प्रकाशित वाक्य 1 : 1 (IRVHI)
परिचय यीशु मसीह का प्रकाशितवाक्य, जो उसे परमेश्‍वर ने इसलिए दिया कि अपने दासों को वे बातें, जिनका शीघ्र होना अवश्य है, दिखाए: और उसने अपने स्वर्गदूत को भेजकर उसके द्वारा अपने दास यूहन्ना को बताया, (प्रका. 22:6)
प्रकाशित वाक्य 1 : 2 (IRVHI)
जिसने परमेश्‍वर के वचन और यीशु मसीह की गवाही, अर्थात् जो कुछ उसने देखा था उसकी गवाही दी।
प्रकाशित वाक्य 1 : 3 (IRVHI)
धन्य है वह जो इस भविष्यद्वाणी के वचन को पढ़ता है, और वे जो सुनते हैं और इसमें लिखी हुई बातों को मानते हैं, क्योंकि समय निकट है।
प्रकाशित वाक्य 1 : 4 (IRVHI)
सातो कलीसियाओं को यूहन्ना का अभिवादन यूहन्ना की ओर से आसिया की सात कलीसियाओं के नाम: उसकी ओर से जो है, और जो था, और जो आनेवाला है; और उन सात आत्माओं की ओर से, जो उसके सिंहासन के सामने है,
प्रकाशित वाक्य 1 : 5 (IRVHI)
और यीशु मसीह की ओर से, जो विश्वासयोग्य साक्षी* और मरे हुओं में से जी उठनेवालों में पहलौठा, और पृथ्वी के राजाओं का अधिपति है, तुम्हें अनुग्रह और शान्ति मिलती रहे। जो हम से प्रेम रखता है, और जिसने अपने लहू के द्वारा हमें पापों से छुड़ाया है। (कुलु. 1:8)
प्रकाशित वाक्य 1 : 6 (IRVHI)
और हमें एक राज्य और अपने पिता परमेश्‍वर के लिये याजक भी बना दिया; उसी की महिमा और पराक्रम युगानुयुग रहे। आमीन। (निर्ग. 19:6, यशा. 61:6)
प्रकाशित वाक्य 1 : 7 (IRVHI)
देखो, वह बादलों के साथ आनेवाला है; और हर एक आँख उसे देखेगी, वरन् जिन्होंने उसे बेधा था, वे भी उसे देखेंगे, और पृथ्वी के सारे कुल उसके कारण छाती पीटेंगे। हाँ। आमीन। (जक. 12:10)
प्रकाशित वाक्य 1 : 8 (IRVHI)
प्रभु परमेश्‍वर, जो है, और जो था, और जो आनेवाला है; जो सर्वशक्तिमान है: यह कहता है, “मैं ही अल्फा और ओमेगा* हूँ।” (प्रका. 22:13, यशा. 41:4, यशा. 44:6)
प्रकाशित वाक्य 1 : 9 (IRVHI)
मसीह का दर्शन मैं यूहन्ना, जो तुम्हारा भाई, और यीशु के क्लेश, और राज्य, और धीरज में तुम्हारा सहभागी हूँ, परमेश्‍वर के वचन, और यीशु की गवाही के कारण पतमुस नामक टापू में था।
प्रकाशित वाक्य 1 : 10 (IRVHI)
मैं प्रभु के दिन आत्मा में आ गया*, और अपने पीछे तुरही का सा बड़ा शब्द यह कहते सुना,
प्रकाशित वाक्य 1 : 11 (IRVHI)
“जो कुछ तू देखता है, उसे पुस्तक में लिखकर सातों कलीसियाओं के पास भेज दे, अर्थात् इफिसुस, स्मुरना, पिरगमुन, थुआतीरा, सरदीस, फिलदिलफिया और लौदीकिया को।”
प्रकाशित वाक्य 1 : 12 (IRVHI)
तब मैंने उसे जो मुझसे बोल रहा था; देखने के लिये अपना मुँह फेरा; और पीछे घूमकर मैंने सोने की सात दीवटें देखी;
प्रकाशित वाक्य 1 : 13 (IRVHI)
और उन दीवटों के बीच में मनुष्य के पुत्र सदृश्य एक पुरुष को देखा, जो पाँवों तक का वस्त्र पहने, और छाती पर सोने का कमरबन्द बाँधे हुए था। (दानि. 7:13, यहे. 1:26)
प्रकाशित वाक्य 1 : 14 (IRVHI)
उसके सिर और बाल श्वेत ऊन वरन् हिम के समान उज्ज्वल थे; और उसकी आँखें आग की ज्वाला के समान थीं। (दानि. 7:9, दानि. 10:6)
प्रकाशित वाक्य 1 : 15 (IRVHI)
उसके पाँव उत्तम पीतल के समान थे जो मानो भट्ठी में तपाए गए हों; और उसका शब्द बहुत जल के शब्द के समान था। (यहे. 1:7, यहे. 43:2)
प्रकाशित वाक्य 1 : 16 (IRVHI)
वह अपने दाहिने हाथ में सात तारे लिए हुए था, और उसके मुख से तेज दोधारी तलवार निकलती थी; और उसका मुँह ऐसा प्रज्वलित था, जैसा सूर्य कड़ी धूप के समय चमकता है। (मत्ती 17:2, प्रका. 19:15)
प्रकाशित वाक्य 1 : 17 (IRVHI)
जब मैंने उसे देखा, तो उसके पैरों पर मुर्दा सा गिर पड़ा* और उसने मुझ पर अपना दाहिना हाथ रखकर यह कहा, “मत डर; मैं प्रथम और अन्तिम हूँ, और जीवित भी मैं हूँ, (यशा. 44:6, दानि. 8:17)
प्रकाशित वाक्य 1 : 18 (IRVHI)
मैं मर गया था, और अब देख मैं युगानुयुग जीविता हूँ; और मृत्यु और अधोलोक की कुंजियाँ मेरे ही पास हैं। (रोम. 6:9, रोम. 14:9)
प्रकाशित वाक्य 1 : 19 (IRVHI)
“इसलिए जो बातें तूने देखीं हैं और जो बातें हो रही हैं; और जो इसके बाद होनेवाली हैं, उन सब को लिख ले।”
प्रकाशित वाक्य 1 : 20 (IRVHI)
अर्थात् उन सात तारों का भेद जिन्हें तूने मेरे दाहिने हाथ में देखा था, और उन सात सोने की दीवटों का भेद: वे सात तारे सातों कलीसियाओं के स्वर्गदूत हैं, और वे सात दीवट सात कलीसियाएँ हैं।

1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20