श्रेष्ठगीत 5 : 1 (IRVHI)
हे मेरी बहन, हे मेरी दुल्हिन, मैं अपनी बारी में आया हूँ, मैंने अपना गन्धरस और बलसान चुन लिया; मैंने मधु समेत छत्ता* खा लिया, मैंने दूध और दाखमधु पी लिया। हे मित्रों, तुम भी खाओ, हे प्यारों, पियो, मनमाना पियो!
श्रेष्ठगीत 5 : 2 (IRVHI)
शुलेमी की बेचैन शाम मैं सोती थी, परन्तु मेरा मन जागता था। सुन! मेरा प्रेमी खटखटाता है, और कहता है, “हे मेरी बहन, हे मेरी प्रिय, हे मेरी कबूतरी, हे मेरी निर्मल, मेरे लिये द्वार खोल; क्योंकि मेरा सिर ओस से भरा है, और मेरी लटें रात में गिरी हुई बूंदों से भीगी हैं।” (प्रकाशित. 3:20)
श्रेष्ठगीत 5 : 3 (IRVHI)
मैं अपना वस्त्र उतार चुकी थी मैं उसे फिर कैसे पहनूँ? मैं तो अपने पाँव धो चुकी थी अब उनको कैसे मैला करूँ?
श्रेष्ठगीत 5 : 4 (IRVHI)
मेरे प्रेमी ने अपना हाथ किवाड़ के छेद से भीतर डाल दिया, तब मेरा हृदय उसके लिये उमड़ उठा।
श्रेष्ठगीत 5 : 5 (IRVHI)
मैं अपने प्रेमी के लिये द्वार खोलने को उठी, और मेरे हाथों से गन्धरस टपका, और मेरी अंगुलियों पर से टपकता हुआ गन्धरस बेंड़े की मूठों पर पड़ा।
श्रेष्ठगीत 5 : 6 (IRVHI)
मैंने अपने प्रेमी के लिये द्वार तो खोला परन्तु मेरा प्रेमी मुड़कर चला गया था। जब वह बोल रहा था, तब मेरा प्राण घबरा गया था मैंने उसको ढूँढ़ा, परन्तु न पाया; मैंने उसको पुकारा, परन्तु उसने कुछ उत्तर न दिया।
श्रेष्ठगीत 5 : 7 (IRVHI)
पहरेदार जो नगर में घूमते थे, मुझे मिले, उन्होंने मुझे मारा और घायल किया; शहरपनाह के पहरुओं ने मेरी चद्दर मुझसे छीन ली।
श्रेष्ठगीत 5 : 8 (IRVHI)
हे यरूशलेम की पुत्रियों, मैं तुम को शपथ धराकर कहती हूँ, यदि मेरा प्रेमी तुमको मिल जाए, तो उससे कह देना कि मैं प्रेम में रोगी हूँ*।
श्रेष्ठगीत 5 : 9 (IRVHI)
हे स्त्रियों में परम सुन्दरी तेरा प्रेमी और प्रेमियों से किस बात में उत्तम है? तू क्यों हमको ऐसी शपथ धराती है?
श्रेष्ठगीत 5 : 10 (IRVHI)
मेरा प्रेमी गोरा और लालसा है, वह दस हजार में उत्तम है।
श्रेष्ठगीत 5 : 11 (IRVHI)
उसका सिर उत्तम कुन्दन है; उसकी लटकती हुई लटें कौवों की समान काली हैं।
श्रेष्ठगीत 5 : 12 (IRVHI)
उसकी आँखें उन कबूतरों के समान हैं जो दूध में नहाकर नदी के किनारे अपने झुण्ड में एक कतार से बैठे हुए हों।
श्रेष्ठगीत 5 : 13 (IRVHI)
उसके गाल फूलों की फुलवारी और बलसान की उभरी हुई क्यारियाँ हैं। उसके होंठ सोसन फूल हैं* जिनसे पिघला हुआ गन्धरस टपकता है।
श्रेष्ठगीत 5 : 14 (IRVHI)
उसके हाथ फीरोजा जड़े हुए सोने की छड़ें हैं। उसका शरीर नीलम के फूलों से जड़े हुए हाथीदाँत का काम है।
श्रेष्ठगीत 5 : 15 (IRVHI)
उसके पाँव कुन्दन पर बैठाये हुए संगमरमर के खम्भे हैं। वह देखने में लबानोन और सुन्दरता में देवदार के वृक्षों के समान मनोहर है।
श्रेष्ठगीत 5 : 16 (IRVHI)
उसकी वाणी* अति मधुर है, हाँ वह परम सुन्दर है। हे यरूशलेम की पुत्रियों, यही मेरा प्रेमी और यही मेरा मित्र है।

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