1 थिस्सलुनीकियों 5 : 1 (OCVHI)
प्रभु का वह दिन प्रिय भाई बहनो, इसकी कोई ज़रूरत नहीं कि तुम्हें समयों और कालों के विषय में लिखा जाए,
1 थिस्सलुनीकियों 5 : 2 (OCVHI)
तुम्हें यह भली प्रकार मालूम है कि प्रभु के दिन का आगमन ठीक वैसा ही अचानक होगा जैसा रात में एक चोर का.
1 थिस्सलुनीकियों 5 : 3 (OCVHI)
लोग कह रहे होंगे, “सब कुशल है, कोई संकट है ही नहीं!” उसी समय बिना किसी पहले से जानकारी के उन पर विनाश टूट पड़ेगा—गर्भवती की प्रसव पीड़ा के समान, उनका भाग निकलना असंभव होगा.
1 थिस्सलुनीकियों 5 : 4 (OCVHI)
किंतु तुम, प्रिय भाई बहनो, इस विषय में अंधकार में नहीं हो कि वह दिन तुम पर एकाएक एक चोर के समान अचानक से आ पड़े.
1 थिस्सलुनीकियों 5 : 5 (OCVHI)
तुम सभी ज्योति की संतान हो—दिन के वंशज. हम न तो रात के हैं और न अंधकार के,
1 थिस्सलुनीकियों 5 : 6 (OCVHI)
इसलिये हम, बाकियों के समान सोए हुए नहीं परंतु सावधान और व्यवस्थित रहें.
1 थिस्सलुनीकियों 5 : 7 (OCVHI)
क्योंकि वे, जो सोते हैं, रात में सोते हैं और वे, जो मतवाले होते हैं, रात में ही मतवाले होते हैं.
1 थिस्सलुनीकियों 5 : 8 (OCVHI)
अब इसलिये कि हम दिन के बने हुए हैं, हम विश्वास और प्रेम का कवच तथा उद्धार की आशा का टोप धारण कर व्यवस्थित हो जाएं.
1 थिस्सलुनीकियों 5 : 9 (OCVHI)
परमेश्वर द्वारा हम क्रोध के लिए नहीं परंतु हमारे प्रभु येशु मसीह द्वारा उद्धार पाने के लिए ठहराए गए हैं.
1 थिस्सलुनीकियों 5 : 10 (OCVHI)
जिन्होंने हमारे लिए प्राण त्याग दिया, कि चाहे हम जागते हों या सोते हों, उनके साथ निवास करें.
1 थिस्सलुनीकियों 5 : 11 (OCVHI)
इसलिये तुम, जैसा इस समय कर ही रहे हो, एक दूसरे को आपस में प्रोत्साहित तथा उन्नत करने में लगे रहो.
1 थिस्सलुनीकियों 5 : 12 (OCVHI)
मसीही स्वभाव प्रिय भाई बहनो, तुमसे हमारी विनती है कि तुम उनकी सराहना करो, जो तुम्हारे बीच लगन से परिश्रम कर रहे हैं, जो प्रभु में तुम्हारे लिए ज़िम्मेदार हैं तथा तुम्हें शिक्षा देते हैं.
1 थिस्सलुनीकियों 5 : 13 (OCVHI)
उनके परिश्रम को ध्यान में रखते हुए उन्हें प्रेमपूर्वक ऊंचा सम्मान दो. आपस में मेल-मिलाप बनाए रखो.
1 थिस्सलुनीकियों 5 : 14 (OCVHI)
प्रिय भाई बहनो, हम तुमसे विनती करते हैं कि जो बिगड़े हुए हैं, उन्हें फटकार लगाओ; जो डरे हुए हैं, उन्हें ढाढस दो, दुर्बलों की सहायता करो तथा सभी के साथ धीरजवान बने रहो.
1 थिस्सलुनीकियों 5 : 15 (OCVHI)
यह ध्यान रखो कि कोई भी बुराई का बदला बुराई से न लेने पाए किंतु हमेशा वही करने का प्रयास करो, जिसमें पारस्परिक और सभी का भला हो.
1 थिस्सलुनीकियों 5 : 16 (OCVHI)
1 थिस्सलुनीकियों 5 : 17 (OCVHI)
1 थिस्सलुनीकियों 5 : 18 (OCVHI)
हर एक परिस्थिति में धन्यवाद प्रकट किया जाए; क्योंकि मसीह येशु में तुमसे परमेश्वर की यही आशा है.
1 थिस्सलुनीकियों 5 : 19 (OCVHI)
1 थिस्सलुनीकियों 5 : 20 (OCVHI)
भविष्यवाणियों को तुच्छ न समझो
1 थिस्सलुनीकियों 5 : 21 (OCVHI)
परंतु हर एक को सावधानीपूर्वक बारीकी से जांचो तथा उसे, जो अच्छा है, थामे रहो.
1 थिस्सलुनीकियों 5 : 22 (OCVHI)
बुराई का उसके हर एक रूप में बहिष्कार करो.
1 थिस्सलुनीकियों 5 : 23 (OCVHI)
अंततः परमेश्वर, जो शांति के स्रोत हैं, तुम्हें पूरी तरह अपने लिए बुराई से अलग करने तथा तुम्हारी आत्मा, प्राण तथा शरीर को पूरी तरह से हमारे प्रभु येशु मसीह के दोबारा आगमन के अवसर तक निर्दोष रूप में सुरक्षित रखें.
1 थिस्सलुनीकियों 5 : 24 (OCVHI)
सच्चे हैं वह, जिन्होंने तुम्हें बुलाया है. वही इसको पूरा भी करेंगे.
1 थिस्सलुनीकियों 5 : 25 (OCVHI)
प्रिय भाई बहनो, हमारे लिए प्रार्थना करते रहना.
1 थिस्सलुनीकियों 5 : 26 (OCVHI)
पवित्र चुंबन से एक दूसरे को नमस्कार करो.
1 थिस्सलुनीकियों 5 : 27 (OCVHI)
प्रभु में हमारी यह आज्ञा है कि यह पत्र सब भाई बहनों के सामने पढ़ा जाए.
1 थिस्सलुनीकियों 5 : 28 (OCVHI)
तुम पर हमारे प्रभु येशु मसीह की कृपा बनी रहे.
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