भजन संहिता 97 : 1 (IRVHI)
{परमेश्‍वर सर्वो‍च्च शासक }यहोवा राजा हुआ है, पृथ्वी मगन हो; और द्वीप जो बहुत से हैं, वह भी आनन्द करें! (प्रका. 19:7)
भजन संहिता 97 : 2 (IRVHI)
बादल और अंधकार उसके चारों ओर हैं; उसके सिंहासन का मूल धर्म और न्याय है।
भजन संहिता 97 : 3 (IRVHI)
उसके आगे-आगे आग चलती हुई* उसके विरोधियों को चारों ओर भस्म करती है। (प्रका. 11:5)
भजन संहिता 97 : 4 (IRVHI)
उसकी बिजलियों से जगत प्रकाशित हुआ, पृथ्वी देखकर थरथरा गई है!
भजन संहिता 97 : 5 (IRVHI)
पहाड़ यहोवा के सामने, मोम के समान पिघल गए, अर्थात् सारी पृथ्वी के परमेश्‍वर के सामने।
भजन संहिता 97 : 6 (IRVHI)
आकाश ने उसके धर्म की साक्षी दी; और देश-देश के सब लोगों ने उसकी महिमा देखी है।
भजन संहिता 97 : 7 (IRVHI)
जितने खुदी हुई मूर्तियों की उपासना करते और मूरतों पर फूलते हैं, वे लज्जित हों; हे सब देवताओं तुम उसी को दण्डवत् करो।
भजन संहिता 97 : 8 (IRVHI)
सिय्योन सुनकर आनन्दित हुई, और यहूदा की बेटियाँ मगन हुई; हे यहोवा, यह तेरे नियमों के कारण हुआ।
भजन संहिता 97 : 9 (IRVHI)
क्योंकि हे यहोवा, तू सारी पृथ्वी के ऊपर परमप्रधान है; तू सारे देवताओं से अधिक महान ठहरा है। (यूह. 3:31)
भजन संहिता 97 : 10 (IRVHI)
हे यहोवा के प्रेमियों, बुराई से घृणा करो; वह अपने भक्तों के प्राणों की रक्षा करता*, और उन्हें दुष्टों के हाथ से बचाता है।
भजन संहिता 97 : 11 (IRVHI)
धर्मी के लिये ज्योति, और सीधे मनवालों के लिये आनन्द बोया गया है।
भजन संहिता 97 : 12 (IRVHI)
हे धर्मियों, यहोवा के कारण आनन्दित हो; और जिस पवित्र नाम से उसका स्मरण होता है, उसका धन्यवाद करो!

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