इफिसियों 4 : 1 (OCVHI)
एकता के लिए बुलाया जाना इसलिये मैं, जो प्रभु के लिए बंदी हूं, तुमसे विनती करता हूं कि तुम्हारी जीवनशैली तुम्हारी बुलाहट के अनुरूप हो.
इफिसियों 4 : 2 (OCVHI)
तुममें विशुद्ध विनम्रता, सौम्यता तथा धीरज के साथ आपस में प्रेम में सहने का भाव भर जाए.
इफिसियों 4 : 3 (OCVHI)
शांति के बंधन में पवित्र आत्मा की एकता को यथाशक्ति संरक्षित बनाए रखो. एक ही शरीर है, एक ही आत्मा.
इफिसियों 4 : 4 (OCVHI)
ठीक इसी प्रकार वह आशा भी एक ही है जिसमें तुम्हें बुलाया गया है;
इफिसियों 4 : 5 (OCVHI)
एक ही प्रभु, एक ही विश्वास, एक ही बपतिस्मा;
इफिसियों 4 : 6 (OCVHI)
और सारी मानव जाति के पिता, जो सबके ऊपर, सबके बीच और सब में एक ही परमेश्वर हैं.
इफिसियों 4 : 7 (OCVHI)
किंतु हममें से हर एक को मसीह के वरदान के परिमाण के अनुसार अनुग्रह प्रदान किया गया है.
इफिसियों 4 : 8 (OCVHI)
इसी संदर्भ में पवित्र शास्त्र का लेख है: “जब वह सबसे ऊंचे पर चढ़ गए, बंदियों को बंदी बनाकर ले गए और उन्होंने मनुष्यों को वरदान प्रदान किए.”* स्तोत्र 68:18
इफिसियों 4 : 9 (OCVHI)
9 (इस कहावत का मतलब क्या हो सकता है कि वह “सबसे ऊंचे पर चढ़ गए,” सिवाय इसके कि वह पहले अधोलोक में नीचे उतर गए?
इफिसियों 4 : 10 (OCVHI)
वह, जो नीचे उतरे, वही हैं, जो आसमानों से भी ऊंचे स्थान में बड़े सम्मान के साथ चढ़े कि सारे सृष्टि को परिपूर्ण कर दें.)
इफिसियों 4 : 11 (OCVHI)
उन्होंने कलीसिया को कुछ प्रेरित, कुछ भविष्यद्वक्ता, कुछ ईश्वरीय सुसमाचार सुनानेवाले तथा कुछ कलीसिया के रखवाले उपदेशक प्रदान किए,
इफिसियों 4 : 12 (OCVHI)
कि पवित्र सेवकाई के लिए सुसज्जित किए जाएं, कि मसीह का शरीर विकसित होता जाए
इफिसियों 4 : 13 (OCVHI)
जब तक हम सभी को विश्वास और परमेश्वर-पुत्र के बहुत ज्ञान की एकता उपलब्ध न हो जाए—सिद्ध मनुष्य के समान—जो मसीह का संपूर्ण डीलडौल है.
इफिसियों 4 : 14 (OCVHI)
तब हम बालक न रहेंगे, जो समुद्री लहरों जैसे इधर-उधर उछाले व फेंके जाते तथा मनुष्यों की ठग विद्या की आंधी और मनुष्य की चतुराइयों द्वारा बहाए जाते हैं.
इफिसियों 4 : 15 (OCVHI)
परंतु सच को प्रेमपूर्वक व्यक्त करते हुए हर एक पक्ष में हमारी उन्‍नति उनमें होती जाए, जो प्रधान हैं, अर्थात्, मसीह.
इफिसियों 4 : 16 (OCVHI)
जिनके द्वारा सारा शरीर जोड़ों द्वारा गठकर और एक साथ मिलकर प्रेम में विकसित होता जाता है क्योंकि हर एक अंग अपना तय किया गया काम ठीक-ठाक करता जाता है.
इफिसियों 4 : 17 (OCVHI)
मसीह में नवजीवन इसलिये मैं प्रभु के साथ पुष्टि करते हुए तुमसे विनती के साथ कहता हूं कि अब तुम्हारा स्वभाव गैर-यहूदियों के समान खोखली मन की रीति से प्रेरित न हो.
इफिसियों 4 : 18 (OCVHI)
उनके मन की कठोरता से उत्पन्‍न अज्ञानता के कारण वे परमेश्वर के जीवन से अलग हैं और उनकी बुद्धि अंधेरी हो गई है.
इफिसियों 4 : 19 (OCVHI)
सुन्‍न होकर उन्होंने स्वयं को लोभ से भरकर सब प्रकार की कामुकता और अनैतिकता के अधीन कर दिया है.
इफिसियों 4 : 20 (OCVHI)
मसीह के विषय में ऐसी शिक्षा तुम्हें नहीं दी गई थी
इफिसियों 4 : 21 (OCVHI)
यदि वास्तव में तुमने उनके विषय में सुना और उनकी शिक्षा को ग्रहण किया है, जो मसीह येशु में सच के अनुरूप है.
इफिसियों 4 : 22 (OCVHI)
इसलिये अपने पुराने स्वभाव से प्रेरित स्वभाव को त्याग दो, जो छल की लालसाओं के कारण भ्रष्‍ट होता जा रहा है;
इफिसियों 4 : 23 (OCVHI)
कि तुम्हारे मन का स्वभाव नया हो जाए;
इफिसियों 4 : 24 (OCVHI)
नए स्वभाव को धारण कर लो, जिसकी रचना धार्मिकता और पवित्रता में परमेश्वर के स्वरूप में हुई है.
इफिसियों 4 : 25 (OCVHI)
इसलिये झूठ का त्याग कर, हर एक व्यक्ति अपने पड़ोसी से सच ही कहे क्योंकि हम एक ही शरीर के अंग हैं.
इफिसियों 4 : 26 (OCVHI)
“यदि तुम क्रोधित होते भी हो, तो भी पाप न करो.” स्तोत्र 4:4 सूर्यास्त तक तुम्हारे क्रोध का अंत हो जाए,
इफिसियों 4 : 27 (OCVHI)
शैतान को कोई अवसर न दो.
इफिसियों 4 : 28 (OCVHI)
वह, जो चोरी करता रहा है, अब चोरी न करे किंतु परिश्रम करे कि वह अपने हाथों से किए गए उपयोगी कामों के द्वारा अन्य लोगों की भी सहायता कर सके, जिन्हें किसी प्रकार की ज़रूरत है.
इफिसियों 4 : 29 (OCVHI)
तुम्हारे मुख से कोई भद्दे शब्द नहीं परंतु ऐसा वचन निकले, जो अवसर के अनुकूल, अन्यों के लिए अनुग्रह का कारण तथा सुननेवालों के लिए भला हो.
इफिसियों 4 : 30 (OCVHI)
परमेश्वर की पवित्र आत्मा को शोकित न करो, जिनके द्वारा तुम्हें छुटकारे के दिन के लिए छाप दी गई है.
इफिसियों 4 : 31 (OCVHI)
सब प्रकार की कड़वाहट, रोष, क्रोध, झगड़ा, निंदा, आक्रोश तथा बैरभाव को स्वयं से अलग कर दो.
इफिसियों 4 : 32 (OCVHI)
एक दूसरे के प्रति कृपालु तथा सहृदय बने रहो, तथा एक दूसरे को उसी प्रकार क्षमा करो, जिस प्रकार परमेश्वर ने मसीह में तुम्हें क्षमा किया है.

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