श्रेष्ठगीत 4 : 1 (IRVHI)
हे मेरी प्रिय तू सुन्दर है, तू सुन्दर है! [QBR] तेरी आँखें तेरी लटों के बीच में कबूतरों [QBR] के समान दिखाई देती है। [QBR] तेरे बाल उन बकरियों के झुण्ड के समान हैं [QBR] जो गिलाद पहाड़ के ढाल पर लेटी हुई हों। (नीति. 5:19) [QBR]
श्रेष्ठगीत 4 : 2 (IRVHI)
तेरे दाँत उन ऊन कतरी हुई भेड़ों के झुण्ड के समान हैं, [QBR] जो नहाकर ऊपर आई हों, उनमें हर एक के दो-दो जुड़वा बच्चे होते हैं। [QBR] और उनमें से किसी का साथी नहीं मरा। [QBR]
श्रेष्ठगीत 4 : 3 (IRVHI)
तेरे होंठ लाल रंग की डोरी के समान हैं, [QBR] और तेरा मुँह मनोहर है, [QBR] तेरे कपोल तेरी लटों के नीचे [QBR] अनार की फाँक से देख पड़ते हैं। [QBR]
श्रेष्ठगीत 4 : 4 (IRVHI)
तेरा गला दाऊद की मीनार के समान है, [QBR] जो अस्त्र-शस्त्र के लिये बना हो, और जिस पर हजार ढालें टँगी हुई हों, [QBR] वे सब ढालें शूरवीरों की हैं। [QBR]
श्रेष्ठगीत 4 : 5 (IRVHI)
तेरी दोनों छातियाँ मृग के दो जुड़वे बच्चों के तुल्य हैं, [QBR] जो सोसन फूलों के बीच में चरते हों। [QBR]
श्रेष्ठगीत 4 : 6 (IRVHI)
जब तक दिन ठण्डा न हो, और छाया लम्बी होते-होते मिट न जाए, [QBR] तब तक मैं शीघ्रता से गन्धरस के पहाड़ और लोबान की पहाड़ी पर चला जाऊँगा। [QBR]
श्रेष्ठगीत 4 : 7 (IRVHI)
हे मेरी प्रिय तू सर्वांग सुन्दरी है; [QBR] तुझ में कोई दोष नहीं। (इफि. 5:27) [QBR]
श्रेष्ठगीत 4 : 8 (IRVHI)
हे मेरी दुल्हिन, तू मेरे संग लबानोन से, [QBR] मेरे संग लबानोन से चली आ। [QBR] तू अमाना की चोटी पर से, [QBR] सनीर और हेर्मोन की चोटी पर से, [QBR] सिंहों की गुफाओं से, चीतों के पहाड़ों पर से दृष्टि कर। [QBR]
श्रेष्ठगीत 4 : 9 (IRVHI)
हे मेरी बहन, हे मेरी दुल्हिन, तूने मेरा मन मोह लिया है, [QBR] तूने अपनी आँखों की एक ही चितवन से, [QBR] और अपने गले के एक ही हीरे से मेरा हृदय मोह लिया है। [QBR]
श्रेष्ठगीत 4 : 10 (IRVHI)
हे मेरी बहन, हे मेरी दुल्हिन, तेरा प्रेम क्या ही मनोहर है! [QBR] तेरा प्रेम दाखमधु से क्या ही उत्तम है, [QBR] और तेरे इत्रों का सुगन्ध सब प्रकार के मसालों के सुगन्ध से! (यूह. 4:10, यशा. 12:3) [QBR]
श्रेष्ठगीत 4 : 11 (IRVHI)
हे मेरी दुल्हिन, तेरे होंठों से मधु टपकता है; [QBR] तेरी जीभ के नीचे मधु और दूध रहता है; [QBR] तेरे वस्त्रों का सुगन्ध लबानोन के समान है। [QBR]
श्रेष्ठगीत 4 : 12 (IRVHI)
मेरी बहन, मेरी दुल्हिन, किवाड़ लगाई हुई बारी* के समान, [QBR] किवाड़ बन्द किया हुआ सोता, और छाप लगाया हुआ झरना है। [QBR]
श्रेष्ठगीत 4 : 13 (IRVHI)
तेरे अंकुर उत्तम फलवाली अनार की बारी के तुल्य हैं, [QBR] जिसमें मेंहदी और जटामासी, [QBR]
श्रेष्ठगीत 4 : 14 (IRVHI)
जटामांसी और केसर, [QBR] लोबान के सब भाँति के पेड़, मुश्क और दालचीनी, [QBR] गन्धरस, अगर, आदि सब मुख्य-मुख्य सुगन्ध-द्रव्य होते हैं। [QBR]
श्रेष्ठगीत 4 : 15 (IRVHI)
तू बारियों का सोता है, [QBR] फूटते हुए जल का कुआँ, [QBR] और लबानोन से बहती हुई धाराएँ हैं। [QBR]
श्रेष्ठगीत 4 : 16 (IRVHI)
हे उत्तर वायु जाग, और हे दक्षिण वायु चली आ! [QBR] मेरी बारी पर बह, जिससे उसका सुगन्ध फैले। [QBR] मेरा प्रेमी अपनी बारी में आए, [QBR] और उसके उत्तम-उत्तम फल खाए। [PE]
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