2 पतरस 2 : 1 (OCVHI)
झूठे शिक्षक और उनका विनाश झूठे भविष्यवक्ता इस्राएल राष्ट्र में भी उठे थे, ठीक इसी प्रकार तुम्हारे बीच भी झूठे शिक्षक उठेंगे. वे उन स्वामी को, जिन्होंने उन्हें मोल लिया है, अस्वीकार करते हुए गुप्‍त रूप से विनाशकारी पाखंड का उद्घाटन करेंगे. इनके द्वारा वे स्वयं अपने ऊपर शीघ्र, अचानक विनाश ले आएंगे.
2 पतरस 2 : 2 (OCVHI)
अनेक लोग उनके अनुसार दूषित स्वभाव का अनुसरण करेंगे. उनके कारण सच का मार्ग निन्दित हो जाएगा.
2 पतरस 2 : 3 (OCVHI)
वे लालच के कारण तुम्हें अपनी झूठी गढ़ी हुई बातों में फंसाकर तुमसे अनुचित लाभ उठाएंगे. उनके लिए पहले से तय किया न्याय-दंड न तो निष्क्रिय हुआ है और न ही उनका विनाश सोया हुआ है.
2 पतरस 2 : 4 (OCVHI)
जब परमेश्वर ने उन स्वर्गदूतों को भी क्षमा नहीं किया, जिन्होंने पाप किया था परंतु उन्हें न्याय के लिए पाताल के अंधेरे गड्ढों में धकेल रखा है;
2 पतरस 2 : 5 (OCVHI)
जब उन्होंने प्राचीन संसार को भी नहीं छोड़ा परंतु पानी की बाढ़ द्वारा अधर्मियों के संसार का नाश किया—धार्मिकता के प्रचारक नोहा तथा सात अन्य के अतिरिक्त;
2 पतरस 2 : 6 (OCVHI)
यदि उन्होंने सोदोम और गोमोरा नगरों को भस्म कर विनाशकारी दंड दिया कि वे आनेवाले कुकर्मियों के लिए उदाहरण बन जाएं;
2 पतरस 2 : 7 (OCVHI)
यदि परमेश्वर ने अधर्मियों के अशुद्ध चालचलन से बहुत दुःखी धर्मी लोत का उद्धार किया,
2 पतरस 2 : 8 (OCVHI)
(जो उन लोगों के बीच निवास करते हुए, उनका अधर्म का स्वभाव देख व सुन दिन-प्रतिदिन अपनी धर्मी अंतरात्मा में तीव्र यातना सहते थे)
2 पतरस 2 : 9 (OCVHI)
तो यह स्पष्ट है, कि प्रभु यह जानते हैं कि धर्मियों को किस प्रकार परीक्षा से निकाला जाए तथा यह भी कि किस प्रकार अधर्मियों को न्याय के दिन पर दंडित किए जाने के लिए संभाल कर रखा जाए,
2 पतरस 2 : 10 (OCVHI)
विशेष रूप से उन्हें, जो कामुकता की अशुद्ध अभिलाषाओं में लीन रहते तथा प्रभुता को तुच्छ समझते हैं. ये ढीठ तथा घमंडी व्यक्ति, तेजोमय स्वर्गीय प्राणियों तक की निंदा करने का दुस्साहस कर बैठते हैं;
2 पतरस 2 : 11 (OCVHI)
जबकि स्वर्गदूत तक, जो इनसे कहीं अधिक शक्तिशाली और समर्थ हैं, प्रभु के सामने उन पर भला-बुरा कहकर दोष नहीं लगाते.
2 पतरस 2 : 12 (OCVHI)
ये व्यक्ति उन निर्बुद्धि पशुओं के समान हैं, जिनका जन्म ही ऐसे प्राणियों के रूप में हुआ है कि इन्हें पकड़कर इनका वध किया जाए. ये उन विषयों की उल्लाहना करते हैं, जिनका इन्हें कोई ज्ञान नहीं. ये भी इन्हीं पशुओं के समान नाश हो जाएंगे.
2 पतरस 2 : 13 (OCVHI)
इन्हें बुरे कामों का बुरा फल मिलेगा. दिन में भोग विलास इनके लिए आनंद का साधन है. ये वे घोर कलंक हैं, जो तुम्हारे प्रेम-भोजों में घुसकर अपने छलावे का आनंद लेते हैं.
2 पतरस 2 : 14 (OCVHI)
इनकी आंखें व्यभिचार से भरी हुई हैं और ये पाप करने से नहीं चूकते. ये चंचल व्यक्तियों को लुभाते हैं, इनके हृदय में लालच भरा है, ये शापित संतान हैं.
2 पतरस 2 : 15 (OCVHI)
बिओर के पुत्र बिलआम के समान, जिसने अधर्म से कमाए हुए धन का लालच किया, ये भी सच्चाई का मार्ग को छोड़कर भटक गए.
2 पतरस 2 : 16 (OCVHI)
उसे अपने अपराधों के लिए फटकार भी पड़ी—एक गूंगे गधे ने मनुष्य के शब्द में बातें कर उस भविष्यवक्ता के बावलेपन को रोका.
2 पतरस 2 : 17 (OCVHI)
ये सूखे कुएं तथा आंधी द्वारा उड़ाई धुंध हैं, जिनके लिए अनंत काल का घोर अंधकार तय किया गया है.
2 पतरस 2 : 18 (OCVHI)
ये घमंड भरी व्यर्थ की बातों से उन लोगों को कामुकता की शारीरिक अभिलाषाओं में लुभाते हैं, जो मार्ग से भटके लोगों में से बाल-बाल बचकर निकल आए हैं.
2 पतरस 2 : 19 (OCVHI)
ये उनसे स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा तो करते हैं, जबकि स्वयं विनाश के दास हैं. मनुष्य उसी का दास बन जाता है, जिससे वह हार जाता है.
2 पतरस 2 : 20 (OCVHI)
यदि वे मसीह येशु हमारे प्रभु और उद्धारकर्ता के सारे ज्ञान के द्वारा संसार की मलिनता से छूटकर निकलने के बाद दोबारा उसी में फंसकर उसी के अधीन हो गए हैं, तो यह स्पष्ट है कि उनकी वर्तमान स्थिति पिछली स्थिति से बदतर हो चुकी है.
2 पतरस 2 : 21 (OCVHI)
उत्तम तो यही होता कि उन्हें धार्मिकता के मार्ग का अहसास ही न हुआ होता बजाय इसके कि वह उसे जानने के बाद जो पवित्र आज्ञा उन्हें सौंपी गई थी उससे मुंह मोड़ते.
2 पतरस 2 : 22 (OCVHI)
उनका स्वभाव इस कहावत को सच साबित करता है, “कुत्ता अपनी ही उल्टी की ओर लौटता है,”* सूक्ति 26:11 तथा “नहाई हुई सूअरिया कीचड़ में लोटने लौट जाती है.”

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