2 कुरिन्थियों 13 : 1 (OCVHI)
अंतिम चेतावनियां तुम्हारे पास मैं तीसरी बार आ रहा हूं. “हर एक बात की पुष्टि के लिए दो या तीन गवाहों की ज़रूरत होती है.”* व्यव 19:15
2 कुरिन्थियों 13 : 2 (OCVHI)
वहां अपने दूसरी बार ठहरने के अवसर पर मैंने तुमसे कहा था और अब वहां अनुपस्थित होने पर भी वहां आने से पहले मैं उन सबसे यह कह रहा हूं: जिन्होंने अतीत में पाप किया है तथा बाकी लोगों से भी, यदि मैं फिर आऊंगा तो किसी पर दया न करूंगा
2 कुरिन्थियों 13 : 3 (OCVHI)
क्योंकि तुम यह सबूत चाहते हो कि जो मेरे द्वारा बातें करते हैं, वह मसीह हैं और वह तुम्हारे प्रति निर्बल नहीं परंतु तुम्हारे मध्य सामर्थ्यी हैं.
2 कुरिन्थियों 13 : 4 (OCVHI)
वास्तव में वह दुर्बलता की अवस्था में ही क्रूसित किए गए, फिर भी वह परमेश्वर के सामर्थ्य में जीवित हैं. निःसंदेह हम उनमें कमजोर हैं, फिर भी हम तुम्हारे लिए परमेश्वर के सक्रिय सामर्थ्य के कारण उनके साथ जीवित रहेंगे.
2 कुरिन्थियों 13 : 5 (OCVHI)
स्वयं को परखो कि तुम विश्वास में हो या नहीं. अपने आपको जांचो! क्या तुम्हें यह अहसास नहीं होता कि मसीह येशु तुममें हैं? यदि नहीं तो तुम कसौटी पर खरे नहीं उतरे.
2 कुरिन्थियों 13 : 6 (OCVHI)
मुझे भरोसा है कि तुम यह जान जाओगे कि हम कसौटी पर खोटे नहीं उतरे.
2 कुरिन्थियों 13 : 7 (OCVHI)
हम परमेश्वर से प्रार्थना करते हैं कि तुमसे कोई गलती न हो. इसलिये नहीं कि हम भले दिखाई दें, परंतु इसलिये कि तुम वही करो, जो उचित है, फिर हम भले ही खोटे दिखाई दें.
2 कुरिन्थियों 13 : 8 (OCVHI)
सच्चाई के विरोध में हम कुछ भी नहीं कर सकते. हम सच के पक्षधर ही रह सकते हैं.
2 कुरिन्थियों 13 : 9 (OCVHI)
हम अपने कमजोर होने तथा तुम्हारे समर्थ होने पर आनंदित होते हैं और यह प्रार्थना भी करते हैं कि तुम सिद्ध बन जाओ.
2 कुरिन्थियों 13 : 10 (OCVHI)
इस कारण दूर होते हुए भी मैं तुम्हें यह सब लिख रहा हूं कि वहां उपस्थिति होने पर मुझे प्रभु द्वारा दिए गए अधिकार का प्रयोग कठोर भाव में न करना पढ़े. इस अधिकार का उद्देश्य है उन्नत करना, न कि नाश करना.
2 कुरिन्थियों 13 : 11 (OCVHI)
आशीर्वचन अंत में, प्रिय भाई बहनो, आनंदित रहो, अपना स्वभाव साफ़ रखो, एक दूसरे को प्रोत्साहित करते रहो, एक मत रहो, शांति बनाए रखो और प्रेम और शांति के परमेश्वर तुम्हारे साथ होंगे.
2 कुरिन्थियों 13 : 12 (OCVHI)
2 कुरिन्थियों 13 : 13 (OCVHI)
पवित्र चुंबन से एक दूसरे को नमस्कार करो. सभी पवित्र लोग जो यहां हैं, उनकी ओर से नमस्कार.
2 कुरिन्थियों 13 : 14 (OCVHI)
प्रभु येशु मसीह का अनुग्रह, और परमेश्वर का प्रेम, और पवित्र आत्मा की सहभागिता तुम सभी के साथ बनी रहे.
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