कब तक, दुष्ट लोग कब तक डींग मारते रहेंगे?
भजन संहिता 94 : 4 (IRVHI)
वे बकते और ढिठाई की बातें बोलते हैं, सब अनर्थकारी बड़ाई मारते हैं।
भजन संहिता 94 : 5 (IRVHI)
हे यहोवा, वे तेरी प्रजा को पीस डालते हैं, वे तेरे निज भाग को दुःख देते हैं।
भजन संहिता 94 : 6 (IRVHI)
वे विधवा और परदेशी का घात करते, और अनाथों को मार डालते हैं;
भजन संहिता 94 : 7 (IRVHI)
और कहते हैं, “यहोवा न देखेगा, याकूब का परमेश्‍वर विचार न करेगा।”
भजन संहिता 94 : 8 (IRVHI)
तुम जो प्रजा में पशु सरीखे हो, विचार करो; और हे मूर्खों तुम कब बुद्धिमान बनोगे*?
भजन संहिता 94 : 9 (IRVHI)
जिसने कान दिया, क्या वह आप नहीं सुनता? जिसने आँख रची, क्या वह आप नहीं देखता?
भजन संहिता 94 : 10 (IRVHI)
जो जाति-जाति को ताड़ना देता, और मनुष्य को ज्ञान सिखाता है, क्या वह न सुधारेगा?
भजन संहिता 94 : 11 (IRVHI)
यहोवा मनुष्य की कल्पनाओं को तो जानता है कि वे मिथ्या हैं। (1 कुरि. 3:20)
भजन संहिता 94 : 12 (IRVHI)
हे यहोवा, क्या ही धन्य है वह पुरुष जिसको तू ताड़ना देता है, और अपनी व्यवस्था सिखाता है,
भजन संहिता 94 : 13 (IRVHI)
क्योंकि तू उसको विपत्ति के दिनों में उस समय तक चैन देता रहता है, जब तक दुष्टों के लिये गड्ढा नहीं खोदा जाता*।
भजन संहिता 94 : 14 (IRVHI)
क्योंकि यहोवा अपनी प्रजा को न तजेगा, वह अपने निज भाग को न छोड़ेगा; (रोमि. 11:1,2)
भजन संहिता 94 : 15 (IRVHI)
परन्तु न्याय फिर धर्म के अनुसार किया जाएगा, और सारे सीधे मनवाले उसके पीछे-पीछे हो लेंगे।
भजन संहिता 94 : 16 (IRVHI)
कुकर्मियों के विरुद्ध मेरी ओर कौन खड़ा होगा? मेरी ओर से अनर्थकारियों का कौन सामना करेगा?
भजन संहिता 94 : 17 (IRVHI)
यदि यहोवा मेरा सहायक न होता, तो क्षण भर में मुझे चुपचाप होकर रहना पड़ता।
भजन संहिता 94 : 18 (IRVHI)
जब मैंने कहा, “मेरा पाँव फिसलने लगा है*,” तब हे यहोवा, तेरी करुणा ने मुझे थाम लिया।
भजन संहिता 94 : 19 (IRVHI)
जब मेरे मन में बहुत सी चिन्ताएँ होती हैं, तब हे यहोवा, तेरी दी हुई शान्ति से मुझ को सुख होता है। (2 कुरि. 1:5)
भजन संहिता 94 : 20 (IRVHI)
क्या तेरे और दुष्टों के सिंहासन के बीच संधि होगी, जो कानून की आड़ में उत्पात मचाते हैं?
भजन संहिता 94 : 21 (IRVHI)
वे धर्मी का प्राण लेने को दल बाँधते हैं, और निर्दोष को प्राणदण्ड देते हैं।
भजन संहिता 94 : 22 (IRVHI)
परन्तु यहोवा मेरा गढ़, और मेरा परमेश्‍वर मेरी शरण की चट्टान ठहरा है।
भजन संहिता 94 : 23 (IRVHI)
उसने उनका अनर्थ काम उन्हीं पर लौटाया है, और वह उन्हें उन्हीं की बुराई के द्वारा सत्यानाश करेगा। हमारा परमेश्‍वर यहोवा उनको सत्यानाश करेगा।

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